जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने पीएम मोदी के साथ हुई शिखर वार्ता के दौरान यूक्रेन संकट और रूस की सैन्य कार्रवाई का मुद्दा भी उठाया. जापानी पीएम ने इस बात का आग्रह किया कि मौजूदा संकट ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव हिला दी है. ऐसे में लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करने वाले भारत औऱ जापान को और अधिक मजबूती से मिलकर काम करने की जरूरत है.
जापान की सरकारी मीडिया के मुताबिक किशिदा ने बातचीत के दौरान इस बात पर जोर दिया कि रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ किया गया आक्रमण एक गंभीर स्थिति है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव को हिला देने वाला है. इसका ठीक तरीके से समाधान जरूरी है, क्योंकि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की इजाजत किसी भी क्षेत्र में नहीं दी जानी चाहिए. साथ ही जरूरी है कि विवादों का शांतिपूर्ण समाधान अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किया जाए.
दोनों देशों के बीच हुई शिखर वार्ता में जापानी नेतृत्व ने यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए भारत से सहयोग का भी आग्रह किया. साथ ही यूक्रेन में मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए भी साथ आने का प्रस्ताव दिया. जापान पलायन कर रहे यूक्रेनी लोगों की मदद के लिए यूक्रेन के कई पड़ोसी देशों को मदद के तौर पर 10 करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता का ऐलान कर चुका है.
दोनों देशों की बातचीत के बाद मीडिया से रूबरू हुए भारतीय विदेश सचिव डॉ हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि प्रधानमंत्री किशिदा और मोदी की बातचीत में यूक्रेन का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा. पीएम मोदी ने यूक्रेन के हालात पर अपनी चिंता जताई. साथ ही इस घटनाक्रम को लेकर अपने आकलन भी साझा किए इंडो-पैसिफिक के संदर्भ में. हालांकि पीएम मोदी ने भारत-जापान शिखर वार्ता के दौरान कैमरों के आगे दिए भाषण में रूस-यूक्रेन संकट का जिक्र नहीं किया.
विदेश सचिव के मुताबिक विभिन्न स्तर पर हुई अपनी बातचीत में दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, यूएन चार्टर, देशों की क्षेत्रीय संप्रभुता के परस्पर सम्मान और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन से बनी है. बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन के परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर भी जोर दिया गया. साथ ही अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी के प्रयासों पर भी विमर्श किया. भारत और जापान ने आग्रह किया कि तत्काल संघर्ष विराम और शांतिपूर्ण वार्ता के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
विदेश सचिव ने बताया कि भारत-जापान शिखर वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने चीन को लेकर भी चर्चा की. दोनों पक्षों ने ताजा स्थितियों पर एक-दूसरे से जानकारी साझा की. भारत ने जहां पूर्वी लद्दाख में ताजा स्थिति, चीनी सैन्य जमावड़े और हालात को सुलझाने के लिए हो रही बातचीत के बारे में जापान को बताया. वहीं जापान ने भी ईस्ट चाइना सी के बारे में ताजा घटनाक्रमों के बारे में भारत से सूचनाएं साझा की.
भारत और जापान की यह शिखर वार्ता अगले माह होने वाली क्वाड शिखर बैठक के लिहाज से अहम है. अमेरिका जहां यूक्रेन युद्ध के आधार पर रूस के खिलाफ लामबंदी और आर्थिक नाकेबंदी मजबूत कर रहा है. वहीं उसकी कोशिश क्वाड के क्लब में भी एकमत बनाने की है. क्वाड समूह में जहां जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया खुलकर रूस के खिलाफ खड़े हैं. वहीं भारत इस मामले में किसी एक पक्षीय रुख को अपनाने से परहेज जता चुका है. ऐसे में माना जा रहा है कि 19 मार्च को जापान से हुई शिखर वार्ता और 21 मार्च को ऑस्ट्रेलिया से होने वाली शिखर बैठक भारत के रुख पर आग्रह का दबाव बनाने की भी कवायद है. मार्च 21 को होनी वाली वर्चुअल शिखर वार्ता में ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन, पीएम मोदी की मेजबानी करेंगे.
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