Magnetic IEDs Recovered: जम्मू (Jammu) के अखनूर सेक्टर में मार भगाए गए ड्रोन (Drone) से बरामद तीन टिफ़िन बॉक्स (Tiffin Boxes) ने एक बार फिर पाकिस्तान (Pakistan) के ख़तरनाक ड्रोन प्लान के निशान उजागर कर दिए हैं. दहशतगर्दों ने बच्चों के टिफ़िन बॉक्स में आईईडी (IED) भेजे. ड्रोन के ज़रिए ये टिफ़िन बॉक्स आईईडी बम सीमापार से भारत में आतंक की आंच भड़काने और मासूम ज़िंदगियों को छीनने के लिए भेजे गए थे. 


सीमा पर भारतीय सुरक्षाबलों की मुस्तैद गश्त और चौकसी की दीवार पार करने के लिए यह पाकिस्तान की नई चाल का हिस्सा है. जिसमें सीमा पार से हथियार, नशीले पदार्थ, करेंसी नोट समेत आतंकी सामान के कूरियर भेजे जाते हैं. सरहद पार बैठा हैंडलर और भारत में मौजूद आतंकियों के समर्थक इस डिलेवरी नेटवर्क को अंजाम तक पहुँचाते हैं.  


ड्रोन प्लान के पीछे है आईएसआई की एल-डेट यूनिट?
ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक़, पाकिस्तान के इस नापाक प्लान को अंजाम दे रही है आईएसआई की एल-डेट या लाहौर डिटेचमैंट नाम की यूनिट. यह यूनिट न केवल ड्रोन डिलेवरी के इस प्लान को अंजाम तक पहुंचाने में भूमिका निभाती है. बल्कि भारत के ख़िलाफ़ कश्मीरी आतंकियों और खालिस्तानी अलगाववादियों के नेटवर्क को कोऑर्डिनेट कर रही है. सूत्र बताते हैं कि बीते कुछ सालों में इस डिटैचमैंट में पाक सेना के अधिकारियों की संख्या बढ़ाई गई है बल्कि भारत से लगे सीमावर्ती इलाक़ों में इसकी तैनाती में भी इज़ाफ़ा हुआ है.  


ख़ुफ़िया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ बीते दिनों 9 मई को मोहाली में पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस मुख्यालय पर RPGL से किए गए रॉकेट हमले के पीछे भी इसी एल-डेट की भूमिका थी. एल-डेट ने सीमा-पार इस रॉकेट लॉन्चर को भिजवाया था. हालांकि ख़ुफ़िया सूत्रों की मानें तो हमले का टारगेट कुछ और था लेकिन हड़बड़ी में आतंकियों ने पुलिस की इमारत को निशाना बना लिया. ड्रोन संचालन से लेकर सुरक्षा घेरे को चकमा देने के लिए ड्रोन में तकनीकी बदलाव और हथियारों की डिलेवरी में इस यूनिट के लोग काम करते हैं.  


पंजाब और जम्मू-कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाक़ों में बीते 6 महीनों के दौरान पाकिस्तान से भेजे गए 8 से अधिक ड्रोन अब तक बीएसएफ़ के जवान मार गिरा चुके हैं. इसके अलावा ऐसे कई मामले दर्ज किए गए हैं जिसमें ड्रोन से की गई हथियारों और नशीली दवाओं की डिलेवरी को बरामद किया गया. जम्मू के अखनूर इलाक़े में मंगलवार को तीन टिफ़िन बॉक्स से आईईडी बमों की बरामदगी भी ड्रोन हरकत के बाद हुए तलाशी अभियान के दौरान ही हुई. 


हाल ही में ड्रोन से हुई हथियारों, विस्फोटकों और नशीली दवाओं की बरामदगी का ग्राफ़ यह बताने को काफ़ी है कि एल-डेट का नेटवर्क तेज़ी से नापाक मंसूबों को अंजाम देने में जुटा है. 



  • जनवरी 2022 में गणतंत्र दिवस से पहले पंजाब पुलिस ने सीमावर्ती गुरदासपुर से अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर, दो ग्रेनेड और साढ़े तीन किलो से अधिक आरडीएक्स बरामद किया था. 

