Jammu Kashmir News: क्या 55 साल का एजाज़ अहमद अहंगर भारत के लिए बनेगा नया खतरा ? आंतकियों की भर्ती और फिदायीन तैयार करने में है माहिर
Jammu Kashmir News: एजाज़ का नाम 2020 में उस समय सामने आया था जब अफगान खुफिया एजेंसियों ने 25 मार्च 2020 में काबुल गुरद्वारे पर हमले के बारे में जांच शुरू की थी.
Jammu Kashmir News: कहां है जिहादी प्रशिक्षक एजाज़ अहमद अहंगर उर्फ अबू उस्मान अल कश्मीरी. 55 साल का एजाज़ जम्मू-कश्मीर में कई सालों तक सक्रीय आतंकी था और कई बार गिरफ्तार भी हुई. आखिरी बार 1996 में कश्मीर में जेल से छूटने के बाद से वह गायब है और अब एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के लिए खतरा बन गया गया है.
एजाज़ का नाम 2020 में उस समय सामने आया था जब अफगान खुफिया एजेंसियों ने 25 मार्च 2020 में काबुल गुरद्वारे पर हमले के बारे में जांच शुरू की थी. हमले के लिए इस्लामिक स्टेट फॉर खुरासान प्रोविंस (ISPK) के प्रमुख और उसके साथियों को जिमेदार माना गया. गुरद्वारे पर हुए हमले में 25 सिख श्रद्धालु मारे गए थे और इससे अफ़ग़ानिस्तान और भारत के बीच के रिश्तों में काफी तनाव बढ़ गया था.
इसीलिए अफगान सुरक्षा एजेंसियों और अमेरिकी और अन्य देशों की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों से मदद मांगी गई और अप्रैल 2020 में कंधार के करीब गिरफ्तार किया गया. पकड़े गए लोगों में ISPK के प्रमुख असलम फारूकी मौलवी अब्दुल्लाह, अली मोहमद और तनवीर अहमद के तौर पर हुई थी.
पकड़े जाने पर दोनों ने अपना असली नाम फारूकी और तनवीर बताया था और पाकिस्तान और बांग्लादेश के होने का भी प्रमाण दिया था. लेकिन पकड़े गए तीसरे व्यक्ति पाकिस्तान के इस्लामाबाद के रहने वाले अली मोहमद ने कई दिनों तक अफ़ग़ान सुरक्षा एजेंसियों को अंधेरे में रखा. जब बात खुल गई तो सब के होश उड़ गए.
पकड़ा गया अली मोहमद कोई और नहीं ISPK का फिदायीन तैयार करने वाला बारूद को बम बनाने का एक्सपर्ट एजाज़ अहमद अहंगर उर्फ अबू उस्मान अल कश्मीरी था, जो पिछले 25 सालों से भारतीय एजेंसियों को चकमा देकर रडार से गायब था.
अहंगर के बारे में जो जानकारी अभी तक ख़ुफ़िया एजेंसियों के पास है वह एक आतंक की पूरी किताब है. श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके बुगाम में पैदा हुए एजाज अहंगर अपने परिवार में बंदूक उठाने वाले अकेले नहीं थे. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, उनके ससुर अब्दुल्ला ग़ज़ाली उर्फ अब्दुल गनी डार लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर थे और उन्होंने 1990 में तहरीक-उल-मुजाहिदीन के गठन में एक भूमिका निभाई थी. पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से भर्ती किए गए विदेशी भाड़े के सैनिक इस गुट में प्रमुख सदस्य थे. ग़ज़ाली तब 50 साल का था और एजाज़ उसके संपर्क में आया और आतंक के रस्ते पर चल पड़ा.
1992 में एजाज़ पहली बार गिरफ्तार हुआ और कई साल जेल में रहा था. जेल में ही अब्दुलाह गजाली ने अपनी बेटी रुखसाना का रिश्ता उसके साथ तय कर दिया और 1994 में रिहाई के बाद दोनों कि शादी करवा दी. इसके बाद एजाज़ अब्दुलाह गजाली के घर श्रीनगर के नवा कदल इलाके में रहने लगा.
लेकिन इस दौरान भी एजाज़ का आतंकी कनेक्शन नहीं टूटा और उसको दोबारा 1995 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. जेल से 1996 में छूटते ही वह पहले बांग्लादेश और फिर वहां से पासपोर्ट पर पाकिस्तान पहुंच गया. एजाज़ के पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI से संबंध कितने करीबी थे इस बात का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उसको पाकिस्तान पहुंचाने के लिए ISI ने सब कुछ दांव पर लगाया.
