पटना: बिहार में चुनावी घमासान के बीच सबकी नजर एनडीए पर टिकी हुई है. एलजेपी के तेवर देखकर लग रहा है कि चिराग पासवान बिहार चुनाव में जेडीयू के खिलाफ प्रत्याशी उतार सकते हैं. वहीं दलितों की अनदेखी वाली चिराग पासवान की चिट्ठी को लेकर जेडीयू भी खुश नजर नहीं आ रही. जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि बिहार एनडीए में एलजेपी शामिल है ऐसा किसी दस्तावेज में नहीं लिखा है. पहले भी एलजेपी ने अलग चुनाव लड़े हैं, इस बार भी वे तैयारी कर रहे हैं.
केसी त्यागी ने कहा, ''मैं जनता दल यूनाइटेड के जन्म काल से ही साथ हूं और तभी समय के प्रधान महासचिव भी हूं. जनता दल यू शरद यादव के नेतृत्व में हो या नीतीश कुमार के नेतृत्व में या जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में, उनका रामविलास जी की एलजेपी से या आज के चिराग पासवान जी से कभी कोई चुनावी समझौता नहीं रहा है.''
उन्होंने कहा, ''2005 में रामविलास जी अलग हम से चुनाव लड़े. 2010 में अलग चुनाव लड़े और 2015 में अलग चुनाव लड़े और 2020 में अलग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार एनडीए का वो हिस्सा हैं ऐसा कहीं भी बीजेपी और जेडीयू के बीच में दस्तावेज़ मौजूद नहीं है. वो खुद बिहार एनडीए से अपने आप को अलग रखते हैं''
उन्होंने कहा, ''भारतीय जनता पार्टी जो हमारे मित्र पार्टी है उनका और हमारा गठबंधन है और वह लंबे समय से है. लोकसभा में तो यह 1998 से शुरू हो गया था है. तीनों विधानसभा के चुनाव नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में लड़े गए हैं और इस बार भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़े जाएंगे ऐसा मोदी जी, अमित शाह जी और नड्डा जी ने कई बार कहा है. अब कोई उनकी घोषणा को अस्वीकार करें तो मैं क्या कर सकता हूं.''
चिराग की चिट्ठी पर त्यागी बोले- हमें दलित समर्थक होने का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए
केसी त्यागी ने कहा, ''बिहार में समाजवादी आंदोलन चलते कर्पूरी ठाकुर जी के नेतृत्व में दलितों के सशक्तिकरण की प्रक्रिया शुरू हुई थी. मुझे अच्छी तरह से स्मरण है कि कुछ घटनाओं के बाद कर्पूरी जी ने इन गरीब दलितों को शस्त्र भी मुहैया कराने की बात कही थी. नीतीश कुमार उसी परंपरा के वाहक हैं. दलितों पर अत्याचार होता है, महादलितों की हत्या होती है. उनके परिवार को नौकरी दी जानी चाहिए ऐसा उन्होंने सुझाव रखा है जो स्वागत योग्य है. इसकी आलोचना करना या इसे लागू होने से पहले ही नाकाम करना यह तो अच्छी बात नहीं है.''
उन्होंने कहा, ''हमें किसी से दलित समर्थक पार्टी होने का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए. सारी दुनिया जानती है कि नीतीश ने पिछड़ों के लिए, अति पिछड़ों के लिए, दलितों के लिए और महादलितों के लिए एक अलग से श्रेणी बनाकर उन्होंने किस किस तरीके से उनका सशक्तिकरण किया है.''
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