पुलवामा हमले की दूसरी बरसी पर जम्मू को दहलाने की थी साजिश, पाकिस्तान में बनाई गई थी IED
पुलवामा हमले की दूसरी बरसी पर जम्मू को दहलाने की पूरी प्लानिंग की गई थी. सुरक्षा बलों का कहना है कि आईईडी को प्लांट करने की जिम्मेदारी नौसिखिए को दी गई थी. आतंकवादी कार्रवाई के लिए पाकिस्तान में बनाई गई आईईडी का इस्तेमाल होना था.
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जम्मू: पुलवामा हमले की दूसरी बरसी पर आतंकी संगठन अल बद्र ने जम्मू को दहलाने की साजिश रची थी. इसके लिए जिस आईईडी का इस्तेमाल हना था उस पर पाकिस्तान ने यूजर मैनुअल लिखा था. सुरक्षाबलों के मुताबिक आईईडी को लगाने की जिम्मेदारी सुहैल नाम के एक नौसिखिए लड़के पर थी. नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठन को पाकिस्तान में बनाई गई आईईडी का इस्तेमाल करना था.
जम्मू को दहलाने की साजिश का खुलासा
आईईडी को हालांकि पाकिस्तान ने सक्रिय नहीं किया था लेकिन उसको सक्रिय करने के लिए दो तारें लगी थीं, जिन्हें जोड़कर सक्रिय किया जा सकता था. आईईडी पर लगे लोहे के ढक्कन पर पाकिस्तान ने आईईडी को शुरू करने का यूजर मैनुअल तक लिखा था. आईईडी पर उर्दू में लिखा है यह साइड दुश्मन की तरफ रखें मतलब कि इसे जिस भी शख्स को लगाना था उससे पहले आईईडी पर लगी दो तारों को जोड़ना था और फिर उर्दू में लिखे यूजर मैनुअल को ऊपर की तरफ रखना था ताकि ज्यादा से ज्यादा तबाही हो सके.
पुलवामा हमले की दूसरी बरसी पर था मंसूबा
जम्मू पुलिस ने आईईडी के साथ सुहैल नाम के लड़के को पकड़ा है. आरोपी चंडीगढ़ में नर्सिंग का छात्र है और कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है. उसका फिलहाल आतंकी गतिविधि का कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है. जम्मू पुलिस की माने तो शहर के कुछ रिश्तेदार जरूर आतंकी संगठनों में रहे हैं लेकिन सुहैल को जम्मू में आईईडी लगाने के बाद कश्मीर जाना था और फिर वहां अल बद्र में शामिल हो जाता. जम्मू पुलिस का कहना है कि आरोपी पढ़ाई के दौरान ही सोशल मीडिया साइट के जरिए आतंकी संगठनों के संपर्क में आया. सोशल मीडिया साइट ने पाकिस्तान में बैठे अल बद्र के हैंडलर्स से जुड़ने का काम किया और फिर हैंडलर्स ने सुहैल तक पाकिस्तान में बनी आईईडी पहुंचाई.
सुहैल को अल बद्र ने जम्मू में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, रघुनाथ मंदिर या लखदित्ता बाजार में आईईडी प्लांट करने की हिदायत दी थी. जम्मू में रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि पाकिस्तान दरअसल नौसिखिया को जम्मू कश्मीर में आतंकी वारदातों को अंजाम देने की जिम्मेदारी सोच समझकर देता है. नौसिखियों को अपने हैंडलर और पाकिस्तान में बैठे आकाओं की ज्यादा जानकारी नहीं होती है. जानकार मानते हैं कि युवाओं को पैसा देकर या फिर इस्लाम की गलत जानकारी देकर बहलाना फुसलाना आसान है, जिसके बाद खतरनाक हमलों को अंजाम देने के लिए तैयार हो जाते हैं.
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