विदेशी कंपनियों का भरोसा भारत पर बढ़ता जा रहा है. टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में दुनिया का हब माने जाने वाले जापान की सबसे बड़ी कंपनी जल्द ही भारत आ रही है. इससे चीन को बड़ा झटका लगेगा क्योंकि उसकी गलत नीतियों के चलते बड़-बड़ी कंपनियों ने उससे किनारा करना शुरू कर दिया है. वहीं, विदेशी कंपनियां भारत को विकल्प के तौर पर देख रही हैं. अब जापानी कंपनी ने भी भारत में अपना मार्केट बढ़ाने का फैसला किया है.


बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, जापान की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार टीडीके कॉर्पोरेशन भारत आ रही है. यह कंपनी एपल इंक की वैश्विक लीथियम आयन (Li-ion) बैटरी सप्लायर है.  टीडीके भारत में एपल के आइफोन के लिए बैटरी सेल का निर्माण करेगी. सूत्रों के मुताबिक, यह कंपनी भारत में एपल के लीथियम आयन बैटरी के लिए सेल असेंबलर सनवोडा इलेक्ट्रॉनिक्स को सप्लाई करेगी. देश में फिलहाल सनवोडा इलेक्ट्रॉनिक्स ही लीथियम आयन बैटरी सेल की सप्लाई करती है. सनवोडा दुनियाभर की विभिन्न मार्केटों से बैटरी इंपोर्ट करती है.


हरियाणा में खरीदी 180 एकड़ जमीन
टीडीके भारत में लीथियम आयन बैटरी के सेल निर्माण के लिए हरियाणा के मानेसर में प्लांट लगाएगी. इसके लिए उसने यहां 180 एकड़ जमीन भी खरीद ली है. टीडीके जल्द ही एपल को सप्लाई करने के लिए बैटरी सेल का निर्माण शुरू कर देगी. साथ ही देश में नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे और आईटी प्रोफेशनल्स को भी इसका लाभ मिलेगा. टीडीके के भारत में एपल सेल का प्रोडक्शन करने से देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा. विदेशी रेटिंग एजेंसियों ने आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया है.


खुलेंगे रोजगार के अवसर
आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट को अपने X (ट्विटर) अकाउंट पर शेयर किया है. पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'भारत में मोबाइल मैन्यूफेक्चरिंग को बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी पीएलआई योजना के लिए एक और बड़ी जीत. एपल के लिए सेल की सबसे बड़ी सप्लायर टीडीके हरियाणा के मानेसर में 180 एकड़ जमीन पर यूनिट लगाने जा रही है, जहां #MadeInIndia आइफोन की बैटरी के सेल का निर्माण किया जाएगा. एपल, टीडीके और हरियाणा के मुख्यमंत्री को मुबारकबाद. देश में इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार को बढ़ावा देने और दुनियाभर की बड़ी एवं प्रमुख कंपनियों को यहां लाने के भारत सरकार के लक्ष्य को साकार करने के लिए बधाई.' टीडीके के भारत में आने से 8,000 से 10,000 तक नौकरियों के अवसर खुलेंगे.


चीन को झटका
भारत का मार्केट काफी बड़ा है इसलिए कंपनियां यहां पैसा लगा रही हैं, जबकि चीन को नुकसान उठाना पड़ रहा है. दरअसल, चीन की गलत नीतियों और दखलअंदाजी के कारण कई कंपनियों ने चीन से निकलने का फैसला कर लिया है और ये कंपनियां भारत को बड़े विकल्प के तौर पर देख रही हैं. 7 नवंबर को ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 25 सालों में पहली बार चीन का फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) माइनस में चला गया है. उसके विदेशी निवेश में 11.8 बिलियन डॉलर की कमी आई है. दूसरे देश की परियोजना या कंपनी में किया जाने वाला निवेश एफडीआई कहलाता है. यह डायरेक्ट निवेश होता है, जिसके जरिए किसी देश की कंपनी दूसरे देश की कंपनी में अहम हिस्सेदारी खरीदकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर पैसा कमाती है.


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