नई दिल्लीः राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर कुछ बड़े नेताओं की चल रही बैठकों पर पार्टी के पूर्व संगठन महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने सवाल उठाया है. द्विवेदी ने पूछा है कि इन बैठकों का आधार क्या है? जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि राहुल गांधी को पद छोड़ने से पहले नए अध्यक्ष के चयन के लिए कोई व्यवस्था करनी चाहिए थी. द्विवेदी ने याद दिलाया कि पूर्व में जब सोनिया गांधी इलाज के लिए लंबे वक्त के लिए विदेश गई थी तो फैसले लेने के लिए नेताओं का एक समूह बना कर गई थी. द्विवेदी ने कहा कि इसी तरह राहुल को भी एक व्यवस्था बनानी चाहिए थी.
किस आधार पर नेता कर रहे हैं बैठक? :-
दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि "आज नए अध्यक्ष को लेकर बैठकें हो रही हैं. वो (जो नेता बैठक कर रहे हैं) कौन हैं? कॉर्डिनेशन कमिटी के नाम पर बैठक हो रही है, जबकि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद कॉर्डिनेशन कमिटी अस्तित्व में ही नहीं है. द्विवेदी ने सवाल उठाया कि अगर इन बैठकों में वरिष्ठता को पैमाना बनाया गया है तो फिर एके एंटनी को आमंत्रित क्यों नहीं किया जाता?
आपको बता दें कि राहुल के सार्वजनिक रूप से इस्तीफे के एलान के बाद नया अध्यक्ष तय करने के लिए अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद आदि की अगुवाई में कुछ कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई है. इसमें मोतीलाल वोरा, मुकुल वासनिक, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितेंद्र सिंह, दीपेंदर हुड्डा जैसे नेता शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सभी सीडब्ल्यूसी सदस्यों से अपनी पसंद बताने को कहा है. द्विवेदी ने इसी प्रकिया पर सवाल उठाया है क्योंकि इस प्रक्रिया को लेकर कोई आधिकारिक एलान नहीं हुआ है. जहां तक इस प्रक्रिया में गांधी परिवार की भूमिका का सवाल है तो राहुल गांधी ने इस प्रक्रिया से अपने आप को अलग रखने का दावा किया है.
पद से 'चिपके' नेताओं पर साधा निशाना :-
कभी पार्टी के बचाव में सबसे अहम आवाज रह चुके द्विवेदी के निशाने पर पार्टी के वैसे नेता भी रहे जो अध्यक्ष के इस्तीफे के बावजूद अपने पदों पर बने हुए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के हटने के फैसले का समर्थन करते हुए द्विवेदी ने पार्टी के बुजुर्ग नेताओं पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "राहुल गांधी का इस्तीफा आदर्श स्थापित करता है. अध्यक्ष इस्तीफा देता है और लेकिन बाकी पार्टी जस की तस चलती रहती है! जो लोग जिम्मेदारी के पदों पर हैं उन्हें राहुल की बातों का पालन करना चाहिए था (यानी इस्तीफा देना चाहिए था). लेकिन ऐसा नहीं हुआ." द्विवेदी के मुताबिक नेताओं में त्याग की भावना होनी चाहिए.
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से ही पार्टी में किनारे लगाए गए द्विवेदी ने पार्टी की मौजूदा स्थिति को कष्टदायक बताया. द्विवेदी ने कहा, "संगठन की स्थिति देख कर पीड़ा होती है. कारण बाहर नहीं भीतर है." आपको बता दें कि सोनिया गांधी के जमाने में जनार्दन द्विवेदी कांग्रेस के कद्दावर नेता हुआ करते थे.
द्विवेदी ने पार्टी को याद दिलाई अपनी वो बातें :-
अपनी बात रखने से पहले जनार्दन द्विवेदी ने याद दिलाया कि पहले भी कैसे उन्होंने अपनी राय बेबाकी से रखी है. द्विवेदी ने कहा कि "कई ऐसी बातें पार्टी में हुई जिससे मैं सहमत नहीं था. मैंने नेतृत्व के सामने अपनी असहमतियों को नहीं छिपाया." द्विवेदी ने कांग्रेस नेतृत्व को आईना दिखाते हुए कहा कि "मैंने आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग की. तब कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बात से किनारा कर लिया था. लेकिन जब मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण दिया तो सारी पार्टियां मौन हो गई." द्विवेदी ने पार्टी को ये भी याद दिलाया कि 'भारतीयता, भारतीय संस्कृति' को लेकर मेरे विचार से पार्टी सहमत नहीं थी. बाद में भारतीय संस्कृति से नजदीकी दिखाने के लिए क्या क्या नहीं करना पड़ा!"
पांच साल पहले इस्तीफा भेज कर सोनिया से कहा था, भगवान आपको छल और निष्ठा का भेद समझने का विवेक दे:-
प्रेस कॉन्फ्रेंस में द्विवेदी ने सितंबर 2014 को तब की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा खत सार्वजनिक किया जिसमें उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की थी. इस चिट्ठी में द्विवेदी ने पार्टी में युवा नेतृत्व को जिम्मेदारी देने की वकालत की थी. चिट्ठी में जनार्दन द्विवेदी ने सोनिया गांधी को ये भी कहा था कि ईश्वर आपको छल और निष्ठा में भेद करने का विवेक दे'. प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में बिना किसी का नाम लिए द्विवेदी ने कहा कि "जिस समाज, संगठन, देश में स्वतंत्र विचार और मुक्त आत्मा का स्वर नहीं सुना जाता, वो समाज, देश मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं रह सकता और वहां लोकतंत्र नहीं रह सकता". हालांकि उन्होंने इस बात को स्पष्ट नहीं किया कि वो ऐसा किसके लिए कह रहे हैं?
एक के बाद एक नेताओं के बयान:-
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने बयान जारी कर मांग की है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक जल्द बुला कर एक तात्कालिक अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएं क्योंकि देरी होने से पार्टी का नुकसान हो रहा है. वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले दिनों में मांग की थी कि किसी युवा नेता के हाथ में पार्टी की कमान देनी चाहिए.
नए कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस सीडब्ल्यूसी की बैठक बहुत जल्द होने वाली है. लेकिन हो रही देरी के बीच नेताओं के बयान आने का सिलसिला जारी है और कई राज्यों में नेता आपस में लड़ने में व्यस्त हैं.