पटना: झारखंड विधानसभा में बीजेपी को मिली करारी हार का साइड इफेक्ट इतना हुआ कि दिल्ली चुनाव में जेडीयू और एलजेपी को सीटें मिल गई. जेडीयू को दो सीट और एलजेपी को एक सीट. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए की एकजुटता की एक मिसाल के तौर पर देखा जा सकता है. वहीं पार्टी में दरार भी देखी जा रही है.


दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जेडीयू ने स्टार प्रचारकों की एक सूची जारी की है. इस सूची में जेडीयू के कद्दावर और प्रभावशाली नेताओं का नाम है पर प्रशांत किशोर का नाम गायब है. हालांकि इसके पहले भी झारखण्ड चुनाव में जेडीयू के स्टार प्रचारकों में प्रशांत किशोर का नाम नहीं था.


दिल्ली में प्रशांत किशोर आप पार्टी के लिए परोक्ष तरीके से काम कर रहे हैं . जाहिर है ऐसे में प्रशांत किशोर के नाम होने से आप, जेडीयू और प्रशांत के लिए असहज स्थिति होती. ऐसे में प्रशांत किशोर का नाम न होना कोई अचरज की बात नहीं है.


राजनीतिक गलियारे में भी इस बात की चर्चा हो रही है. प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के बीच सीएए, एनआरसी और एनपीए को लेकर मतभेद सामने आ चुका है. पीके ने नीतीश के सामने इस्तीफे की भी पेशकश की थी, लेकिन नीतीश ने ठुकरा दिया.


बीजेपी और जेडीयू के बीच दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल से गठबंधन और मजबूत हो गई है ऐसे में प्रशांत के सामने क्या विकल्प हैं? पहला विकल्प की प्रशांत किशोर अपनी इच्छा से जेडीयू छोड़ दें. दूसरा विकल्प यह है कि प्रशांत किशोर वेट एंड वाच में रहें और सही समय पर फैसला लें.


नीतीश के सामने क्या विकल्प है?


नीतीश प्रशांत के खिलाफ सीधे कोई एक्शन लें. प्रशांत को अगले राष्ट्रीय कार्यकरिणी में कोई पद न दें और उन्हें पार्टी में यूं ही रहने दें. प्रशांत के लिए ऐसी स्थिति पैदा कर दें जिससे वो खुद पार्टी छोड़ने को मजबूर हो जाएं.


बीजेपी के सूत्र और नीतीश के करीबी बताते हैं कि नीतीश प्रशांत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे और न ही इस्तीफा देने को कहेंगे, बल्कि ऐसी स्थिति पैदा कर देंगे कि प्रशांत खुद छोड़कर चले जाएं. नीतीश पहले भी पार्टी के कई नेताओं के साथ ऐसा कर चुके हैं.


फिलहाल ऐसी स्थिति जेडीयू के पूर्व प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक के साथ हो रही है. पार्टी ने उन्हें न तो निकाला और न ही उन्हें प्रवक्ता रहने दिया. नीतीश 2020 के बाद कि बदली स्थिति पर भी पैनी नजर रखे हुए हैं. ऐसे में वो किसी को पार्टी से निकालने का जोखिम नहीं लेंगे. दूसरी तरफ प्रशांत किशोर के करीबी का कहना है कि "कौन स्टार प्रचारक था ये तो 11 फरवरी को पता चल जाएगा". 11 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आना है. जिसकी भी जीत होगी वही तय करेगा कि स्टार प्रचारक की लिस्ट में सिर्फ नाम होना ज़रूरी है या फिर बगैर सूची में नाम के स्टार प्रचारक बन जीत दिलाना.


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