कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले रेड्डी बंधु ने बीजेपी को बड़ा झटका दिया है. पूर्व मंत्री जर्नादन रेड्डी ने कल्याण राज्य प्रगति पक्ष नाम से नई राजनीतिक पार्टी का गठन किया है. जनार्दन ने बोम्मई सरकार पर साइड लाइन किए जाने का आरोप लगाया है.
जनार्दन को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बेल्लारी जाने की अनुमति दी थी. रेड्डी अवैध खनन मामले में आरोपी होने की वजह से करीब 7 साल तक ताड़ीपार रहे हैं. रेड्डी को पूर्व सीएम येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है. कर्नाटक में विधानसभा की 224 सीटों के लिए फरवरी में चुनाव प्रस्तावित है.
बेल्लारी के रेड्डी ब्रदर्स में कौन-कौन?
करुणाकर- रेड्डी बंधुओं में सबसे बड़े हैं. वर्तमान में बीजेपी से विधायक हैं. मंत्री बनाने की अटकलें थी, लेकिन बोम्मई सरकार में तरजीह नहीं मिली.
सोमशेखर- करुणाकर से छोटे हैं. और वर्तमान में बेल्लारी ग्रामीण से विधायक. खनन कार्यों के वक्त सोमशेखर के जिम्मे रेड्डी बंधुओं की संपत्तियों का हिसाब-किताब रहता था.
जर्नादन- जर्नादन सबसे छोटे हैं. येदियुरप्पा की पहली सरकार में मंत्री रह चुके हैं. सीबीआई ने इन्हें ही अरेस्ट किया था. 2015 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी.
(Source- Social Media)
कर्नाटक पॉलिटिक्स में कितने पावरफुल, 3 प्वाइंट्स
- बेल्लारी, कोप्पल, रायचूड़ और विजयनगर जिले की कुल 23 सीटों पर बेल्लारी बंधुओं का प्रभाव है. विधानसभा की कुल सीटों का ये 10% है.
- कर्नाटक में रेड्डी बंधु के 3 करीबी मंत्री हैं. इनमें उनके दोस्त बी श्रीरामूलु और आनंद सिंह का नाम शामिल हैं. कर्नाटक में कुल 33 मंत्री बनाए जा सकते हैं.
- खनन क्षेत्र में काम करने की वजह से रेड्डी बंधुओं का कर्नाटक के एससी बेल्ट में भी पकड़ है. कर्नाटक में 15 सीटें एसटी समुदाय के लिए आरक्षित है.
बीजेपी से क्यों नाराज हैं रेड्डी बंधु?
1. बेल्लारी में खिसक रही जमीन- बेल्लारी में विधानसभा की 5 सीटें हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 3 सीटों पर जीत दर्ज कर ली. टिकट बंटवारे से लेकर चुनावी कैंपेन तक में बेल्लारी बंधु साइड लाइन रहे. अभी भी संगठन में गुटबाजी है, जिस वजह से बेल्लारी बंधु नाराज चल रहे हैं.
2. सरकार में तवज्जों नहीं मिली- येद्दिरुप्पा की पहली सरकार में करुणाकर और जर्नादन को मंत्री बनाया गया था. उनके दोस्त श्रीरामूलु भी मंत्री बनाए गए थे. तीनों को महत्वपूर्ण विभाग भी मिला था, लेकिन इस बार बीजेपी हाईकमान ने रेड्डी बंधु को कैबिनेट में जगह नहीं दी.
3. येदियुरप्पा से करीबी- 2013 में कर्नाटक में विधानसभा हारने के बाद बीजेपी ने येद्दिरुप्पा और रेड्डी बंधु के करीबी माने जाने वाले श्रीरामूलु को पार्टी में वापसी कराई. 2014 में पार्टी को इसका लाभ भी मिला.
