उत्तर प्रदेश: वृंदावन में बाल गोपाल की पोशाक, भगवान को पहनाए जाने वाले वस्त्र और श्रीकृष्ण के दरबार की शोभा बढ़ाने वाले वस्त्र ज़्यादातर मुस्लिम कारीगर ही बनाते हैं. वृंदावन की गलियों में कई कारीगर इस काम में लगे रहते हैं. जन्माष्टमी पर काम काफी बढ़ जाता है. हालांकि कोरोना का असर इस बार इनके काम पर भी पड़ा है.


22 साल से पोशाक बनाने का काम करने वाले मोहम्मद बंटी का कहना है यहां कोई भेदभाव नहीं है. कोई मन मुटाव नहीं बहुत प्रेम भाव के साथ हम लोग जन्माष्टमी मनाते हैं.


20 साल से ये काम कर रहे मोहम्मद इमरान का कहना है कि वृंदावन तो कृष्ण की नगरी है. यहां हम लोग मिलजुल कर रहते हैं. ये काम हम खुशी से करते हैं. हमारे बड़े भाई भी यही कहते हैं. जरी मुकुट पोशाक का काम इसे कहते हैं, ठाकुर जी का काम है.


मोहम्मद बंटी बताते हैं कि कोरोना के चलते इस बार काम पर असर पड़ा है. उन्होंने बताया कि करीब 4-5 दिन एक पोशाक बनाने में लगते हैं. जन्माष्टमी के समय काम काफी काम रहता है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते काम काफी हल्का रहा. हमारी यहां बनी पोशाकें भारत में भी और विदेश में भी जाती हैं. काफी मेहनत लगती है.


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