Doda Terror Attack: डोडा के शहीद कैप्टन थापा की मां को किस बात का दु:ख, कैमरे पर आंसू लिए बोलीं- मेरा बेटा था तो क्या...
Jammu Kashmir Terror Attack: बृजेश थापा की उम्र 26 साल थी. वह 2019 में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद आर्मी में गए थे. कैप्टन थापा की तीनी पढ़ियां सेना में रही. उनके पिता भुवनेश थापा कर्नल रह चुके हैं.
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Captain Brijesh Thapa Family: जम्मू के डोडा में मंगलवार (16 जुलाई 2024) आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के 1 अधिकारी समेत 4 जवान शहीद हो गए. इस एनकाउंटर में दार्जिलिंग के रहने वाले कैप्टन बृजेश थापा भी शहीद हुए. कैप्ट थापा उस टीम की अगुवाई कर रहे थे जो आतंकियों से लोहा ले रही थी. उनकी मौत की खबर सुनने के बाद से मां का रो-रोकर बुरा हाल है, लेकिन इस बात का गर्व है कि बेटे ने देश के लिए जान दी है.
कैप्टन बृजेश थापा की मां नीलिमा थापर कहती हैं कि वह मार्च में घर आया था. तीन-चार दिन रहने के बाद चला गया था. वह फिर जुलाई में आने की बात कहकर गया था. वह वहां बहुत खुश था. रविवार को ही उसने मुझसे और अपने पापा से बात की थी. सुबह 9 बजे उसका फोन आया था. इसके बाद से उससे बात नहीं हुई. कल उसकी मौत की खबर मिली.
'किसी न किसी को तो बॉर्डर पर जाना पड़ेगा'
नीलिमा कहती हैं कि बेटे के जाने का दुख तो बहुत है लेकिन इस बात का गर्व है कि वह देश के लिए शहीद हुआ है. मेरा बेटा था तो क्या हुआ, आखिर किसी न किसी को तो बॉर्डर पर जाना पड़ेगा. अगर कोई नहीं जाएगा तो हम सब सुरक्षित कैसे रहेंगे. उसका खुद का सपना था कि वह सेना में जाए और अपने पिता की तरह नाम रोशन करे.
बीटेक भी पास थे कैप्टन थापा
बृजेश थापा की उम्र 26 साल थी. वह 2019 में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद आर्मी में गए थे. कैप्टन थापा की तीनी पढ़ियां सेना में रह चुकी हैं. उनके पिता भुवनेश थापा कर्नल रह चुके हैं. भुवनेश थापा का कहना है कि बेटे बृजेश का बचपन से ही सपना था कि वह सेना में जाए. वह मेरी वर्दी पहनकर इधर-उधर घूमता था. मैंने उसे शुरू में कहा था की नेवी में चला जा... आर्मी का काम कठिन है, लेकिन उसे आर्मी में ही जाना था. उसने बीटेक कर रखी थी इसके बाद भी सेना को ही चुना...
दुख है कि अब कभी नहीं मिल पाएंगे
भुवनेश थापा कहते हैं कि मैं सेना में कर्नल था, जब गाड़ी में आगे बैठता था और पीछे दूसरे जवान तो मुझे देखकर वह कहता था कि एक दिन मैं भी ऐसा ही बनूंगा और आगे बैठूंगा, जबकि बाकी जवान पीछे बैठेंगे. मुझे गर्व है कि उसने देश के लिए जान दी, लेकिन दुख है कि अब उससे कभी नहीं मिल पाएंगे.
आतंकियों से भिड़ने वाली टीम की कर रह थे अगुवाई
सोमवार रात सेना को सूचना मिली की जंगली इलाके में आतंकवादी छिपे हैं. कैप्टन थापा की अगुवाई में ही सेना की एक टीम वहां पहुंची. सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई जो मंगलवार तक चलती रही. इस एनकाउंटर में बृजेश थापा समेत 4 जवान मारे गए. आतंकवादी अंधेरे के फायदा उठाते हुए पहाड़ी इलाके से भागने में कामयाब रहे.
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