श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) की गिरफ्तारी को लेकर केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है. मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि  यह सब कुछ इसलिए हो रहा है क्योंकि उसका सरनेम खान है. इसके साथ ही उन्होंने लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में किसानों की मौत के मामले में भी सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री के बेटे को लेकर मिसाल कायम करने के बजाए 23 साल के लड़के को परेशान कर रही हैं.


पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ''चार किसानों की हत्या के आरोपी केंद्रीय मंत्री के बेटे के मामले  में मिसाल देने के बजाए केंद्रीय एजेंसियां 23 साल के लड़के के पीछे पड़ी हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उसका उपनाम खान है.'' उन्होंने आगे कहा कि न्याय की विडंबना है कि भाजपा के मूल वोट बैंक को खुश करने के लिए मुसलमानों को टागेट किया जा रहा है.



राजनीतिक लाभ के लिए बाहुबल की नीति इस्तेमाल कर रहा है केंद्र- महबूबा मुफ्ती
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक लाभ के लिए ‘बाहुबल’ के इस्तेमाल की नीति का आरोप लगाया. मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. मुफ्ती ने दावा किया कि अनंतनाग जिले में गत गुरुवार को सीआरपीएफ कर्मियों की गोलियों से ढेर हुए एक मुस्लिम व्यक्ति के परिजनों से मिलने न देने के लिए उन्हें नजरबंद रखा गया है.


महबूबा ने अपने ट्विटर पर लिखा, 'जम्मू-कश्मीर की स्थिति बद से बदतर होती चली गई है. मेरा डर इस तथ्य से और भी बढ़ गया है कि सुधार के बजाय, भारत सरकार चुनावों में राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए बाहुबल के इस्तेमाल की नीति जारी रखेगी. इसका कारण उत्तर प्रदेश में होने वाला अगला चुनाव है.’’


उन्होंने आगे लिखा, 'आज एक बार फिर नजरबंद हूं. सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में मारे गये निर्दोष नागरिक के परिवार से मिलने जाना चाहती थी. भारत सरकार चाहती है कि हम चुनिंदा हत्याओं की निंदा करें. वे केवल उन मामलों में नाराज होते हैं, जहां नफरत की राजनीति लोगों का ध्रुवीकरण करने के लिए शुरू की जा सकती है.’’


परवेज अहमद की मौत सीआरपीएफ कर्मियों की गोलियों से उस वक्त हुई थी, जब सुरक्षाकर्मियों ने उसे एक सीमा चौकी के पास रुकने का संकेत दिया था, लेकिन वह अपना वाहन रोकने में विफल रहा था. वह उसी दिन मारा गया था, जब शहर के ईदगाह इलाके में आतंकवादियों ने दो शिक्षकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. महिला प्राचार्य और शिक्षक की मौत के बाद कश्मीर घाटी में पांच दिनों के भीतर आतंकवादियों द्वारा मारे गए नागरिकों की संख्या सात हो गई, जिनमें से चार अल्पसंख्यक समुदायों से थे.



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