वीडियो में दिख रहे जवान का 2010 में किया गया था कोर्ट मार्शल: आईजी
जम्मू: सोशल मीडिया पर 75 लाख से अधिक लोगों ने जिस जवान के दर्द को देखा है. सरकार से लेकर सेना में जिस जवान की चर्चा जोरों पर है उससे जुड़ी अब बड़ी खबर आई है. बीएसएफ ने आज कहा कि जिस जवान ने एक वीडियो में नियंत्रण रेखा पर जवानों को घटिया खाना परोसे जाने का दावा किया है, उसका 2010 में कोर्ट मार्शल किया जा चुका है.
बीएसएफ की तरफ से बताया गया है कि इस जवान(तेज बहादुर यादव) को अनुशासनहीनता और एक वरिष्ठ अधिकारी पर बंदूक तानने के लिए 2010 में कोर्ट मार्शल किया जा चुका है. इसके बावजूद तेज बहादुर के सोशल मीडिया पर बताए गये दर्द की पूरी जांच का बीएसएफ की तरफ से आश्वासन दिया जा रहा है.
बीएसएफ के महानिरीक्षक डी.के. उपाध्याय ने बताया, 'एक उच्च स्तरीय जांच चल रही है क्योंकि बीएसएफ ने उस कांस्टेबल के लगाए आरोपों को बहुत गंभीरता से लिया है. हालांकि, पहली जांच में यह पाया गया कि उस जगह पर तैनात दूसरे किसी जवान को वहां दिए जा रहे भोजन की गुणवत्ता को लेकर कोई समस्या नहीं थी.'
महानिरीक्षक ने कहा कि पूर्व में उस शिविर का दौरा करने वाले डीआईजी स्तर के अधिकारियों को इस तरह की कभी कोई शिकायत नहीं मिली जैसी शिकायत कांस्टेबल तेज बहादुर यादव ने की है. ‘‘ यहां तक कि यादव ने भी डीआईजी के वहां जाने पर उनसे कोई शिकायत कभी नहीं की.’’
आपको बता दें कि तेज बहादुर नामक एक जवान ने अपने ही अधिकारियों से अपनी जान को खतरा बता रहा है और डर की वजह रोटी का एक टुकड़ा है. बीएसएफ के अधिकारियों पर खाने में घोटाले का आरोप लगाते हुए तेज बहादुर यादव ने सबूत जुटाने के लिए स्टिंग ऑपरेशन भी किया है.
खास बात है कि अपने कैंप के खाने पीने में हो रहे कथित घोटाले के लिए तेज बहादुर केवल अपने अधिकारियों पर आरोप लगा रहा है, सरकार या सेना प्रशासन पर नहीं. रोटी के एक टुकड़े और दाल के नाम पर हल्दी पानी का ये मसला उस समय और गंभीर हो जाता है जब आपको पता चलेगा कि तेज बहादुर को कहां और किस हालत में अपनी ड्यूटी निभानी पड़ती है. तेज बहादूर कहते हैं कि देशवासियों मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूं. हम लोग सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक, लगातार 11 घंटे इस बर्फ में खड़े होकर ड्यूटी करते हैं. कितना भी बर्फ हो, बारिश हो, तूफान हो, इन्हीं हालातों में हम ड्यूटी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर अपने संदेश को डालते हुए तेज बहादुर ने अपील की है कि उसके दर्द को देश समझे.