Poonch Terror Attack: पुंछ आतंकी हमले में पूछताछ के लिए बुलाए गए शख्श ने की खुदकुशी, पुलिस ने बताई क्या थी वजह?
Jammu Kashmir: पुंछ में 20 अप्रैल को आतंकियों ने सेना के वाहन पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें पांच सैनिक शहीद हो गए थे. मामले में पूछताछ के लिए बुलाए गए एक शख्स ने कथित तौर पर जहर खाकर जान दे दी.
Poonch Terror Attack Interrogation: जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पिछले हफ्ते (20 अप्रैल) हुए आतंकी हमले के मामले में पुलिस ने जिस शख्स से पूछताछ के लिए बुलाया था उसकी गुरुवार (27 अप्रैल) को मौत हो गई. 35 वर्षीय शख्स ने कथित तौर पर जहर खाकर खुदकुशी कर ली. एक अधिकारी ने बताया कि जिले की मेंढर तहसील के नार गांव के रहने वाले मुख्तार हुसैन शाह कुछ घरेलू मुद्दों से परेशान थे. उन्होंने कहा कि उन्हें एक संदिग्ध के रूप में नहीं बुलाया गया था.
मंगलवार (25 अप्रैल) शाम को शख्स ने अपने घर में कथित तौर पर जहर खा लिया था. अधिकारी ने कहा कि उन्हें राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई. 20 अप्रैल को भाटा धुरियान जंगल में आतंकवादियों ने सेना के वाहन पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें पांच सैनिक शहीद हो गए थे. अधिकारी ने कहा कि इसी हमले के बारे में पूछताछ के लिए रिपोर्ट करने के लिए कहे जाने कुछ ही घंटों के भीतर मुख्तार हुसैन शाह ने यह कदम उठाया.
संदिग्ध नहीं था शख्स
अधिकारी ने कहा, ''वह एक संदिग्ध (आतंकी हमले के मामले में) नहीं था, लेकिन उसके गांव के अधिकांश निवासियों की तरह उसे भी पूछताछ के लिए उसे बुलाया गया था. उसका गांव घटना स्थल के पास है. हमें पता चला कि वह घरेलू मुद्दों का सामना कर रहा था और परेशान था.'' सुरक्षाबलों ने भाटा धूरियन में हमले के बाद चल रहे आतंकवाद-विरोधी अभियान में 60 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है.
जिस जगह हमला हुआ वो घने जंगल और प्राकृतिक गुफाओं के कारण नियंत्रण रेखा के पार से आतंकियों के लिए घुसपैठ का कुख्यात मार्ग है. पुंछ और पास के राजौरी में बड़े पैमाने पर तलाशी और घेराबंदी अभियान को बढ़ाया गया है, लेकिन उन आतंकियों के बारे में पता नहीं चल पाया है जो घातक हमले के बाद घटनास्थल से भाग गए थे.
एक संदिग्ध ने पूछताछ में ये बताया
अधिकारी ने कहा कि एक संदिग्ध ने स्वीकार किया है कि उसने दो महीने से ज्यादा समय तक आतंकियों को रसद सहायता प्रदान की और उससे आगे की पूछताछ जारी है. अधिकारियों ने कहा कि गुरुवार को आठवें दिन में प्रवेश करने वाले तलाशी अभियान में विशेष बल भी लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि एजेंसियां ऑपरेशन में ड्रोन, खोजी कुत्तों और मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल कर रही हैं.
अब तक की जांच में क्या पता चला?
सूत्रों ने पहले कहा था कि दो समूहों में सात से आठ आतंकियों ने हमले की साजिश रची थी. आतंकियों ने कथित तौर पर खुद को सड़क पर एक पुलिया के नीचे छिपा लिया, जहां से उन्होंने ट्रक पर हमला किया, जो राष्ट्रीय राइफल्स की ओर से आयोजित इफ्तार के लिए भीमबेर गली शिविर से सांगियोटे गांव में फल, सब्जियां और अन्य सामान ले जा रहा था.
सूत्रों ने कहा कि वाहन पर गोलियों के 50 से ज्यादा निशान थे और ये आतंकियों की ओर से की गई गोलीबारी की तीव्रता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि अभियान में शामिल जवान अत्यधिक सावधानी बरत रहे हैं क्योंकि हो सकता है कि आतंकियों ने गहरे खड्डों और गुफाओं वाले घने जंगलों के इलाके में आईईडी लगाए हों.
बख्तरबंद ढाल को भेदने वाली गोलियों का हुआ था इस्तेमाल
शहीद हुए सैनिक आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात राष्ट्रीय राइफल्स की एक इकाई से थे. अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सहित विभिन्न एजेंसियों के विशेषज्ञों ने घटनास्थल का दौरा किया है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि एक स्नाइपर ने सामने से सैन्य वाहन पर निशाना साधा था.
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पहले उसके साथियों ने वाहन पर विपरीत दिशा से फायरिंग की और ग्रेनेड फेंके. जाहिर तौर पर सैनिकों को जवाबी कार्रवाई करने का समय नहीं मिला. उन्होंने कहा, ''आतंकियों ने स्टील कोर गोलियों का इस्तेमाल किया, जो एक बख्तरबंद ढाल को भेद सकती हैं.''
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