मथुरा के जवाहर बाग कांड की जांच 4 साल बाद भी अधूरी, SC ने शहीद एसपी की पत्नी से HC जाने को कहा
2 जून 2016 को रामवृक्ष यादव द्वारा कब्जा किये गए जवाहर बाग को खाली कराने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. रामवृक्ष यादव के समर्थकों ने पुलिस पर हमला कर दिया था. इसी दौरान एसपी (सिटी) मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार यादव समेत 30 लोगों की मौत हो गई थी.
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मथुरा: मथुरा के जवाहर बाग कांड की सीबीआई जांच 2 महीने में पूरी करने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट पहले ही जांच की निगरानी कर रहा है. घटना में मारे गए पुलिस एसपी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना ने याचिका दाखिल की थी.
जवाहर बाग को खाली कराने के दौरान भड़की थी हिंसा 2 जून 2016 को जवाहर बाग में अपने समर्थकों के साथ कब्ज़ा कर बैठे रामवृक्ष यादव को निकालने पहुंची पुलिस टीम पर हमले में एसपी मुकुल द्विवेदी समेत 30 लोग मारे गए थे. स्वाधीन भारत सत्याग्रह के नाम से संगठन चला कर उलजुलूल मांगे रखने वाले रामवृक्ष ने 2 साल से पार्क को आम लोगों के लिए बंद कर रखा था.
पुलिस टीम हाई कोर्ट के आदेश पर वहां कार्रवाई के लिए पहुंची थी. बाद में यह बात भी सामने निकल कर आई कि करीब 3000 लोगों के समूह ने वहां हथियारों का भारी जखीरा भी जमा कर रखा था. बताया जाता है कि यूपी की तत्कालीन सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं की शह रामवृक्ष को हासिल थी.
घटना के बाद वहां ज्यादा बड़ी तादाद में पहुंचे पुलिस बल को यह बताया गया कि पार्क में मौजूद झोपड़ी में आग लग जाने से रामवृक्ष समेत 11 लोग जल कर मर गए. इस मामले में लगातार शक जताया जाता रहा कि शायद रामवृक्ष की मौत नहीं हुई थी. उसे किसी और रास्ते से बचाकर निकाल दिया गया था.
2 मार्च 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपी
2 मार्च 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपी और 2 महीने में रिपोर्ट देने को कहा. लेकिन सीबीआई की जांच अब तक बेनतीजा है. याचिकाकर्ता के वकील अश्विनी उपाध्याय ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पार्क पर कब्जे की साजिश, वहां पर हथियारों के जमा होने के साथ ही रामवृक्ष यादव की मौत जैसे मामले के तमाम पहलुओं पर आज तक अंधेरा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट जांच की समय सीमा तय करे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाई कोर्ट इस मामले की निगरानी कर रहा है
लेकिन चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह कहते हुए सुनवाई से मना कर दिया कि हाई कोर्ट इस मामले की निगरानी कर रहा है. समय समय पर सीबीआई से रिपोर्ट ले रहा है. जजों का कहना था कि जांच में अगर कोई बदलाव किया जाना है. तो इसकी मांग हाई कोर्ट में ही की जानी चाहिए. याचिकाकर्ता चाहे तो नए सिरे से हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकती हैं. यूपी: लखीमपुर खीरी में छात्रा की रेप के बाद हत्या, योगी ने दिए अपराधियों पर NSA लगाने के निर्देश
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