कोरोना के खिलाफ जंग में 'रेमडेसिवीर' साबित हो सकती है 'राम बाण'?, जापान ने दी मंजूरी
अमेरिका में FDA रेमडेसिवीर के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे चुकी है. राष्ट्रपति ट्रंप ने 1 मई को खुद इसका एलान किया था.दुनिया में इस वक्त 22 लाख कोरोना के एक्टिव मरीज हैं जबकि 16 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं.
नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना का इलाज ढूंढा जा रहा है. वहीं चार देशों की रिसर्च में एंटीबॉडी खोजने का दावा किया गया है. रिसर्च कोरोना के पक्के इलाज यानी वैक्सीन पर भी की जा रही है लेकिन वैक्सीन बन पाएगी या नहीं ये कहना अभी संभव नहीं है. कोरोना के खिलाफ जंग में एक दवाई उम्मीद की किरण बन कर उभरी है. ये दवाई है रेमडेसिवीर जिसे अब जापान ने भी मंजूरी दे दी है.
हेक्टर केलड्रोन पहले शख्स हैं जिन्होंने रेमडेसिवीर दवाई लेकर अमेरिका के ओरेगोन में कोरोना को हराया. कई दिन तक ICU में रहने के बाद हेक्टर पर रेमडेसिवीर दवा का प्रयोग किया. यही वजह है कि अमेरिका में FDA रेमडेसिवीर के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे चुकी है. राष्ट्रपति ट्रंप ने 1 मई को खुद इसका एलान किया था.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा था, '' मैं खुशी के साथ एलान करता हूं कि गिलियड कंपनी को FDA से रेमडेसिवीर के लिए मान्यता मिल गई है. ये अच्छी खबर है.'' अमेरिका के बाद रेमडेसिवीर को अब जापान ने भी अनुमति दे दी है. दिलचस्प ये है कि चीन की सरकार ने अपनी स्टडी में रेमडेसीवर दवा के इस्तेमाल को खारिज कर दिया था.
भारत में भी रेमडेसिवीर पर स्टडी की जा रही है.अमेरिका में हुई स्टडी से पता चला है कि रेमडेसिवीर से बीमारी चार दिन जल्दी ठीक होती है. साथ ही मौत का खतरा भी कम होता है. यही वजह है कि रेमडेसिवीर दवा की मांग दुनिया भर में हो रही है.
रेमडेसिवीर दवा को इबोला के खिलाफ बनाया गया था लेकिन उस पर ये बेअसर रही लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उम्मीद जगा रही है. रेमडेसिवीर एक एंटी वायरल दवाई है. इसे इंजेक्शन से शरीर में डाला जाता है. शरीर में जाने के बाद ये फेक जेनेटिक बिल्डिंग ब्लॉक बनाती है. वायरस जब इन पर आक्रमण करता है तो वायरस में बदलाव होता है. जिससे वायरस नई कॉपी बनाना बंद कर देता है. वहीं पुराने विषाणु धीरे-धीरे अपनी मौत मरने लगते हैं.
दुनिया में इस वक्त 22 लाख कोरोना के एक्टिव मरीज हैं जबकि 16 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं. मौत का आंकड़ा दो लाख सत्तर हजार के पास पहुंच गया है. जैसे जैसे दवाईयां कामयाब होंगी ठीक होने का आंकड़ा बढ़ता जाएगा. ऐसी ही एक दवाई है हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन जिसे HCQ भी कहा जाता है. HCQ मलेरिया से लड़ने के लिए बनी दवाई है. ये दवाई कोरोना वायरस से होने वाले एसिडिफेशन को रोकती है. जिससे कोरोना वायरस शरीर के सेल्स को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाता. लेकिन ये बचाव की दवाई ज्यादा है.
इतना ही नहीं कम से कम 11 ऐसे रिसर्च चल रही हैं जो एंटीबॉडी बनाने में काम कर रही हैं. इजराइल, अमेरिका, इटली और नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना की एंटीबॉडी खोज ली है. ये एंटीबॉडी कोरोना वायरस के खतरनाक प्रोटीन को बेअसर करती है. जिससे संक्रमण रुक जाता है. लेकिन असली इलाज होगी कोरोना की वैक्सीन जो कोरोना विषाणु का खत्म करने की ताकत रखेगी. जिस पर अभी रिसर्च की जा रही है.
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