  • अमृतसर के भारोपाल गांव में बीएसएफ ने 9 मई को एक ड्रोन को मार गिराया था. इस ड्रोन से 10.6 करोड़ रुपये की हेरोइन बरामद की गई थी, जिसकी क़ीमत 70 करोड़ रुपये से अधिक है.

  • मई 30 को कठुआ इलाक़े में मार गिराए गए पाकिस्तानी ड्रोन से सात मैग्नेटिक बम, सात ग्रेनेड और उसका लॉन्चर बरामद किए गए. 


इतना ही नहीं मार गिराए गए उड़नखटोलों की तकनीकी जांच में इस बात के भी सबूत सामने आए कि इनमें से कई ड्रोन भारतीय इलाक़े से ही उड़ाकर सीमा-पार भेजे गए थे. बाद में ड्रग्स की खेप लादकर उन्हें वापस पाकिस्तान से भारत लौटाया गया. मार्च 2022 के शुरुआत में सीमावर्ती इलाक़े में एक खेत से बरामद किए गए ड्रोन के फ़्लाइट पाथ की पड़ताल में भी ऐसी साज़िश के और सबूत सामने आए. 


चीन से मिल रही है पाकिस्तान को मदद!
दरअसल, पाकिस्तान ने बीते कुछ सालों के दौरान सीमा पर भारत की बढ़ती चौकसी को चकमा देने के लिए ड्रोन प्लान को हथियार बनाया. पाकिस्तान ने जहां दुनिया के बड़े ड्रोन निर्माता चीन से मिल रही मदद का इस्तेमाल किया. वहीं अपने यहां डीएचए सुफा यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, गुलाम इशाक खान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंसेज और इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस टैक्नोलॉजी जैसे शैक्षणिक संस्थानों में ड्रोन पेशेवरों की नई पौध खड़ी की. 


सीमा पर हुई ड्रोन बरामदगी बताती है कि हथियारों की डिलेवरी से लेकर ड्रग्स तस्करी के अधिकतर बड़े मामलों में चीनी कंपनी डीजेआई के MATRICE-300-RTK और MSTRICE-600-RTK जैसे मॉडल्स का इस्तेमाल किया जाता है. यह मॉडल्स बाज़ार में और ऑन-लाइन स्टोर्स पर भी आसानी से उपलब्ध हैं. 


ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक़, जानबूझकर ऐसे ड्रोन्स का इस्तेमाल अधिक किया जाता है जो बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हैं ताकि पकड़े जाने पर भी इनके निशानों को पाक सेना से न जोड़ा जा सके. हालांकि मार गिराए गए ड्रोन्स की तकनीकी पड़ताल रिपोर्ट बताती है कि ड्रोन्स की आवाज़ को कम करने और उनकी पे-लोड क्षमता का बढ़ाने के लिए कुछ बदलाव भी किए जा रहे हैं. 


पाकिस्तान में बैठे आतंकी आका भी अब आईएसआई के इशारे पर अपना कामकाजी मॉडल बदल रहे हैं. पाकिस्तान के आतंकी कारोबार पर एफएटीएफ की बढ़ती सख़्ती और पाबंदियों के चलते ज़ोर उन तरीक़ों पर ज़्यादा है जो पहचान उजागर ना करें. इसके चलते भारत के भीतर ही स्लीपर सेल और ओजीडब्ल्लू (ओवर ग्राउंड वर्कर) नेटवर्क को ड्रोन के ज़रिए डिलेवरी के खेल पर ख़ासा ज़ोर दिया जा रहा है. 


सेना और सुरक्षाबल पाकिस्तान (Pakistan) के इस दांव को काटने के लिए तेज़ी से काम कर रहे हैं. हाल की में बीएसएफ प्रमुख पंकज सिंह यह कह चुके हैं कि ड्रोन और भूमिगत सुरंगों के ख़िलाफ़ प्रभावी तकनीकों को विकसित किया जा रहा है. ताकि आतंकवादी गतिविधियों के लिए हो रही हथियारों और ड्रग्स की डिलेवरी पर प्रभावी लगाम लगाई जा सके. 


ध्यान रहे कि और सुरक्षाबल ड्रोन (Drone) किलर सिस्टम की तैनाती बढ़ाने के साथ ही ज़मीन पर तैनात जवानों को भी ड्रोन घुसपैठ और जवाबी कार्रवाई के बारे में सतर्क और मुस्तैद करने में जुटे हैं.


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