जन मन धन: नोटबंदी को सरकार की बड़ी साजिश क्यों मानते हैं पृथ्वीराज चव्हाण?
नोटबंदी के बाद सरकार की ओर दावा किया गया था कि इससे देश में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा. इसके बाद और एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ कि नोटबंदी के बाद कितना कैशलेस हुआ भारत? ऐसे ही सवालों का मिलेगा जवाब
नई दिल्ली: आठ नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर सरकार जहां जश्न की तैयारी कर रही है, तो वहीं विपक्ष काला दिवस मनाने जा रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि देश जनता को नोटबंदी से क्या मिला? नोटबंदी के बाद सरकार की ओर से दावा किया गया था कि इससे देश में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा. इसके बाद और एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ कि नोटबंदी के बाद कितना कैशलेस हुआ भारत?
नोटबंदी से जुड़े ऐसे ही कई सवालों के जवाब जानने के लिए ABP न्यूज़ विशेष पेशकश लेकर आया है जन मन धन. जनता के सवालों के जवाब देने के लिए सरकार की ओर से रेल मंत्री पीयूष गोयल, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा, बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा होंगे. वहीं विपक्ष की ओर से सरकार के सामने आवाज उठाने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी मौजूद रहेंगे.
जनमनधन में कांग्रेस नेता पृथ्वीराज च्वाहाण ने क्या कहा ?
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- विदेश से कालाधान लाने के लिए बड़े वादे किए गए. अभी तो नाम सामने हैं सरकार बताए कि विदेश से कितना कालाधन वापस आया.
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- जनता ने मोदी जी को मौका दिया लेकिन उन्होंने उसे खो दिया.
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- आठ नवंबर को कांग्रेस पार्टी ने भी प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया था लेकिन बाद सिर्फ घोषणाओं में ही सब कुछ सिमट गया.
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- जीएसटी की प्रणाली इतनी कठिन है कि एक महीने में तीन तीन बार रिटर्न दाखिल करना पड़ा रहा है. आम आदमी तो छोड़िए चार्टेड एकाउंटेंट को भी जीएसटी से जुड़ी जानकारी नहीं है. सरकार रोज जीएसटी से जुड़े नियम और टैक्स की दर बदल रही है.
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- सरकार को बातें साफ करनी चाहिए, मैं आरटीआई के जरिए जानकारी मागं रहा हूं लेकिन कोई जानकारी नहीं दे रहा है. अगर असली उद्देश्य डिजिटलीकरण था तो जनता को इतना कष्ट क्यों दिया?
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- मेरी मांग है कि एक संसदीय कमेटी से इसकी जांच कराई जाए. एक साथ पांच सौ के नोट जिनकी अर्थव्यवस्था अच्छी मात्रा थी वो गायब कर दिए गए. इससे आम गरीब ठेले वाले को भी दिक्कत हुई. वो लोग अचानक डिजीटलीकरण की ओर नहीं जा सकता.
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- शायद किसी ने प्रधानमंत्री से कहा कि जब करेंसी ही नहीं होगी कि लोग रिश्वत कैसे देंगे. इसीलिए प्रधानमंत्री आठ नवंबर को यह बात कह दी. प्रधानमंत्री को नोटबंदी के मामले में भ्रम में रखा गया. हमें जानना चाहिए आठ नवंबर को प्रधानमंत्री क्या सोच रहे थे.
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- नोटबंदी के बाद जेटली साहब ने कहा कि हम तो नोटबंदी के जरिए डिजिटलीकरण करना चाहते थे. जिस देश में 97% लोग केश का इस्तेमाल करते हों वहां पूरी तरह कैशलेस इकॉनमी कैसे हो सकती है.
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- "इन कंपनियों को जब घाटा हुआ तब इन्हें बाह जाने की जरूरत पड़ी. जब राष्ट्रपति ओबामा भारत आए तो उन्होंने इन कंपनियों के संगठन का सदस्य भारत को बना दिया. अमेरिकी सरकार चाहती है कि भारत में सब कुछ डिजीटल हो जाए और अमेरिकी कंपनियों को फायदा हो.''
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा- ''मैं आपको अमेरिका की तरफ ले जाता हूं, जब भी आप क्रेडिट या डेबिट कार्ड को स्वाइप करते हैं तो इन्हें बनाने वाली कंपनियों को क्रेडिट जाता है. अमेरिकी संसद में इसे लेकर एक कानून पास हुआ, इस सकानीन ने वॉल स्ट्रीट का पूरा सिनैरियो बदल दिया. अमेरिका के रिजर्ब बैंक के मुताबिक एक स्वाइप पर 35 सेंट इन क्रेडिट और डेबिट कार्ड बनाने वाली कंपनियों को जाता है. बाद में इसे संशोधन करके 21 सेंट कर दिया गया. कंपनिायं सुप्रीम कोर्ट गईं लेकिन वहां सरकार के संशोधन को सही बताया गया.''
- पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "जब प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का3 एलान किया तो किसी को दिक्कत नहीं थी क्यों कि उद्देश्य बहुत अच्छा था. लेकिन जैसे जैसे समय बीता हकीकत सामने आ गई. मैं नहीं जानता कि किसी एक फैसले से किसी भी देश में एक अरब लोग प्रभावित हुए हों. जैसे जैसे समय बीता सरकार के गोल पोस्ट बदलता गया."