Japanese Encephalitis: असम में एक महीने में जापानी इंसेफेलाइटिस से 77 लोगों की मौत, जानिए इसके लक्षण और बचाव
Assam Japanese Encephalitis: असम में पिछले एक महीने में जापानी इंसेफेलाइटिस से अबतक 77 लोगों की मौत हो गई है और 370 लोग संक्रमित हैं. जानिए क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस, इसके लक्षण और बचाव.
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Japanese Encephalitis: असम में पिछले एक महीने के दौरान मस्तिष्क ज्वर (Japanese Encephalitis) के कारण अब तक 77 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि इसके 370 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) की ओर से जारी एक बुलेटिन यह जानकारी दी गयी है. बुलेटिन के मुताबिक कामरूप जिले (Kamrup District) में जापानी इन्सेफेलाइटिस के संक्रमण के कारण दो लोगों की मौत की सूचना मिली है. इसके अलावा गोलपाड़ा (Goalpara) और सोनितपुर (Sonitpur) में संक्रमण का एक-एक मामला सामने आया है. इसके अनुसार अब तक राज्य में संक्रमण के 377 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
असम के सभी नौ मेडिकल कॉलेज और 10 जिला अस्पतालों को गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) और प्रयोगशाला जांच सुविधाओं (Test Lab) के साथ तैयार रखा गया है. इन सभी को जापानी इन्सेफेलाइटिस के उपचार केंद्रों के रूप में नामित किया गया है.
बता दें कि हर साल बारिश के मौसम में जापानी इन्सेफेलाइटिस और मलेरिया से असम में कई लोगों की जान चली जाती है. बीते साल भी इस बीमारी की वजह से असम में कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई थी.
क्या है जापानी इन्सेफेलाइटिस
जापानी बुखार या जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) वायरस एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) का एक प्रमुख कारण है. ये मच्छरों के काटने से फैलता है. ये मच्छर Flavivirus से संक्रमित होते हैं. इससे संक्रमित मरीज में मस्तिष्क के आसपास की झिल्लियां प्रभावित होती हैं. यह संक्रामक बुखार नहीं है और ना ही इसका ट्रांसमिशन होता है यानी यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है.
क्या हैं लक्षण
- जापानी बुखार से पीड़ित मरीज में लक्षण 5 से 15 दिनों बाद दिखाई देता है.
- अधिकांश मामलों में संक्रमित मरीजों में शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते.
- लक्षण होते भी हैं तो बहुत हल्के होते हैं.
- लक्षण सामने आते हैं जब मस्तिष्क में सूजन की समस्या होती है.
- तेज सिरदर्द, बुखार, कंपकंपी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
- गर्दन में अकड़न भी होती है.
- कभी-कभी संक्रमित व्यक्ति के कोमा में चले जाने की भी आशंका होती है.
कैसे करें बचाव
- मच्छरों से बचकर रहें.
- मच्छरदानी का प्रयोग करें.
- देश में जापानी बुखार का टीका उपलब्ध है.
- मरीज की हालत गंभीर होने पर टीका दिया जाता है.
- बरसात के दिनों में पूरे शरीर को ढककर रखें.
- डॉक्टर की सलाह जरूर लें
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