Jammu Kashmir Police Personnel Killed: कश्मीर घाटी में आतंकवादी एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों, अधिकारियों और प्रवासी मजदूरों को निशाना बना रहे हैं. पिछले 4 दिनों के भीतर 3 जिलों खासकर श्रीनगर, पुलवामा और बारामूला में 3 हमले हुए हैं.
इन हमलों में एक पुलिसकर्मी और प्रवासी मजदूर की जान चली गई, जबकि एक अधिकारी अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है. आतंकी हमले शॉफ्ट टॉरगेट और ऑफ-ड्यूटी पुलिसकर्मियों पर हो रहे हैं. जिससे दहशत का माहौल बना हुआ है. इस बीट आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के हेड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार की गोली मार कर हत्या कर दी.
हेड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार बारामूला जिले के पट्टन में मंगलवार (31 अक्टूबर) की शाम अपने पैतृक गांव वेलू पहुंचे तो उनको इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि यह उनके घर की आखिरी यात्रा होने वाली है. गुलाम मोहम्मद की 7 बेटियां हैं.
बेटी की शादी की तैयारी कर रहे थे डार
डार के भाई यूसुफ के अनुसार, गुलाम की इस साल ही श्रीनगर के पुलिस नियंत्रण कक्ष में तैनाती की गई थी. आने वाले दिनों में उनकी बेटी की शादी होने वाली है तो उसकी तैयारियों में भी लगे हुए थे.
यूसुफ ने कहा, "मजदूर घर पर काम कर रहे थे क्योंकि शादी की तैयारियां चल रही थीं. वह उनमें से एक स्थानीय मजदूर को उसके गांव छोड़ने गए थे. जैसे ही वह वापस आए, गेट के बाहर इंतजार कर रहे हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी. उनको 3 गोलियां लगीं. एक गोले उनके दिल में और दो छाती और बांह में लगीं थीं, जबकि दो गोलियां घर के गेट पर लगीं.
'अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ा'
परिवार के सदस्य और अन्य स्थानीय लोग गुलाम मोहम्मद डार को तंगमर्ग के उपजिला अस्पताल ले गए, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने रास्ते में दम तोड़ दिया. वह अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले सदस्य थे.
'परिवार का एक ही सवाल- उन्हें क्यों मारा गया?'
सबसे बड़ी बेटी उल्फत ने अपने पिता की हत्या पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "हम 7 बहनें हैं और हमारा कोई भाई नहीं है. वह परिवार में एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे, अब हम कैसे रहेंगे." परिवार का एक ही सवाल है कि उन्हें क्यों मारा गया?
'गुलाम मोहम्मद डार 1994 में जम्मू-कश्मीर पुलिस में शामिल हुए थे'
परिवार के सदस्यों के अनुसार, गुलाम मोहम्मद डार 1994 में जम्मू-कश्मीर पुलिस में शामिल हुए थे. हालांकि, वह कभी भी आतंकवाद विरोधी बल या ऑपरेशन का हिस्सा नहीं रहे. श्रीनगर पुलिस मुख्यालय में शामिल होने से पहले, वह 5 साल तक आतंक प्रभावित पुलवामा जिले में तैनात थे और उन्हें कभी भी किसी आतंकवादी संगठन से कोई धमकी नहीं मिली थी.
'किसी झगड़े में हस्तक्षेप नहीं करते थे डार'
उनके भाई बशीर अहमद ने कहा, "वह एक अच्छे इंसान थे और गांव के स्थानीय छोटे-मोटे झगड़े में भी हस्तक्षेप नहीं करते थे. यहां तक कि आतंकवादी हिंसा के चरम के दौरान भी वह अपनी पोस्टिंग वाली जगह से आराम से के घर आ जाते थे."
क्रिकेट खेल रहे एक पुलिस इंस्पेक्टर को भी मारी थी गोली
जेके पुलिस अधिकारियों और जवानों ने बारामूला में जिला पुलिस मुख्यालय में डार को श्रद्धांजलि दी. शीर्ष पुलिस अधिकारी पुलिसकर्मियों पर लक्षित हमले की घटना पर चुप्पी साधे हुए हैं. तीन दिनों के भीतर यह दूसरी घटना है.
गत रविवार (29 अक्टूबर) को जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक इंस्पेक्टर मसरूर अहमद वानी को ईदगाह मैदान पर एक हमले में गोली मार दी गई और वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उनको उस वक्त गोली मारी गई थी जब वह स्थानीय टीमों के साथ क्रिकेट खेल रहे थे. संयोगवश, मसरूर और डार दोनों की ही श्रीनगर में जिला पुलिस लाइन में तैनाती थी.
तुमची नौपोरा इलाके में प्रवासी मजदूर की मौत
वहीं, श्रीनगर हमले के बाद सोमवार (30 अक्टूबर) दोपहर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के तुमची नौपोरा इलाके में एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई. पीड़ित की पहचान लखनऊ से 40 किमी दूर उन्नाव जिले के भटपुरा गांव के 38 वर्षीय मुकेश कुमार के रूप में हुई.
'लश्कर के आतंकी बासित डार और उसके भर्ती स्थानीय लड़कों के ग्रुप कर रहे हमले'
जम्मू-कश्मीर पुलिस सूत्रों के मुताबिक सभी हमले लश्कर के एकमात्र जीवित आतंकवादी बासित डार और उसके नए भर्ती स्थानीय लड़कों के ग्रुप की ओर से किए जा रहे हैं. हालांकि, लश्कर के प्रॉक्सी, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने श्रीनगर और पुलवामा हमलों की जिम्मेदारी ली है, लेकिन किसी भी आतंकी संगठन ने बारामूला में हेड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार की हत्या का दावा नहीं किया है.
इजरायली-हमास युद्ध के मद्देनजर पूरे जम्मू-कश्मीर में पहले से अलर्ट जारी
फिलिस्तीन में हमास और इजरायली सेना के बीच भारी युद्ध के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही पूरे जम्मू-कश्मीर में अलर्ट जारी किया हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह सोशल मीडिया के जरिए हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.
पिछले एक सप्ताह के दौरान घुसपैठ की 3 कोशिशें हुई हैं, जिनमें 6 घुसपैठिए मारे गए. एलओसी और पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर संघर्ष विराम उल्लंघन के 4 मामले भी सामने आए हैं.
'सर्दियों की शुरुआत से पहले जेके में आतंकी घुसपैठ की कोशिशें चरम पर होंगी'
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के निवर्तमान डीजीपी दिलबाग सिंह ने हाल ही में कुपवाड़ा दौरा किया था. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी बलों ने एलओसी के पार सभी लॉन्चिंग पैड को फिर से सक्रिय कर दिया है और सर्दियों की शुरुआत से पहले जम्मू-कश्मीर में और अधिक आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिशें चरम पर होंगी.
घाटी के भीतर, विशेष रूप से ऑफ ड्यूटी पुलिसकर्मियों और प्रवासी मजदूरों की हत्याएं इस बात का संकेत हैं कि पाकिस्तानी हैंडलर्स ने घाटी में सक्रिय आतंकवादियों को हिंसा बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.
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