नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में एक तरफ भारी बारिश और फ्लैशफ्लड ने तबाही मचा राखी है तो वहीं एक ऐसी तस्वीर भी सामने आई है जो इंसानी जज्बे और हिम्मत की मिसाल बन गई है. बुधवार शाम को तेज बारिश के बाद मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के बीच से बहने वाले सिंध नाले में पानी बड़ी तेजी के साथ बढ़ गया और नदी ने एक विकराल रूप ले लिया.


इसी सैलाबी पानी में नदी के बीच में लकड़ी लेने गए तीन युवा फंस गए, जो हर गुजरते पल के साथ मौत के करीब जा रहे थे. पुलिस और SDRF की टीम भी मौके पर पहुंच गए थे लेकिन पानी का बहाव इतना तेज था कि कोई भी इसको पार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. मजबूर होकर पुलिस ने इलाके के एक जियाले बशीर अहमद मीर को खबर भेज दी. बशीर कुछ ही समय में मौके पर पहुंचा और फिर क्या था. बशीर ने आते ही उफनते हुए नाले में छलांग मार दी और उफनते पानी के साथ जंग करते हुए दूसरे किनारे पर पहुंच गया.


सुरक्षित निकाला


इसके बाद तीनों लड़कों को निकालने का काम शुरू हुआ. पहले बशीर तक रस्सी पहुंचाई गई और फिर रस्सी के सहारे SDRF की रबर बोट, जिस में बैठाकर तीनों लड़कों को करीब पांच घंटे की मेहनत के बाद सुरक्षित निकाला गया. लेकिन यह पहली बार नहीं है कि बचाव कार्य के लिए पुलिस या SDRF ने बशीर की मदद ली हो. बशीर पिछले बीस सालों से नाला सिंध में दर्जनों लोगों की जान बचा चूका है और जम्मू कश्मीर पुलिस, CRPF, सेना, SDRF, NDRF और जिला प्रशासन के लिए बिना किसी मुआवजे के काम करता रहा है.


बशीर के मुताबिक 2001 में उसको पहली बार नदी में फंसे एक शख्स को बचाने के लिए बुलाया गया. उस समय वह कंगन से 100 किलोमीटर दूर लद्दाख के द्रास में था और मोबाइल या फोन सेवाएं ना होने के चलते, पुलिस ने वायरलेस पर उसको बुलावा बेजा और आज एक फोन कॉल के बाद ही वह मौके पर पहुंच गया और तीन युवाओं की जान बचाई.


कई लोगों की बचाई जान


पिछले बीस सालों में कमाल के तैराक बशीर ने 19 लोगों की जान बचाई है और करीब 51 लोगो के शव भी पानी से निकलने में मदद की है. इन रेस्क्यू ऑपरेशन में सोनमर्ग में हुए राफ्टिंग एक्सीडेंट और अमरनाथ यात्रा के लिए आए तीर्थ यात्रियों का भी रेस्क्यू ऑपरेशन शामिल है. करीब 38 साल के बशीर ने कहा, 'सब जानते है कि मैं एक अच्छा तैराक हूं और इसीलिए मुझ पर भरोसा करते हैं लेकिन शौक के लिए स्विमिंग करना और रेस्क्यू के लिए करना अलग है. इस में काफी मेहनत और अनुशासन की आवश्कता रहती है.'


पहाड़ों में आने वाले फ्लैशफ्लड और सैलाब के लिए बशीर इंसान को ही जिम्मेदार मानते हैं और उनका कहना है कि इंसान ने कुदरत को छेड़ना शुरू किया तो कुदरत भी उसका हिसाब ले रही है. हम सालों नदी नालों पर अवैध कब्जा करते हैं. यहां तक कि नदी का रुख बदल देते है लेकिन कुदरत एक पल में सब कुछ साफ कर देती है. कुदरत की कद्र करो तो कुदरत आपकी कद्र करेगी.


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