BJP Game Plan In Maharashtra: महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व में सरकार गठन ने बिहार पर भी इसका असर डाला है. राजनीतिक घटनाक्रम में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के एकनाथ शिंदे की जगह ली है इसके बाद से जेडीयू हाई अलर्ट पर है. हालांकि बीजेपी ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ने का आश्वासन दिया है, इसके बावजूद अब जेडीयू के सामने यह सवाल है कि क्या बीजेपी बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के आंकड़े 122 के करीब पहुंचने पर "महाराष्ट्र वाला प्रयोग" दोहरा सकती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि कोई भी ऑन रिकॉर्ड बोलने को तैयार नहीं हुआ, लेकिन जेडीयू के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा कि बीजेपी ने बिहार के "गठबंधन मॉडल" को अपनाने के शिंदे के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें नीतीश अपनी पार्टी की ओर से बीजेपी से कम सीटें जीतने के बावजूद सीएम बने हुए हैं.
जेडीयू के मन में क्या चल रहा?
महाराष्ट्र में शिंदे ने एनडीए के अभियान का नेतृत्व किया था और सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई थी. 2020 के बिहार चुनावों में जेडीयू ने सिर्फ 43 सीटें जीतीं, जो बीजेपी की 74 सीटों से 31 कम थीं, फिर भी नीतीश को सीएम पद की पेशकश की गई. हालांकि, महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद जेडीयू नीतीश के भविष्य पर बहस कर रही है. एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि नीतीश "सत्ता के भूखे" नहीं हैं और उन्होंने अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारण 2020 में सीएम बनने से इनकार कर दिया था.
कितनी टेंशन में है नीतीश कुमार की जेडीयू?
एक जेडीयू नेता ने कहा, "2020 के नतीजों के बाद, नीतीश ने पार्टी की सीटों की संख्या का हवाला देते हुए सीएम पद पर बने रहने से इनकार कर दिया लेकिन बीजेपी नेताओं राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव ने उन पर जिम्मेदारी स्वीकार करने का दबाव बनाया."
जेडी(यू) के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि हालांकि महाराष्ट्र की घटनाओं के बाद पार्टी "अस्थिर" महसूस कर रही है, लेकिन बिहार का मामला अलग है. उन्होंने कहा, "शिंदे के पास विकल्प नहीं थे, क्योंकि शिवसेना के दोनों धड़े हिंदुत्व का पालन करते हैं और उनका सामाजिक आधार जेडीयू से कमजोर है."
2024 के लोकसभा चुनावों में साबित हुआ जेडीयू का 16.5% समर्थन आधार एनडीए को मजबूत करता है, जिसमें 40 में से 30 सीटें जीती हैं. जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, "आप नीतीश कुमार से प्यार कर सकते हैं या उनसे नफरत कर सकते हैं, लेकिन आप उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते." उन्होंने कहा कि एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों ही नीतीश की राजनीतिक ताकत को पहचानते हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का क्या कहना है?
राजनीतिक विश्लेषक एनके चौधरी ने कहा कि विश्वसनीय विकल्प की कमी के कारण बीजेपी बिहार में नीतीश की जगह नहीं ले सकती. उन्होंने पूछा, "क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर नीतीश विपक्ष में शामिल हो गए तो क्या होगा?" चौधरी ने कहा, "महाराष्ट्र में शिंदे शक्तिहीन थे, लेकिन बिहार में हर कोई नीतीश को गले लगाएगा."
एक अन्य विश्लेषक डीएम दिवाकर ने कहा कि बीजेपी अलग-अलग रणनीतियों के जरिए नीतीश को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. दिवाकर ने कहा, "नीतीश और बीजेपी एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते. उनका गठबंधन सुविधा का विवाह है."
इस बीच, जेडीयू ने असम सरकार के गोमांस खाने पर प्रतिबंध पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और खुद को बीजेपी से अलग कर लिया है. जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, "ऐसे फैसले समाज में तनाव बढ़ाते हैं." उन्होंने कहा कि संविधान व्यक्तियों को अपना भोजन चुनने का अधिकार देता है और इन अधिकारों की रक्षा करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है.
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