Terror Attack in Jammu Latest Update: पिछले कुछ समय से जम्मू क्षेत्र आतंकवादी घटनाओं की वजह से सुर्खियों में रहा है. यहां आतंकी हमलों में बढ़ोतरी हुई है. पिछले दिनों डोडा में हुए आतंकी हमले के बाद सेना ने भी चौकसी बढ़ा दी है.


इस बीच यहां आतंकवाद को लेकर काफी अहम जानकारी सामने आई है. सूत्रों के अनुसार, पीर पंजाल घाटी और चिनाब घाटी में दो-दो और तीन-तीन की संख्या में 12 से अधिक आतंकवादी समूहों के सक्रिय होने का संदेह है. पिछले एक महीने से यहां आतंकवादी गतिविधियां फिर से तेज हो गई हैं, जिसमें 24 लोग मारे गए हैं.


9 जून के बाद इंटरसेप्ट हुए 19 सिग्नल


द हिंदू की रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने वाले सिक्यॉरिटी सिस्टम ने 9 जून को रियासी में हुए हमले के बाद क्षेत्र के विभिन्न इलाकों से आने वाले 16 से 19 सिग्नलों को इंटरसेप्ट किया है. इस हमले में नौ तीर्थयात्री मारे गए थे और 33 से अधिक घायल हुए थे.


वीपीएन ऐप्लिकेशन से मिल रही है मदद


अधिकारियों ने कहा कि ऑफलाइन मोबाइल एप्लिकेशन, जिसमें पहले से लोकेशन दर्ज होती है, और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) एप्लिकेशन ने इन छिपे हुए आतंकवादियों को बढ़त दिलाई, जो तकनीकी सहायता के साथ कठिन उबड़-खाबड़ जगहों और घने जंगलों में घूमते हैं.


बिना इंटरनेट के भी ऐप करेगा काम


एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, "ये एप्लिकेशन इंटरनेट सेवाओं की अनुपस्थिति में भी काम कर सकते हैं. वाईएसएमएस तकनीक, जिसका पता लगाना और पहचान करना कठिन है, और सिम-लेस फोन एक्टिवेशन, जहां आतंकवादी दूसरे समूह से और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से जुड़ने के लिए ब्लूटूथ तकनीक को सक्रिय करते हैं, के इस्तेमाल ने सुरक्षा बलों के लिए आतंकवादियों की आवाजाही पर आभासी खुफिया जानकारी विकसित करना कठिन बना दिया है.


3 लोग हो चुेक हैं वीपीएन यूज करने पर अरेस्ट 


पुलिस ने इस साल अप्रैल में पीर पंजाल घाटी में वीपीएन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया और अपने मोबाइल फोन पर वीपीएन रखने के आरोप में तीन स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया. जम्मू क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आनंद जैन ने 27 जून को जम्मू क्षेत्र में छह से सात ग्रुप्स की संलिप्तता का संदेह जताया था. हालांकि, जुड़वां घाटियों के ऊपरी इलाकों में रहने वाले स्थानीय लोगों ने आतंकवादियों के देखे जाने की सूचना दी है, खासकर डोडा में, जो 2005 से आतंकवाद-मुक्त क्षेत्र बना हुआ है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 9 जून से शुरू हुए पिछले 38 दिनों में, जम्मू सर्कल में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच कम से कम 10 मुठभेड़ें देखी गईं, जिनमें से ज्यादातर डोडा जिले में हुईं. इन एनकाउंटर में कुल 24 लोग हताहत हुए हैं, जिनमें 10 सुरक्षाकर्मी और पांच आतंकवादी शामिल हैं.


इस तरह सक्रिय हो रहे आतंकी


सूत्रों ने बताया कि पीर पंजाल घाटी के पुंछ और राजौरी में कठिन स्थलाकृति और 230 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा का फायदा उठाने के बाद आतंकवादी समूह चिनाब घाटी के डोडा में शिफ्ट हो रहे हैं, जिसमें डोडा, रामबन, किश्तवाड़ और भद्रवाह जिले शामिल हैं. पूर्व में डोडा जिले में सेवा दे चुके एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द हिंदू को बताया कि जम्मू क्षेत्र में रणनीतिक गहराई हासिल करने के लिए आतंकवादियों की ओर से एक दुर्लभ प्रयास किया जा रहा है और सुरक्षा बलों की लागत बढ़ जाती है, जो पहले से ही 2020 से पुंछ और राजौरी के एक बड़े वन क्षेत्र में पदचिह्न बढ़ाने के लिए मजबूर हैं.


ज्यादा जंगल का उठाते हैं फायदा


“डोडा जिले में 2.19 लाख हेक्टेयर का वन क्षेत्र है. यह एक ऐसा जिला है जो कश्मीर घाटी के अनंतनाग जिले, जम्मू के मैदानों में उधमपुर और हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले से जुड़ता है. पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, "यहां संकरी घाटियां हैं और ज्यादातर जंगल हैं. यहां से आतंकवादी सेना की उत्तरी और पश्चिमी दोनों कमानों पर हमला करने में कामयाब हो सकते हैं." दरअसल, पश्चिमी कमान ने एक दुर्लभ हमला देखा जब आतंकवादियों ने 9 जुलाई को कठुआ जिले के बदनोटा गांव के पास मचेदी-किंडली-मल्हार पहाड़ी सड़क पर सेना के काफिले को निशाना बनाया और पांच सैनिकों को मार डाला.


अब एम4 राइफल की बढ़ी डिमांड


आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, आतंकवादियों के तौर-तरीकों में एक और बदलाव यह है कि वे अमेरिका में बनी एम4 राइफल, चीनी कवच-भेदी स्टील बुलेट और सीमा पार से स्नाइपिंग का प्रशिक्षण लेकर वार कर रहे हैं, ताकि अधिकतम हताहतों के लिए घात लगाकर हमला किया जा सके. अधिकारियों ने बताया कि एम4 राइफल की फायरिंग रेंज 500 से 600 मीटर है, जबकि एके47 की फायरिंग रेंज 350 मीटर है. इससे आतंकवादियों को भी फायदा हुआ है." अधिकारियों ने कहा, "कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादी ज्यादातर सुरक्षा बलों से नजदीकी गोलीबारी में एके47 का इस्तेमाल करते हैं. हाल ही में, आतंकवादी समूह के कम से कम एक सदस्य के पास एम4 राइफल है."


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