नई दिल्ली: जब देश और दुनिया मुहब्बत के दिन को अपने जूनुन-व-मस्ती के साथ मना रहा था तभी जमीन की जन्नत जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी की दोपहर को फीदायीन आतंकियों ने सुरक्षाबलों के काफिले की एक बस पर कार से हमला किया जिसमें हमारे 40 बहादुर जांबाज़ सिपाही अमर शहीद हो गए. इस हमले को पाकिस्तान की नापाक धरती से चलने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया. भारत ने अपने शहीदों का बदला लेने के लिए पाकिस्तान की सीमा में घुसकर जैश के ठिकानों पर हमला किया और 300 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया. पुलवामा हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर की सीमाओं पर तनाव है. इस तनाव का असर जमीन के फिरदौस पर देखा जा रहा है... तो आइए इस धरती के स्वर्ग के बारे में जानिए- सब कुछ:-


हंसी वादियां, महकते केसर, बर्फ से ढके पहाड़, झिलमिलाती झीलें और यहां के फिज़ा में घुली मोहब्बत. जो भी एक बार कश्मीर आया वो हमेशा के लिए यहीं का हो के रह गया. यहां का सुखन सूफ़ियाना है तो यहां पर आपसी भाईचारा ऐसा कि अजानों से भजनों का रिश्ता देखने को मिलता है. यहां की खूबसूरती ही है कि जिसने भी कश्मीर को देखा उसने कहा कि कश्मीर धरती पे जन्नत है. कहते हैं कि जहांगीर जब सबसे पहली बार कश्मीर पहुंचे तो कहा-


गर फ़िरदौस बर-रू-ए-ज़मीं अस्त
हमीं अस्त ओ हमीं अस्त ओ हमीं अस्त


यानि- अगर धरती पर जन्नत है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है.



ये सूफियों की धरती , ये ऋषियों की जमीन.. ये कलंदरों का बागबां...ये संतों की भूमि... अपने नाम से अपने अतीत के रिश्ते को आज भी जोड़े हुए है. कहा जाता है कि कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर रखा गया था. सुप्रसिद्ध कवि, नाटककार और इतिहासकार कल्हण रचित 'राजतरंगणी' में कश्मीर का इतिहास लिखा है.


कश्मरी- ये वसुंधरा सिर्फ पृथ्वी का एक धरा नहीं है. ये एक तहजीब-संस्कृति की विरासत है, जिसकी मिट्टी में जीने के कई रंग हैं और हर रंग निराले. इनका खानपान ऐसा कि जो सैलानी आए, ज़ाययके को ज़िंदगी भर महसूस करते हैं. केसर की खुशबू ऐसी कि इसका जादू सुखनवरों ने भी अपनी कृति में घोला. यहां के सेब की मिठास ऐसी कि उसका रंगदार, गुलाबी रुप प्रेमचंद को कहानी गढ़ने पर मजबूर कर गया. चीनार के पड़े जिसकी बेमिसाल खूबसूरती वादी को और हसीन और रंगीन बना देते हैं.



कश्मीर के बारे में कुछ और जानकारी


जम्मू और कश्मीर भारत के उत्तर में स्थित राज्य है. पाकिस्तान इसके उत्तरी इलाके (पाक अधिकृत कश्मीर) पर अवैध कब्जा कर के बैठा है. राज्य की आधिकारिक भाषा उर्दू है. जम्मू और कश्मीर की शीतकालीन राजधानी जम्मू है और ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर है. इस राज्य का कुल क्षेत्रफल 222,236 sq.km है. यहां की कुल साक्षरता दर 67.16% है. उर्दू के अलावा भी यहां पर कई भाषाएं जैसे डोगरी, कश्मीरी. पहाड़ी, बाल्टी, गोजरी और डारी बोली जाती है.


इतिहास


इतिहास की बात करें कई कहानियां प्रचलित है. ऐसी ही एक कहानी के अनुसार कश्मीर प्राचीनकाल में हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का पालना रहा है. ऐसी मान्यता है कि कश्मीर के इन वादियों में भगवान शिव की पत्नी देवी सती रहा करती थीं. साथ ही यहां एक राक्षस नाग भी रहता था. इस नाग को वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया और झेलम नदी के रास्ते बहा दिया. इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा.


इसके अलावा भी एक अन्य कहानी प्रचलित है. इसके अनुसार इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था. कश्यपमर से परिवर्तित होकर इसका नाम कश्मीर पड़ा. इसके बाद मौर्य सम्राट अशोक और कुषाण सम्राट कनिष्क के समय कश्मीर बौद्ध धर्म प्रचलन में आया.


