कश्मीर घाटी में शिक्षा, संस्कृति और कला को जोड़ने की कोशिश, नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के साथ मिलकर थियेटर स्कूल खोलने की तैयारी
Jammu Kashmir News: श्रीनगर के टैगोर हॉल में शुक्रवार को आइकॉनिक फेस्टिवल के तहत आयोजित किये गए नाटक महोत्सव में कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया.
Jammu Kashmir News: आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत जहां जम्मू-कश्मीर की संस्कृति और गीत संगीत को सहेज कर रखने का प्रयास जारी है. वही दूसरी तरफ प्रदेश सरकार ने कश्मीर घाटी में थिएटर को बच्चों में लोकप्रिय करने के इरादे से नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के साथ मिलकर एक स्कूल खोलने की तैयारी पूरी कर ली है. श्रीनगर के टैगोर हॉल में शुक्रवार को ऑइकॉनिक फेस्टिवल के तहत आयोजित किये गए नाटक महोत्सव में कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इस महोत्सव में दिग्गज स्टेज कलाकार एमके रैना( M K Raina)ने एक पपेट शो का आयोजन कर थिएटर और शिक्षा को जोड़ने के उनके नए प्रयास को दर्शाया.
शिक्षा और संस्कृति को जोड़ने की कोशिश
कलाकार एमके रैना खुद भी कश्मीर के ही रहने वाले हैं. रैना के अनुसार पिछले कुछ सालों के हालात के चलते बच्चे घरों में कैद हो कर रह गए हैं और उनकी शिक्षा भी प्रभावित हुई है. अब यह नया प्रयास शिक्षा और कल्चर को जोड़ने की कोशिश है ताकि बच्चों को वापस स्कूल और थिएटर के साथ जोड़ा जाए. वही नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश खन्ना के अनुसार उनके संस्थान का जम्मू कश्मीर सरकार से करार हुआ है. इसके अनुसार कश्मीर घाटी में एनएसडी का एक स्कूल खोला जाएगा जहां पर बच्चों को नाटक के नए और पुराने दोनों गुर सिखाए जाएंगे ताकि बच्चों को प्रदेश और देश की संस्कृति से जोड़ा जा सके.
कला के क्षेत्र में अपनापन बढ़ाने की कोशिश
इस मौके पर कई कश्मीरी छात्र-छात्राओं ने अपनी कला का नमूना पेश किया. कुछ अनुभवी कलाकार या सरकार के प्रतिनिधि मानते हैं कि ये छोटे छोटे कलाकार ही आने वाले दिनों में बड़ा नाम करेंगे और यही वजह है कि कला को बढ़ावा देने के लिए आइकॉनिक फेस्टिवल के साथ इस कार्यक्रम को भी जोड़ा गया है. समारोह में शामिल होने वाले बच्चे सरकार के इन प्रयासों से काफी खुश दिखे. समारोह में अपने गाने से लोगों को मंत्र मुग्ध करने वाले शोइब आजाद के अनुसार अगर ऐसा ही प्रोत्साहन मिला तो वह ज़िंदगी में काफी आगे जा सकते हैं. इसी तरह महक और सुहैल नाम के दो युवा कलाकारों ने भी अपने अनुभव बताए. जहां एक तरफ सरकार की कोशिश है कि कश्मीर की संस्कृति और कला को दर्शाकर लोगों को वापस कश्मीर आने के लिए प्रोत्साहित करे. वही दूसरी तरफ कला के क्षेत्र में बच्चों की रूचि बढाने और कला को शिक्षा से जोड़ने के लिए नए नए कदम उठाए जा रहे हैं.
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