टेरर फंडिंग मामले में NIA ने एक और कश्मीरी पत्रकार को किया गिरफ्तार, बड़ी आपराधिक साजिश रचने का आरोप
Kashmiri Journalist Arrested: एनआईए ने कश्मीरी पत्रकार इरफान महराज को टेरर फंडिंग मामले में 20 मार्च को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था.
Kashmiri Journalist Arrested: जम्मू कश्मीर में टेरर फंडिंग मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने 21 मार्च की सुबह श्रीनगर में एक कश्मीरी पत्रकार को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक पत्रकार की पहचान फ्रीलांसर इरफान महराज के रूप में हुई है. महराज को दिल्ली से एनआईए की एक स्पेशल टीम ने श्रीनगर में गिरफ्तार किया था. इरफान श्रीनगर के महजूर नगर इलाके का रहने वाला है.
NIA दिल्ली के अधिकारी ने बताया कि महराज को गिरफ्तार कर लिया गया है. केंद्र सरकार को जानकारी मिली थी कि कुछ एनजीओ हेल्थ, एजूकेशन जैसे लोगों की भलाई वाले कामों के नाम पर पब्लिकली पैसे इकट्ठा कर रहे हैं. इनमें से कुछ एनजीओ के लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम) जैसे आतंकवादी संगठनों से भी संबंध हैं.
रची गई आपराधिक साजिश
अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, यह एनजीओ, ट्रस्ट सोसायटी से इकट्ठ किए फंड को कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को बनाएं रखने और बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि यह पैसे दिल्ली, जम्मू कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों से कई तरीकों से यहां भेजा जाता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि ये नॉन गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशन भारत की यूनिटी, इंटीग्रिटी, सिक्योरिटी को खराब करने के लिए एक बड़ी साजिश के तहत की गई. उन्होंने यह भी बताया कि ये एनजीओ, ट्रस्ट भारत सरकार के प्रति घृणा, राष्ट्र विरोधी और आपत्तिजनक चीजें प्रकाशित करते हैं.
20 मार्च को किया गया गिरफ्तार
जानकारी के मुताबिक इससे पहले इस पहले इस मामले में इरफान से पूछताछ की गई थी. जिसके बाद सोमवार (20 मार्च) शाम पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे नई दिल्ली ले जाया गया. इस बीच पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गिरफ्तारी की निंदा की है और इसे प्रेस की आजादी पर हमला करार दिया है. एक ट्वीट में महबूबा मुफ्ती ने गिरफ्तारी की तुलना एक ठग को सुरक्षा प्रदान करने की सुरक्षा चूक से करते हुए महबूबा मुफ्ती ने लिखा कि कश्मीर में ठगों को खुली छूट दी जाती है और इरफान महराज जैसे पत्रकारों को गलत बोलकर अपनी ड्यूटी करने के लिए गिरफ्तार किया जाता है. उन्होंने लिखा कि यूएपीए जैसे कठोर कानूनों का लगातार दुरुपयोग किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह प्रक्रिया ही सजा बन जाए.
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