जाटों का धरना 45वें दिन भी जारी, अब दिल्ली कूच की तैयारी
जींद: अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति का धरना आज ईक्कस गांव में 45वें दिन भी जारी रहा. होली और फाग के दिन भी धरना स्थल पर बड़ी संख्या में पुरूष और महिलाएं मौजूद थे.
समिति के जिला प्रधान वीरभान ढुल ने बताया कि जींद जिले में 306 गांव हैं, इनमें 17 खाप और तपे हैं. सभी गांवों के लोग अपने-अपने गांव में कमेटियां बनाकर 20 मार्च को दिल्ली कूच की तैयारियों में लगे हुए हैं. इसके लिए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का पंजीयन किया जा रहा है. अन्य वाहनों का भी प्रबंध किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि 20 मार्च को पूरी दिल्ली जाम हो जाएगी. दिल्ली की हर सड़क पर लोग ही लोग दिखाई देंगे. इस मौके पर महिलाओं ने कहा कि वे भी दिल्ली कूच में शामिल होना चाहती हैं. इस पर ढुल ने कहा कि इस बारे में केंद्रीय कमेटी से सलाह-मशविरा कर फैसला लिया जाएगा.
जाट आरक्षण: केंद्र ने की दिल्ली और पड़ोसी राज्यों की सुरक्षा की समीक्षा
आरक्षण की मांग को लेकर अगले हफ्ते राजधानी का घेराव करने की जाटों की धमकी के मद्देनजर केंद्र ने यहां और पड़ोसी राज्यों की सुरक्षा स्थिति की आज समीक्षा की. केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक के बाद वहां की कानून व्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से प्रदर्शन के दौरान शांति सुनिश्चित करने और सामान्य जनजीवन को बाधित करने की कोशिशों को रोकने का निर्देश दिया. अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने दो मार्च को धमकी दी थी कि यदि शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की उनकी मांग नहीं मानी गयी तो वह 20 मार्च से शहर का घेराव करेगी.
'‘दिल्ली कूच’ के दौरान पुलिस ने रोका तो जाट करेंगे घेराव'
समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा था कि पड़ोसी राज्यों से जाट अपने ट्रैक्टरों और छोटे वाहनों पर सवार होकर और दस दिनों का राशन लेकर राजमार्गों पर दिल्ली की ओर कूच करेंगे. उन्होंने कहा था, ‘‘यदि ‘दिल्ली कूच’ के दौरान पुलिस ने रोका तो जाट घेराव करेंगे और राष्ट्रीय राजधानी जाने वाले सभी बड़े राजमार्गों को बाधित कर देंगे. ’’ उन्होंने कहा था कि जाट दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालेंगे और बाद में संसद का घेराव करेंगे.
जाट सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में नौकरियों में आरक्षण, पिछले साल के आंदोलन के दौरान जाट युवकों पर दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने, जेल में बंद लोगों को रिहा करने, हिंसा में मारे गए लोगों के रिश्तेदारों को मुआवजा और सरकारी नौकरियां देने की मांग कर रहे हैं.