दिल्ली के हरियाणा भवन में चली अहम बैठक में हरियाणा सरकार ने जाट संगठनों की मांगें मानाने का आश्वासन दिया है. इसके बाद अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे जाट संगठनों ने सोमवार का संसद मार्च स्थगित करने का एलान किया. इसके साथ ही जाट नेताओं ने कहा है कि हरियाणा में तमाम जगहों पर चल रहे धरनों को भी 26 मार्च तक खत्म कर दिया जाएगा.
इसके साथ ही दिल्ली वालों को सोमवार को होने वाली बड़ी परेशानी भी खत्म हो गई. क्योंकि इसके पहले जाटों के संसद मार्च के मद्देनजर जहां दिल्ली को छावनी में तब्दील कर दिया गया था वहीं मेट्रो सेवाओं से लेकर दिल्ली की सड़कों पर आवाजाही को लेकर कई तरह के रोक का एलान किया गया था. हालांकि कल संसद के आस-पास के चार मेट्रो स्टेशन पटेल चौक, केंद्रीय सचिवालय, उद्योग भवन और लोक कल्याण मार्ग स्टेशन पर बाहर निकलने पर रोक रहेगी.
जाट नेताओं के साथ हुई बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा 2 केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे. सरकार ने जाटों की मांगें मानने की बात तो कही लेकिन कोई समय सीमा नहीं बताई. खट्टर ने कहा कि जाटों के साथ न्याय किया जाएगा. समझौते में जो प्रमुख मांगें गई हैं उसके मुताबिक
- केंद्र में जाटों को आरक्षण देने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग प्रक्रिया की शुरुआत करेगा
- हाई कोर्ट से राहत मिलने पर हरियाणा सरकार जाट आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने के लिए केंद्र से अनुरोध करेगा
- जाट आंदोलन के दौरान हुए मृतकों के परिजनों और अपाहिजों को सरकारी नौकरी मिलेगी
- जाट आंदोलन के दौरान हुए घायलों को मुआवजा दिया जाएगा
- जाट आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मामलों की समीक्षा होगी
- जाट आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं में दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की बात कही गई है
पिछले 50 दिनों से आंदोलन कर रहे जाट नेताओं ने कहा कि उन्हें सरकार के आश्वासन पर भरोसा है. सरकार ने आश्वासन दिया, जाट नेताओं ने भरोसे की बात कही. लेकिन मांगों को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है. ऐसे में सवाल ये है कि जाट फिर से सड़क पर नहीं उतरेंगे इसकी गारंटी कौन लेगा?