एजाज़ को पहले इस्लामाबाद में बसाया गया और कुछ समय बाद उसकी बीवी रुकसाना और बच्चों को भी पासपोर्ट के ज़रिये पाकिस्तान लाया गया. लेकिन कुछ सालों बाद रुकसाना अपने परिवार से मिलने कश्मीर आई तो उसका पासपोर्ट ले लिया गया और वापस जाने से रोका गया. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2008 में एजाज़ ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की रहने वाली आयशा से भी शादी की थी. इसके बाद किसी समय, एजाज़ अहंगर परिवार को अफगान सीमा के पास वजीरिस्तान के मीरानशाह इलाके में स्थानांतरित कर दिया गया.
पहले अल कायदा से थोड़े समय तक जुड़ाव के बाद वह ISIS में शामिल हो गया. एजाज अहंगर बाद में इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत में शामिल हो गया. एजाज अहंगर का बेटा अब्दुल्ला उमैस भी अफगानिस्तान के नंगरहार में लड़ाई में शामिल हुआ और कुछ साल पहले मारा गया. उसका दामाद, हुज़फ़ा-अल-बकिस्तान, ISKP का एक शीर्ष ऑनलाइन भर्ती कर्ता और बाद में जम्मू और कश्मीर में आइसिस के लिए प्रमुख रेक्रुट्रर था. लेकिन 18 जुलाई 2019 को अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में अमेरिकी ड्रोन हमले में वह भी मारा गया.
इस सब के बीच जो बात प्रमुख है कि एजाज़ कश्मीर में सक्रीय आतंकियों के लिए एक बड़ी प्रेरणा स्रोत रहा है. पाकिस्तान में हथियारों की ट्रेनिंग के लिए जाने वाले हर आतंकी से वह मुलाक़ात करता और इनमें से कुछ लड़कों को चुन कर उन्हें फिदायीन बनाने में वह माहिर था. आइसिस में शामिल होने के बाद वह ना सिर्फ फिदायीन हमलावर तैयार करता था पर साथ-साथ आत्मघाती हमलो के लिए बारूद को बम बनाने का भी काम कर रहा था.
श्रीनगर के पुराने शहर में जन्मा एजाज़ काबुल की पुल-ए-चरखी जेल में आईएस खुरासान के प्रमुख असलम फ़ारूक़ी के साथ बंद था. काबुल गुरुद्वारे हमले के लिए फिदायीन तैयार करने और भारत में आइसिस के लिए फिदायीन जुटाने के आरोप में.
अफगानिस्तान के सुदूर कुनार से, एजाज अहमद अहंगर ने भारतीय नागरिकों के बीच से उठाए गए फिदायीन आत्मघाती-दस्ते के हमलावरों का एक नेटवर्क प्रशिक्षित किया और चलाया. उनमें से एक बार दंत चिकित्सक इजास कल्लुकेटिया पुराइल और उसका साथी केरल निवासी मुहम्मद मोहसिन पिछले साल जलालाबाद में मारा गया. अहंगर ने भारत में जिहाद के नए रंगरूटों को निशाना बनाकर दुष्प्रचार अभियान चलाया और कश्मीर के अंदर आतंकवादी प्रकोष्ठों की स्थापना की.
कश्मीरी लंबे समय से इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस की भरोसेमंद संपत्ति रहा है. जिहादी ने अफगानिस्तान में हरकत-उल-जिहाद इस्लामी- हरकत-उल-मुजाहिदीन के एक अग्रदूत की सेवा की थी और फिर कश्मीर में काम किया था. 2002 में मुजफ्फराबाद के अखबारों में मराठा लाइट इन्फैंट्री के भारतीय सेना के सिपाही भाऊसाहेब मारुति तालेकर के कटे हुए सिर को लेकर उसकी तस्वीरें छपी थीं.
तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर जीत के बाद फ़ारूक़ी की हत्या कर दी, लेकिन ऐजाज़ अपनी बीवी और बेटी के साथ फ़रार हो गया. अब कहां है यह पता नहीं. एजाज़ के पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के साथ काफी नजदीकी संबंध हैं. ऐसे में एजाज़ का गायब होना ना सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान के लिए चिंता कि बात है पर सब से ज्यादा खतरा भारत के लिए है क्योंकि कश्मीर से लेकर केरल तक ISJK और इंडियन मुजाहिदीन तक एजाज़ के तैयार किए फिदायीन उसके परचम तले कभी भी बड़ी वारदात अंजाम दे सकते हैं.