गढ़चिरौली में सुरक्षाबलों को दो दिन में दूसरी कामयाबी, अब तक 37 नक्सली ढेर
पिछले साल अप्रैल में सुकमा में नक्सलियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ जवानों पर भी हमला किया था. इसमें 25 जवानों की मौत हो गई थी.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जवानों को नक्सलियों के खिलाफ 48 घंटे के अंदर एक और बड़ी कामयाबी मिली है. छत्तीसगढ़ की सीमा पर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में महाराष्ट्र पुलिस की स्पेशल टीम सी-60 ने कई और नक्सलियों को ढेर कर दिया है.
दो दिन के भीतर दो एनकाउंटर में अब तक 37 नक्सली मारे जा चुके हैं. रविवार को 16 नक्सली मारे गए थे और उसके बाद अब 21 और नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. कई शव गढ़चिरौली जिले में इंद्रावती नदी से आज बरामद किये गये. एक अधिकारी का कहना है कि शव रविवार को हुई मुठभेड़ के दौरान भाग निकलने वाले नक्सलियों के हो सकते हैं. शायद इनकी मुठभेड़ में घायल होने के बाद मौत हो गई होगी.
ध्यान रहे की समूचे गढ़चिरौली जिले में नक्सलियों के खिलाफ खोज अभियान जारी है. इस क्षेत्र को सुरक्षाबलों ने लगभग चारों तरफ से सील कर दिया है. नक्सलियों को ढूंढ़ निकालने के लिए जंगलों, गांवों, पहाड़ियों और घाटियों में खोज अभियान जारी है. हालिया मुठभेड़ सोमवार को जिमलागट्टा के राजाराम कनहिला गांव में हुई थी. मृतकों में अहेरी दलम का कमांडर भी शामिल है, जिसकी पहचान नंदू के रूप में हुई है.
नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलता के बाद सुरक्षाबलों ने जश्न भी मनाया. गढ़चिरौली के अहेरी पुलीस मुख्यालय में सी-60 के जवानों ने गानों पर ठुमके लगाए.
WATCH: Jawans celebrate after completing two successful encounters at two different locations in Gadchiroli. #Maharashtra pic.twitter.com/pSrSce6pAH
— ANI (@ANI) April 23, 2018
बता दें कि गढ़चिरौली में सुरक्षाबलों के जवान ही नहीं, बल्कि स्थानीय नागरिक भी नक्सलियों के निशाने पर रहते हैं. पिछले साल अप्रैल में सुकमा में नक्सलियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ जवानों पर भी हमला किया था. इसमें 25 जवानों की मौत हो गई थी.
भारत में कहां से शुरु हुई नक्सल आंदोलन की शुरुआत? भारत में नक्सल आंदोलन की शुरुआत पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई थी. इसी लिए इस आंदोलन को नक्सल आंदोलन कहा जाता है. दरअसल ये आंदोलन भूमि सुधार के खिलाफ था. भूमि मालिकों के जरिये किसानों के जमीन को हड़पने से किसानों में काफी गुस्सा था. ये गुस्सा नक्सल आंदोलन की वजह बना. नक्सल आंदोलन के जनक चारु मजूमदार हैं.इसका गठन 1967 में किया गया था. ये आंदोलन अपने शुरुआती दौर में तो किसानों की हक की लड़ीई के तौर पर शुरू हुआ, लेकिन धीरे-धारे ये हिंसक होता गया, और जल्द ही पूरे देश में फैल गया.
कई राज्यों में फैला नक्सलवाद चारू मजूमदार के अलावा नक्सल आंदोलन के बड़े नेता हरेकृष्ण और कानू सान्याल थे. किसान आंदोलन से एक संगठन का रूप ले चुके नक्सल आंदोलन की छवि रॉबिनहुड की बनी. पश्चिम नक्सल आंदोलन का गढ़ बना. 70 के दशक में पश्चिम बंगाल में इनसे लड़ने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को भेजा गया.
90 के दशक में नक्सलियों का दबदबा कई राज्यों तक फैल गया. केरल, बिहार, आंध्र प्रदेश, में इसकी गतिविधियां तेजी से बढ़ी. अब नक्सलवाद देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. नक्सलवाद झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, आंध्र प्रदेश कर्नाटक और यूपी के कुछ जिलों तक फैल गया है.