जम्मू: कोरोना की भरी मार जहां देश की अर्थव्ययस्था पर पड़ी है, वहीं श्री माता वैष्णो देवी के बेस स्टेशन कटरा के व्यापारियों को भी कोरोना वायरस को हराने के लिए जारी लॉकडाउन के दौरान 4000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए वैष्णो देवी यात्रा भी करीब 5 महीने बंद रही थी.


कटरा के होटल और रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन के प्रधान राकेश वज़ीर के मुताबिक कोरोना वायरस को हराने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से पहले कटरा में रोज़ाना करीब 15 करोड़ का व्यापार होता था. उनके मुताबिक कटरा के छोटे-बड़े सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान महीने में करीब 450 करोड़ रुपये का व्यापार करते थे.


राकेश वज़ीर के मुताबिक आम धारणा यही है कि वैष्णो देवी की यात्रा शुरू होते ही स्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन जिस तरह से कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए यात्रा की संख्या पुननिर्धारित की गयी है, उससे कटरा के व्यापारियों को कोई लाभ नहीं होने वाला है. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण फैलने से पहले रोज़ाना करीब 50 हज़ार यात्री माता के दर्शनों के लिए आते थे, लेकिन अब 16 अगस्त के बाद रोज़ाना करीब 300 यात्री ही दर्शनों के लिए कटरा आ रहे हैं.


वज़ीर के मुताबिक इतनी कम यात्रा के चलते कटरा में छोटी मोटी दुकानों, ढाबों के अलावा कुछ खुला नहीं है और होटल इंडस्ट्री पर इसकी सबसे अधिक मार पड़ी है. उन्होंने दावा किया कि मौजूदा प्रोटोकॉल्स के तहत अधिकतर स्थानीय लोगों को ही यात्रा में आने की इजाज़त है और यह यात्री न तो होटल में रुकते हैं और न ही खरीदारी करते हैं.


वहीं, कटरा के ढाबा एसोसिएशन के अध्यक्ष रोमेश डोगरा के मुताबिक कटरा में करीब 400 ढाबे हैं और इन ढाबों के मालिक भुखमरी की कगार पर हैं. उन्होंने बताया कि सभी ढाबे वाले लगातार जीएसटी भर रहे हैं, बिजली का बिल दे रहे हैं, इनकम टैक्स दे रहे हैं और सरकार ने उनकी कोई सुध नहीं ली है.


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