जम्मू: जहां एक तरफ देश में किसान पिछले काफी समय से केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, वहीं जम्मू के किसान इन दिनों अपनी आमदनी दोगुनी करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं. दरअसल, शेर-ए-कश्मीर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जम्मू ने प्रदेश में बासमती की तीन नई किस्में तैयार की हैं, जिनकी पैदावार के बाद किसानों की आमदनी दोगुनी होगी.


विश्व प्रसिद्ध बासमती चावल के लिए मशहूर जम्मू के आरएसपुरा के किसान दयाराम और शैलेंद्र कुमार अपने खेतों में विश्व प्रसिद्ध बासमती नंबर 370 उगाते थे, जिससे ये अपना परिवार पालते थे. लेकिन, बदलते समय के साथ यहां उगने वाली बासमती नंबर 370 में कई सारी दिक्कतें आने लगी थीं, जिससे यह किसान परेशान थे.


किसानों को हो रही परेशानी को देखते हुए जम्मू की शेर-ए-कश्मीर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में पिछले कई सालों से शोध चल रहा था. यह शोध बासमती की नई फसल को तैयार करने के लिए हो रहा था, ताकि दयाराम और शैलेंद्र कुमार जैसे किसानों को जो दिक्कतें हो रही हैं, वह दिक्कत उन्हें न हो. किसानों को आमदानी बढ़ाने और लोगों तक बढ़िया बासमती चावल पहुंचाने के मकसद से इस यूनिवर्सिटी ने बासमती की नई किस्में 118, 123 और 136 तैयार की हैं. शेर-ए-कश्मीर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जम्मू ने एक शोध में पाया है कि बासमती की इस नई किस्मों की पैदावार 1 हेक्टेयर में 45 से 50 क्विंटल के आसपास है, जबकि मौजूदा समय में भी बेची जा रही बासमती 370 की पैदावार 20 से 25 क्विंटल पर हेक्टेयर की है.


वहीं, शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यायल के उपकुलपति डॉ जीपी शर्मा के मुताबिक किसान की कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत हिस्सा बीज का होता है. उनके मुताबिक इसी को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने 12 उन्नत किस्में, जिसमे धान, सब्ज़ी दाले और अखरोट शामिल हैं, को किसानों को दिया है. उनके मुताबिक फसलों की नई किस्म का इस्तेमाल करके न केवल किसान की फसल जल्दी तैयार हो जाएगी, बल्कि फसल की गुणवत्ता पर कोई असर भी नहीं पड़ेगा और इसके साथ ही किसानों की आमदनी बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी. शेरे कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय का दावा है कि अगली खरीफ की फसल में किसानों तक ये बीच पहुंचाए जाएंगे और किसान यह फसल लगाकर अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं.


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