2015 में जर्नादन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली तो राज्य के पॉलिटिक्स में एक्टिव हुए. बीजेपी ने उनके भाई को टिकट भी दिया, लेकिन जर्नादन को किनारे कर दिया. येदियुरप्पा के करीबी होने की वजह से जर्नादन खामोश रहे.
2021 में येदियुरप्पा को भी सत्ता छोड़नी पड़ी. इसके बाद बासवाराज बोम्मई सीएम बने. बोम्मई सरकार में जर्नादन पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए.
(Source- Social Media)
अब रेड्डी बंधु की 2 कहानी, जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई.
1. सुषमा के जरिए राजनीति में एंट्री
सोनिया गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद बीजेपी ने विदेशी मूल का मुद्दा बनाया. बीजेपी ने ऐलान किया कि सोनिया जहां से चुनाव लड़ेगी, वहीं से सुषमा स्वराज को भी लड़ाया जाएगा.
कांग्रेस ने सोनिया गांधी को कर्नाटक के बेल्लारी और अमेठी सीट से चुनाव लड़वाने की घोषणा की. सुषमा भी बेल्लारी से पर्चा भर दिया. बीजेपी ने सुषमा की मदद के लिए रेड्डी बंधु से सहयोग माना.
रेड्डी बंधु की पॉलिटिकल में यह पहली एंट्री थी. धीर-धीरे रेड्डी बंधु बीजेपी हाईकमान के करीब होते गए. 2008 में जब बीजेपी बहुमत से दूर हो गई, तो उस वक्त कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस चलाया गया था. जर्नादन को ही इसकी कमान दी गई थी.
ऑपरेशन लोटस सफल हुआ और येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने. कैबिनेट में रेड्डी बंधुओं का दबदबा बढ़ गया. हालांकि, यह दबदबा ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रहा.
2. लोकायुक्त की रिपोर्ट और CBI का शिकंजा
2009 में सुप्रीम कोर्ट के रिटा. जस्टिस संतोष हेगड़े ने करीब 466 पन्नों की एक रिपोर्ट बनाई. रिपोर्ट में दावा किया गया कि कर्नाटक के बेल्लारी में 1 लाख 22 हजार करोड़ रुपए का अवैध खनन किया गया है. रिपोर्ट में बेल्लारी के अलग सम्राज्य की संज्ञा दी गई.
रिपोर्ट जारी होने के बाद 2 चीजें एक साथ हुई. पहला, केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) सक्रिय हो गई और दूसरा रेड्डी बंधु सरकार से निकाले गए. 2011 में काफी पूछताछ के बाद सीबीआई ने जनार्दन को गिरफ्तार कर लिया.
जनार्दन के पास कितनी संपत्ति?
लोकायुक्त को दी गई जानकारी के मुताबिक 2010 में जनार्दन के पास करीब 153 करोड़ रुपए की संपत्ति थी. इसी साल इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में जनार्दन ने बताया कि जब खनन का काम चल रहा था, उस वक्त उनकी कंपनियों के 5000 करोड़ रुपए का टर्नओवर था. हालांकि, इसके बाद उनकी संपत्ति का कोई भी ब्यौरा सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आ पाया.
जगन की तरह कमाल कर पाएंगे जनार्दन?
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी जनार्दन के दोस्त रहे हैं. 2009 में पिता की मौत के बाद जगन भी राजनीतिक में अपनी जगह तलाश रहे थे. इसी बीच सीबीआई ने उन पर शिकंजा कस दिया.
जेल से निकलने के बाद जगन ने नई पार्टी बनाई और पुराने साथियों को जोड़ा. 2019 में उनकी पार्टी सत्ता में आई और जगन मुख्यमंत्री बने. क्या दोस्त जगन की तरह ही जनार्दन कर्नाटक की पॉलिटिक्स में कमाल दिखा पाएंगे?
रेड्डी बंधु का पॉलिटिकल परफॉर्मेंस कुछ भी हो, लेकिन इससे बीजेपी की मुश्किलें जरूर बढ़ेंगी.