धरती के स्वर्ग कहे जाने वाला जम्मू-कश्मीर बीते कुछ सालों से भयंकर प्रदूषण की चपेट में है. जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े अस्पताल शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. परवेज कौल ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट जारी किया. रिपोर्ट में उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में हर साल 10 हजार लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से होती है.
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में इस साल 5822 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से और 3457 लोगों की मौत घरेलू प्रदूषण से हुई है. कौल के मुताबिक कश्मीर में आतंकवाद से भी ज्यादा प्रदूषण खतरनाक हो गया है. घाटी में आतंक से इस साल 242 लोगों की मौत हुई है.
प्रदूषण से 4 साल कम हो रही जिंदगी
2020 में एपिक इंडिया के एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (एपिक) ने एक शोध पत्र जारी किया था. शोध पत्र के मुताबिक प्रदूषण के चलते घाटी में रहने वाले लोगों की जिंदगी चार साल कम हो रही है. रिपोर्ट मेंं कहा गया कि अगर प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया तो इसमें इजाफा हो सकता है.
ब्लैक कार्बन बढ़ा रहा टेंशन
जम्मू-कश्मीर में अन्य पहाड़ी राज्यों के मुकाबले ब्लैक कार्बन की मात्रा ज्यादा है. प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह यही है. कश्मीर यूनिवर्सिटी के अर्थ साइंस विभाग के प्रमुख शकील अहमद रोमशो कहते हैं- "कई बार जम्मू-कश्मीर की हवा में ब्लैक कार्बन की मात्रा महानगर से भी ज्यादा हो जाती है."
प्रदूषण की चपेट में घाटी क्यों, 5 वजहें…
- 1. ठंड में अलाव के लिए जलने वाली लकड़ियां- घाटी में ठंड के दिनों में तापमान माइनस में चला जाता है. इससे बचने के लिए लोग अलाव जलाते हैं. अलाव के लिए जलने वाली लकड़ियां घरेलू प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह बन गई है. घाटी के दूर-दराज इलाकों में आज भी बिजली और गैस की सप्लाई नहीं हो पाती है. ऐसे में उन इलाकों के लोग पूरी तरह लकड़ियों पर ही निर्भर है.
- 2. सेब और अन्य फलों के अवशिष्ट को जलाना- कश्मीर सेब की खेती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक घाटी के 20 प्रतिशत भू-भाग पर सेब की खेती होती है. साथ ही बादाम और अखरोट की भी खेती भी बड़े पैमाने पर होती है. ठंड के दिनों में फल जब टूट जाता है, तो उसके पेड़ और खरपतवार को जला दिया जाता है. यह भी प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है.
- 3. परिवहन पर कंट्रोल नहीं- प्रदूषण की तीसरी सबसे बड़ी वजह परिवहन पर कंट्रोल नहीं है. राज्य के कई हिस्सों में अभी भी 15 साल पुराने वाहन चल रहे हैं. इसके अलावा कश्मीर में करीब 20 लाख पेट्रोल-डीजल वाहन हैं, जबकि 24% घरों में चौपहिया वाहन हैं. चौपहिया वाहनों की संख्या मामले में जम्मू-कश्मीर दूसरे नंबर पर है.
- 4. ईंट भट्टे से निकलने वाली धुंआ- रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में करीब 200 ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं. सरकार ने 2011 में एक ईंट-भट्टों के लिए कानून लाया था, जिसके मुताबिक ईंट बनाने के लिए 3 फीट से ज्यादा खेतों में खुदाई नहीं की जा सकती है. मगर, इस पर भी कंट्रोल नहीं है. यानी राज्य में अंधाधुंध तरीके से ईंट-भट्टे संचालित हो रहे हैं. इसका धुआं भी प्रदूषण बढ़ाने की बड़ी वजह है.
- 5. पर्यटकों की बढ़ती भीड़- जनवरी 2022 से अब तक 1.62 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर घूमने जा चुके हैं. अब तक का यह रिकॉर्ड है. पर्यटकों की बढ़ती भीड़ भी प्रदूषण की बड़ी वजह है.
श्रीनगर दुनिया का 10वां सबसे प्रदूषित शहर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2018 में 108 देशों के 4,300 शहरों पर एक सर्वे किया. इस सर्वे में जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर को दुनिया का 10वां सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया था. देश में फेफड़े के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले श्रीनगर में सामने आ रहे हैं.
ठंड में खतरनाक लेवल को पार कर जाता है प्रदूषण
गर्मी और बरसात की तुलना में जम्मू-कश्मीर में ठंड के महीनों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पर पहुंच जाता है. IITM की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में ठंड के दिनों में परिवहन से होने वाली प्रदूषण की संख्या 30 प्रतिशत का इजाफा हो जाता है. वायु में 5 गुना तेजी से ब्लैक कार्बन घूमता रहता है, जो खतरनाक है.
जाते-जाते पढ़िए, भारत में प्रदूषण से कितनी मौतें हुई
लैंसेट जर्नल ने प्रदूषण से होने वाली मौतों को लेकर एक आंकड़ा मई-2022 में जारी किया था. इसके मुताबिक भारत में 24 लाख लोग प्रदूषण से मरते हैं. दुनिया में यह संख्या 90 लाख के करीब है. भारत में वायु प्रदूषण से 9.8 लाख लोगों की मौत होती है. प्रदूषण के कारण दुनियाभर के कई देशों की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हुआ है.