वहीं स्थानीय लोगों की मान्यता कुछ और कहती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक कश्मीर घाटी के स्थान पर कभी मनोरम झील थी जिसके तट पर देवताओं का वास था. एक बार इस झील में ही एक असुर कहीं से आकर बस गया और वह देवताओं को सताने लगा. इसके बाद देवताओं ने ऋषि कश्यप से मदद के लिए प्राथना की. इसके बाद देवताओं की मदद करते हुए ऋषि कश्यप ने उस झील को सुखा दिया. इसके बाद उस स्थान पर उस असुर की मौत हो गई और घाटी बम गया. इसके बाद इस जगह को कश्यप मार कहा जाने लगा. यही नाम बाद में कश्मीर बन गया.


मौर्य, कुषाण, हूण, करकोटा, लोहरा, मुगल, अफगान, सिख और डोगरा राजाओं के बाद इस मध्ययुग में यहां मुस्लिम शाषकों का राज रहा. धीरे-धीरे यहां मुसलिम बहुमत हो गया. इसके जब मुग़ल सल्तनत का अंत हुआ तो यह राज्य सिख महाराजा रणजीत सिंह के राज्य में शामिल हो गया.


जम्मू-कश्मीर में कुल कितने जिले हैं


वर्तमान समय में जम्मू कश्मीर में कुल जिलों की संख्या 22 है.जिनके नाम निम्नलिखित है- अनंतनाग, बड़गाम, बांदीपुरा, बारामूला, डोडा, गांदरबल, कारगिल, कठुआ, किश्तवाड़, कुलगाम, कुपवाड़ा, लेह, पुलवामा, पंच, राजौरी, रामबन, रियासी, सांबा, शुपियां,श्रीनगर, उधमपुर और जम्मू.


कश्मीर की संस्कृति और प्रकृति


जब बात कश्मीर की संस्कृति की होती है तो ज़हन में कश्मीरियत का भाव आ जाता है. वही कश्मीरियत जिसपर सबको नाज है. यहां पर सूफ़ी-परम्परा बहुत विख्यात है. यहां पर जो कश्मीरी हिन्दू हैं उनको कश्मीरी पंडित कहा जाता है. यहां पर सेब के फल काफी प्रलिच हैं. ऊन से बने कपड़े खासकर कश्मीरी शॉल पूरी दुनिया भर में मशहूर हैं.



इस राज्य के खानपान की बात करें तो यहां बहुत लजीज व्यंजन खाने को मिलता है. यहां नेनी (बकरे के ग़ोश्त का) क़लिया, नेनी रोग़न जोश, नेनी यख़ियन मच्छ (मछली), इत्यादि मांसाहारी भोजन में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं. वहीं शाकाहारी भोजन में चमनी क़लिया, वेथ चमन, दम ओलुव (आलू दम), राज़्मा आदि फेमस है. कश्मीर के परम्परागत कश्मीरी दावत को वाज़वान कहा जाता है. कश्मीर के खान-पान को देखकर ही पता चलता है कि यह जगह हिन्दू और मूस्लिमानों का मिला-जुला मिश्रण है.



कश्मीर को जन्नत यहां का मौसम और प्राकृतिक सुंदरता बनाती है. यहां हर मौसम में एक अलग रूप लिए नजर आती है. गर्मी में यहां हरियाली का आंचल फैला दिखता है, तो सेबों का मौसम आते ही लाल सेब बागान में झूलते नजर आने लगते हैं. सर्दियों में बर्फ की चादर होती है तो पतझड शुरू होते ही जर्द चिनार का सुनहरा सौंदर्य मन मोहने लगता है.



राज्य में यूं तो कई पर्यटन स्थल हैं जहां जाने की चाहत हर आने वाले पर्यटक की होती है पर गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम तथा पटनीटाप जाए बिना शायद ही कोई रह पाता हो. इनमें से पहले तीन तो कश्मीर वादी में अलग-अलग दिशाओं में हैं तो चौथा पटनीटाप जम्मू संभाग में कश्मीर की ओर जाते हुए रास्ते में पड़ता है.


पाक अधिकृत कश्मीर


कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में हैं. इस क्षेत्र को पीओके यानी पाक अधिकृत कश्मीर कहते हैं. POK का सीमा पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा से, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान के वखन कॉरिडोर, उत्तर में चीन के जिंगजियांग ऑटोनॉमस रीजन और पूर्व में जम्मू-कश्मीर और चीन से मिलती है.


कश्मीर तमाम चुनौतियों के बावजूद आज भी धरती पर स्वर्ग बना हुआ है. कश्मीर किसी जन्नत से कम नहीं है. यहां के लोग, संस्कृति और खान-पान अनेकता में एकता का प्रतीक है. किसी ने सही ही कहा है.


हर चेहरा यहां चांद है, हर जर्रा सितारा
ये वादी-ए-कश्मीर है जन्नत का नजारा