Jammu Kashmir Temple: बुधवार (22 मार्च) से माता रानी के पावन नवरात्रों की शुरूआत हो चुकी है. इस शुभ मौके पर उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तीतवाल क्षेत्र में मां शारदा के मंदिर में देवी की मूर्ति को गर्भ गृह में रखा गया. इस नए मंदिर का निर्माण नियंत्रण रेखा यानि एलओसी के बहुत पास है. कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ से लगभग 100 पुजारियों ने इस समारोह में हिस्सा लिया. यहीं से जनवरी के महीने में मां शारदे की 5 धातु वाली मूर्ति मंगवाई गई थी.


केंद्रीय गृह मंत्री, अमित शाह ने 76 साल के अंतराल के बाद बने मंदिर में मूर्ति की स्थापना के दौरान नई दिल्ली से सभा को ऑनलाइन संबोधित किया. कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ से तीतवाल पहुंचे प्रसिद्ध विद्वानों और पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया. विभाजन से पहले देवी का तीतवाल मंदिर विश्व प्रसिद्ध शारदा मंदिर का आधार शिविर था. तीतवाल का मंदिर 1947 में हमलावरों ने नष्ट कर दिया था.


शारदा बचाओ समिति के अध्यक्ष ने क्या कहा?


इसको लेकर शारदा बचाओ समिति के अध्यक्ष रविंदर पंडित ने कहा, “एक नया इतिहास लिखा गया है और यह क्षेत्र में भाईचारे और शांति के एक नए युग की शुरुआत होगी." वहीं इस मौके पर स्थानीय लोग भी काफी खुश नजर आए. 6 हजार किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद मूर्ति को श्रृंगेरी मठ से इस स्थान पर लाया गया. शारदा कमेटी को बचाने के लिए मंदिर और गुरुद्वारे के निर्माण में हर तरह का सहयोग देने वाले स्थानीय लोगों ने कहा कि मंदिर में देवी की मूर्ति लाए जाने के बाद उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.


मां शारदे की मूर्ति तीतवाल पहुंचने पर खुशी से अभिभूत एजाज अहमद कहते हैं कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि मूर्ति पहुंच गई है. ये वास्तव में एक सपने जैसा है, जो अब सच हो गया है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह भारत के श्रद्धालुओं के लिए नियंत्रण रेखा के पार शारदा मंदिर के खुलने का मार्ग प्रशस्त करेगा और इससे व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही इस क्षेत्र के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.


शारदा बचाओ समिति के प्रमुख रविंदर पंडिता ने कहा कि यह स्थान शारदा के लिए आधार शिविर था और यह पूरे भारत में हिंदू भक्तों के लिए मंदिर के पवित्र तीर्थ के लिए गलियारे को खोलने के लिए पड़ोसी देश के लिए एक संकेत है. उन्होंने कहा कि मंदिर के निर्माण से प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को पुनर्जीवित करने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि पहले शारदा में एक विश्वविद्यालय मौजूद था और यह न केवल भारत बल्कि मध्य एशिया के लिए भी शिक्षा का केंद्र था जिसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है.


उन्होंने कहा कि स्वामी नंद लाल जी कश्मीर के अंतिम संत थे जो विभाजन से पहले इस मंदिर में पूजा करते थे. उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा के उस पार के लोग भी कल हमें बधाई देंगे और अपनी शुभकामनाएं देंगे क्योंकि वे भी चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच अच्छे पड़ोसी संबंध बने रहें ताकि लोग एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों पर जा सकें.     


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