Sharad Yadav death: मध्य प्रदेश जन्म भूमि तो बिहार को बनाया कर्मभूमि, ऐसा रहा जबलपुर से निकलकर मधेपुरा सांसद तक का सफर
Sharad Yadav News: शरद यादव 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने. 1977 में फिर से वह जबलपुर लोकसभा सीट से ही सांसद बने. उन्हें उसी वक्त युवा जनता दल के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दी गई थी.
Sharad Yadav Demise: जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पूर्व नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव अब हमारे बीच नहीं हैं. 75 साल की उम्र में गुरुवार रात उनका निधन हो गया. हर कोई उनके राजनीतिक सफर को याद कर रहा है. उनकी राजनीति की बात होते ही बिहार सामने आता है. राष्ट्रीय स्तर पर उनकी राजनीति बिहार से ही सबसे ज्यादा हुई और बिहार में ही खत्म भी हुई. अधिकतर लोग तो उन्हें बिहार का ही समझने की गलती कर बैठते थे.
मध्य प्रदेश की छात्र राजनीति से निकले शरद यादव की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बिहार से ही बनी. यहां से वह चुनकर कई बार संसद तक पहुंचे. जेडीयू के वह लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. इन सब वजहों से ही लोग उन्हें बिहार का समझ बैठते थे, लेकिन ऐसा नहीं है. बिहार उनके लिए कर्मभूमि रही, जबकि उनकी जन्म भूमि मध्य प्रदेश है.
छात्र राजनीति से की थी शुरुआत
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक किसान परिवार में हुआ ता. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा होशंगाबाद में ही पूरी की. हायर एजुकेशन के लिए उन्होंने होशंगाबाद से बाहर का रुख किया और उन्होंने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया. यहां तक आते-आते उनकी दिलचस्पी राजनीति में हो गई थी. इसके बाद वह छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए. उन्होंने कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (रॉबर्ट्सन मॉडल साइंस कॉलेज) के छात्र संघ अध्यक्ष भी चुने गए. राजनीति के साथ-साथ पढ़ाई में भी तेज थे.
लोहिया और जय प्रकाश नारायण से थे प्रभावित
शरद यादव जब कॉलेज में छात्र राजनीति कर रहे थे, तब देश में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के लोकतंत्रवाद और डॉ. राम मनोहर लोहिया के समाजवाद की क्रांति जोरों पर थी. शरद यादव भी इनसे खासे प्रभावित हुए और आगे के सफर के लिए निकल पड़े. इसके बाद वह युवा नेता के रूप में एक्टिव हो गए और कई आंदोलनों में भाग लिया. इमरजेंसी के दौरान इन्हें जेल भी जाना पड़ा. शरद यादव 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने. 1977 में फिर से वह जबलपुर लोकसभा सीट से ही सांसद बने. उन्हें उसी वक्त युवा जनता दल के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दी गई थी. 1986 में पहली बार शरद यादव राज्यसभा सदस्य चुने गए. 1989 में उन्होंने यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव में जीत दर्ज की. इस जीत के बाद वह केंद्रीय मंत्री बने.
इस तरह बिहार में हुई शरद यादव की एंट्री
वर्ष 1997 में शरद यादव की बिहार में राजनीतिक एंट्री हुई. उन्हें एक तरफ जहां जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया, तो साल 1991 से लेकर 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद भी चुने जाते रहे. 1996 में बिहार से वह पांचवीं बार लोकसभा सांसद चुने गए. 1997 में जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. इसके बाद 1998 में जॉर्ज फर्नांडीस की मदद से जिस जनता दल यूनाइटेड पार्टी का गठन हुआ, उसमें इनकी भूमिका भी प्रमुख रही. 2004 में शरद यादव बिहार से ही राज्यसभा पहुंचे. 2009 में मधेपुरा सीट से सातवीं बार सांसद बने. 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्हें मधेपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, जीवन के अंतिम पड़ाव में उनका अपने घनिष्ठ सहयोगी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मन-मुटाव भी हुआ. इसके बाद इन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
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