जम्मू कश्मीर विधानसभा में धारा 370 की बहाली को लेकर ले गए प्रस्ताव पर उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा. जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने बुधवार (6 नवंबर 2024) को अनुच्छेद 370 के तहत राज्य के विशेष दर्जे को बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया, जिसे केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में निरस्त कर दिया था. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने विधानसभा सत्र के तीसरे दिन यह प्रस्ताव पेश किया. लेकिन गुरुवार यानी 7 नवंबर को इस प्रस्ताव को लेकर विधायकों के बीच बवाल खड़ा हो गया. ये बवाल हाथपाई की हद तक बढ़ गया. 


बारामूला से सांसद इंजीनियर रशीद के भाई और उनकी पार्टी आवामी इत्तेहाद के विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने विधानसभा में बैनर दिखाए, जिसमें अनुच्छेद 370 का फिर से लागू किए जाने की मांग की गई है. उन्होंने कहा, "ये बिलकुल कानूनी है. कल भी भाजपा के लोग स्पीकर साहब की कुर्सी पर कब्जा करना चाहते थे."






रिफ्यूजियों का छल्का दर्द


जम्मू में इस प्रस्ताव के खिलाफ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आए रिफ्यूजियों ने प्रदर्शन किया. जहां जम्मू कश्मीर में धारा 370 की बहाली वाले प्रस्ताव पर विधानसभा में बवाल मचा हुआ है वहीं अब यह बवाल सड़कों पर भी पहुंच गया है. धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में रह रहे 23000 से अधिक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के परिवारों को कहीं ऐसे हक मिले जो उन्हें 70 सालों में नहीं मिले थे.


जम्मू में पाकिस्तान कश्मीर से आए रिफ्यूजियों के नेता लाभा राम गांधी के मुताबिक जब जम्मू कश्मीर विधानसभा से धारा 370 की बहाली को लेकर आवाज़ आती है तो उन्हें काफी दुख होता है. उन्होंने कहा की धारा 370 के रहते उन जैसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आए रिफ्यूजियों को पाकिस्तान का तमगा जम्मू कश्मीर में दिया गया था. गांधी के मुताबिक उसके साथ ही ना तो इन परिवारों को जम्मू कश्मीर में मताधिकार था और ना ही उनके बच्चे सरकारी नौकरियों में जा सकते थे. 


'धारा 370 के रहते रिफ्यूजियों को नहीं मिले थे बुनियादी अधिकार'


दरअसल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आए है वह रिफ्यूजी है जिन्होंने 1947 में पाकिस्तान के बदले भारत को चुना था. 1947 से यह परिवार भारत में रह रहे थे लेकिन तत्कालीन सरकारों में इन्हें कोई भी ऐसा हक नहीं दिया जिससे यह अपने आप को जम्मू कश्मीर का नागरिक कह सके. गांधी के मुताबिक जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटी थी तो उन्होंने दिवाली मनाई थी क्योंकि वह दिन दिवाली से काम नहीं था और इन परिवारों को वह हक मिले जिसे इन्हें जानबूझकर वंचित रखा गया. प्रदर्शनकार्यों ने भारत माता की जय के नारे लगाए और कहां की जब जम्मू कश्मीर विधानसभा में इस तरह के नारे लगते हैं तो वह आहत होते हैं.


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