पाकिस्तान की सोशल मीडिया वाली साज़िश का खुलासा, इस तरह कश्मीरी युवाओं को बरगलाने की कर रहा कोशिश
जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने पाकिस्तान की सोशल मीडिया वाली साजिश को डिकोड किया है. जम्मू कश्मीर पुलिस की माने तो पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में युवाओं को आतंकी भट्टी में झोंकने के लिए इन सोशल मीडिया एप्लीकेशंस का इस्तेमाल करता है.
जम्मू: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को पाकिस्तान की सोशल मीडिया वाली साजिश का पता चला है, जिसके जरिए पाकिस्तान अलग-अलग सोशल मीडिया एप्लीकेशंस का इस्तेमाल कर कश्मीर के युवाओं को आतंक की भट्टी में झोंक रहा है. सुरक्षाबलों का दावा है कि पाकिस्तान इस साजिश के जरिए कश्मीर के युवाओं को बरगलाने और हथियारों की सप्लाई को अंजाम देता है.
जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने पाकिस्तान की सोशल मीडिया वाली साजिश को डिकोड किया है. जम्मू कश्मीर पुलिस की माने तो पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में युवाओं को आतंकी भट्टी में झोंकने के लिए इन सोशल मीडिया एप्लीकेशंस का इस्तेमाल करता है. सुरक्षा एजेंसी ने एबीपी न्यूज को बताया कि पाकिस्तान युवाओं को आतंक की भट्ठी में झोंकने के लिए लगातार बाजार में आ रहे नए नए एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर रहा है.
जम्मू पुलिस के आईजी मुकेश सिंह की माने तो आतंकी संगठन अलग-अलग सोशल मीडिया एप्लीकेशंस का इस्तेमाल इसलिए भी धड़ल्ले से कर रहे हैं, क्योंकि यह इंक्रिप्टेड होते हैं और इन पर जल्द नजर रखना बहुत मुश्किल होता है. सुरक्षाबलों का कहना है कि इस समय बाजार बहुत सारे ऐसे सोशल मीडिया एप्लीकेशन से भरा पड़ा है, जिनके द्वारा न केवल ऑडियो संदेश बल्कि वीडियो भी एक दूसरे से शेयर किए जा सकते हैं. सुरक्षा बल मानते हैं कि बाजार में हजारों ऐसी एप्लीकेशन मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान लगातार कर रहा है.
जम्मू पुलिस मानती है कि बाजार में इतने सारे एप्लीकेशंस पर नजर रखना मुश्किल है, लेकिन फिर भी जम्मू-कश्मीर पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां लगातार ऐसी एप्लीकेशंस पर नजर रख रही हैं, जिनका इस्तेमाल आतंकी कर सकते हैं. जम्मू पुलिस ये भी दावा कर रही है कि इन एप्लीकेशंस के द्वारा आतंकी संगठन न केवल युवाओं की भर्ती कर रहे हैं, बल्कि हथियारों को आतंकियों तक पहुंचाने के लिए भी इन एप्लीकेशंस का इस्तेमाल होता है. पाकिस्तान के विभिन्न आतंकी संगठन जिसमें से जैश-ए-मोहम्मद लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख हैं, इन सोशल मीडिया एप्लीकेशन का इस्तेमाल खास तौर पर बेरोजगारो और युवाओं को बरगलाने के लिए कर रहे हैं.
यह संगठन युवाओं को सोशल मीडिया पर वीडियो और चेक भेज कर आतंकी भट्ठी में झोंकने के लिए तैयार करते हैं और सुरक्षाबलों को ऐसे युवाओं और इन एप्लीकेशन को काबू करने में वक्त लगता है. सुरक्षा बल मानते हैं कि ऐसा नहीं है कि इन सोशल मीडिया एप्लिकेशन्स का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी आतंकी संगठन किसी भी शख्स पर बहुत जल्दी यकीन कर लेते हैं. सुरक्षा बलों ने दावा किया है कि पाकिस्तान द्वारा युवाओं को बरगलाने के लिए चलाई जा रही एप्लीकेशन के लिए इस्तेमाल किये जा रहे अकाउंट अधिकतर फर्जी होते हैं और जब इन फर्जी अकाउंट से चैट करके पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों को यह यकीन हो जाता है कि सामने वाला शख्स पूरी तरह से उनके काबू में है, उसके बाद ही वह आतंकी संगठन उस शख्स से सीधे बात करते हैं.
सुरक्षा एजेंसी ने एबीपी न्यूज को बताया है कि इन एप्लीकेशंस को चलाने के लिए पाकिस्तान ने वहां के विभिन्न कॉलेज और स्कूल में पढ़ रही लड़कियों का भी इस्तेमाल करना शुरू किया है. सूत्रों की माने तो पाकिस्तान इन एप्लिकेशन्स का इस्तेमाल भारत और जम्मू कश्मीर में तैनात जवानो को हनी ट्रैप करने के लिए भी करता है. पाकिस्तान कॉलेज में पढ़ रही लड़कियों का इस्तेमाल सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों और अफसरों को हनी ट्रैप करने के भी करता है.
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