चेन्नई: अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता के निधन के बाद ओ पनीरसेल्वम ने आज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. यह उनका इस पद के लिए तीसरा कार्यकाल है. पनीरसेल्वम को राजभवन में राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने रात करीब एक बजकर 15 मिनट पर शपथ दिलाई.


पनीरसेल्वम के बाद पिछली जयललिता कैबिनेट के सदस्य रहे कुल 31 मंत्रियों ने शपथ ली. राव ने पनीरसेल्वम को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.


वह तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. इससे पहले वह वर्ष 2003 और 2014 में भ्रष्टाचार के दो अलग अलग मामलों में जयललिता के दोषी ठहराए जाने पर मुख्यमंत्री बने थे.



पन्नीरसेल्वम थेवर समुदाय से हैं और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं.पन्रनीरसेल्वम अपनी वफादारी वाली छवि की वजह से जाने जाते हैं. आय से अधिक संपत्ति के मामले में जब जयललिता को जेल जाना पड़ा था, तब जयललिता ने पनीरसेल्वम को ही अपना उत्तराधिकारी बनाया था और जयललिता की अनुपस्थिति में पनीरसेल्वम को कार्यकारी मुख्यमंत्री बनाया गया था.


बताया जाता है कि पनीरसेल्वम के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि उनकी पार्टी पर उतनी मजबूत पकड़ नही है जितनी जयललिता की है. इसके अलावा उनकी खुद की अपनी कोई खास छवि या प्रभाव नहीं हैं.


जयललिता को कैसे मिली थी पार्टी की कमान
दिसंबर 1987 में एम.जी रामाचंद्रन की मृत्यु के बाद जयललिता को उनका उत्तराधिकारी बनाने के लिए एमजीआर की पत्नी जानकी से एक तीखा चुनाव लड़ना पड़ा. जानकी खुद अपना चुनाव हार गईं. जयललिता नेता विपक्ष बनने के साथ ही एमजीआर की असली उत्तराधिकारी बन गईं. तमिलनाडु की राजनीति में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. तमिलनाडु की कुर्सी पनीरसेल्वम या शशिकला, किसके हिस्से जाएगी इसके बारे में अभी निर्णायक तौरपर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन जयललिता के वारिस के तौर पर फिलहाल यही दो नाम सबसे आगे चल रहे हैं.