जम्मू: कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जारी लॉकडाउन का असर जहां आम जनजीवन पर पड़ रहा है, वहीं इसके चलते किसानों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. फूलो के गांव से मशहूर जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्र कानाचक के डिब्बे गांव के किसान इन दिनों फूलों की खड़ी फसल को खुद ही काट कर बर्बाद कर रहे हैं.


जम्मू के कानाचक क्षेत्र में भारत पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे गांव डिब्बे को जम्मू में फूलों के गांव से भी जाना जाता है. क्योंकि इस गांव में अधिकतर किसान दिवाली के बाद से फूलों की खेती में जुट जाते हैं. इस साल जम्मू में अच्छी बारिश ने यहां के किसानों के चेहरे खिला दिए थे, क्योंकि रिकॉर्ड तोड़ बारिश से फूलों की बम्पर फसल हुई थी. किसानों को उम्मीद थी कि इस साल नवरात्र और शादियों के मौसम में उन्हें अपनी मेहनत की अच्छी कमाई मिलेगी, लेकिन कोरोना वायरस के चलते घोषित देशव्यापी लॉकडाउन से न केवल जम्मू में धार्मिक स्थल बंद पड़े हैं, बल्कि शादियां और दूसरे सार्वजिनिक समारोह भी रद्द कर दिए गए हैं, जिसका सीधा असर फूल उगा रहे इन किसानो पर पड़ा है.



किसानों का दावा है कि लॉकडाउन के बाद वैष्णो देवी मंदिर से लेकर सभी मंदिर बंद हैं. शादियां रद्द हो गई हैं और ऐसे में फूल बिक नहीं रहे. उनका दावा है कि 6 महीने मेहनत करने के बाद फूलों की बम्पर फसल हुई थी जिन्हे, अब मजबूरन काट कर बर्बाद करना पड़ रहा है.


वहीं, इलाके के सरपंच का दावा है कि इस साल सब कुछ किसानों के हक़ में था. बारिश खूब हुई, जिससे फसल अच्छी हुई और फिर किसानों की अच्छी आमदनी होने की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना ने सारा काम बिगाड़ दिया. उनका दावा है कि अब पूरे इलाके की फूलों की फसल बर्बाद है क्योंकि इन्हें लेने वाला कोई नहीं है. सरपंच का दावा है कई किसानो ने बैंक से लोन लेकर फसल उगाई है और अब अगली फसल को लगाने का समय हो गया है, जिसके लिए ज़मीन खाली करना ज़रूरी है, इसलिए अब यह किसान अपनी खड़ी फसल बर्बाद कर रहे हैं.


किसानो के मुताबिक इस साल हुई बम्पर फसल से उन्हें उम्मीद थी की हर किसान को प्रति कनाल भूमि से 25 से 30 हज़ार रुपये की कमाई होगी.


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