‘CID प्रवक्ता की तरह काम नहीं कर सकते’, महबूबा मुफ्ती की मां को पासपोर्ट न देने पर हाईकोर्ट ने अधिकारियों को फटकारा
Mehbooba Mufti: महबूबा मुफ्ती की मां गुलशन नजीर की याचिका पर अदालत ने कहा, ''उनके खिलाफ रत्तीभर भी ऐसे आरोप नहीं है जो किसी सुरक्षा चिंता की ओर इशारा करते हों.''
Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की मां को पासपोर्ट (Passport) जारी करने से मना करने पर न्यायालय ने अधिकारियों को फटकार लगाई. महबूबा मुफ्ती की मां गुलशन नजीर ने पासपोर्ट का अनुरोध किया था, हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी मांग नहीं मानी. गुलशन नजीर (Gulshan Nazir) ने तब जम्मू कश्मीर-लद्दाख उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
गुलशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा, ‘‘पासपोर्ट अधिकारी सीआईडी (CID) के प्रवक्ता (Mouthpiece) की तरह काम नहीं कर सकता.’’
'गुलशन पर ऐसे कोई आरोप नहीं जिनसे आपत्ति होनी चाहिए'
जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एमए चौधरी ने कहा कि याचिकाकर्ता महबूबा की मां गुलशन नजीर के खिलाफ रत्ती भर भी ऐसे आरोप नहीं है जो किसी सुरक्षा चिंता की ओर इशारा करते हों. न्यायाधीश ने शनिवार को सुनाए अपने फैसले में कहा, “ऐसा लगता है कि पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण के महबूबा की मां गुलशन नजीर के अनुरोध को खारिज करने का कोई आधार नहीं है और पासपोर्ट अधिकारी CID के प्रवक्ता की तरह व्यवहार नहीं कर सकता.’’
'वैधानिक प्रावधानों को नजरअंदाज नहीं कर सकते'
न्यायाधीश ने कहा, ''CID-CIK की ओर से तैयार की गई पुलिस सत्यापन रिपोर्ट में पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 6 के वैधानिक प्रावधानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.” न्यायाधीश ने कहा, “याचिकाकर्ता के संबंध में एकमात्र पहलू उनकी ओर से अलग से या महबूबा मुफ्ती के साथ जॉइंट बैंक अकाउंट से हुए कुछ लेनदेन की जांच के संदर्भ में दो एजेंसियों- ED और CID-CIK की जांच है.”
'वैधानिक शक्ति का ढंग से इस्तेमाल करना चाहिए'
न्यायाधीश ने कहा कि पासपोर्ट अधिकारी का पासपोर्ट जारी करने से मना करना “सोच-समझकर फैसला नहीं लेना” है. न्यायाधीश ने कहा, “कम से कम, पासपोर्ट अधिकारी को यदि आवश्यक हो तो तथ्यों और परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में पुलिस और CID से यह पूछना चाहिए कि क्या याचिकाकर्ता के खिलाफ कुछ भी प्रतिकूल है.” न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जब एक प्राधिकार को वैधानिक शक्ति दी गई है तो उसका इस्तेमाल न्यायपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए, मनमाने तरीके से नहीं, जैसा कि इस मामले में किया गया.’’
'मूल अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता'
न्यायाधीश ने कहा, ''खुद के 80 वर्ष से अधिक उम्र का होने का दावा करने वाली याचिकाकर्ता को किसी प्रतिकूल सुरक्षा रिपोर्ट के अभाव में भारतीय नागरिक के तौर पर विदेश यात्रा के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उन्हें (महबूबा की मां गुलशन नजीर) प्रदत्त 'मूल अधिकार' से वंचित नहीं किया जा सकता.''
स्वीकार की गई गुलशन नजीर की याचिका
इसके बाद महबूबा मुफ्ती की मां गुलशन नजीर की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायालय ने पासपोर्ट अधिकारी को पूरे मामले पर नए सिरे से विचार करने और फैसले की प्रति उन्हें तामील किए जाने की तारीख से 6 हफ्तों के भीतर आदेश जारी करने को कहा.
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