नई दिल्ली: महाराष्ट्र में मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. इसके बाद बीजेपी, कांग्रेस और एनसीपी ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि ये राज्य के ठीक नहीं हुआ. अब बीजेपी की सहयोगी जेडीयू ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर अपनी बात रखी है. जेडीयू ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने में 'जल्दबाजी' में काम किया है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन वर्मा ने ये बात कही. पवन वर्मा ने कहा, ‘’महाराष्ट्र के राज्यपाल ने जल्दबाजी में कदम उठाया.’’
जेडीयू नेता ने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक ऑथोरिटी हैं. वह दलगत राजनीति से ऊपर एक निष्पक्ष ऑथोरिटी रूप में कार्य करते हैं. पवन वर्मा ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि राज्य में सरकार बनाने के लिए अन्य राजनीतिक दलों को उनके दावे को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था.
उधर बीजेपी की सहयोगी एलजेपी ने तो उसी पर निशाना साध दिया. चिराग पासवान ने कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगना दुर्भाग्यपूर्ण है. जनता ने एनडीए सरकार बनाने का जनादेश दिया था. अपनी अपनी महत्वाकांक्षा के कारण प्रदेश में सरकार न बनने देना दुखद है. चिराग पासवान का इशारा मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के रवैया की तरफ था.
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दरअसल राज्यपाल ने बीजेपी और शिवसेना के बाद एनसीपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया. इसके लिए एनसीपी को मंगलवार शाम साढ़े आठ बजे तक का समय दिया गया लेकिन इससे पहले ही राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी. वहीं शिवसेना ने भी 48 घंटे का समय मांगा था, जिसे राज्यपाल ने देने से मना कर दिया. इसको लेकर शिवसेना सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई. वहीं कांग्रेस ने कहा कि सभी दलों को सरकार बनाने के लिए न्यौता मिला लेकिन उन्हें न्यौता क्यों नहीं मिला.
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है लेकिन अगर कोई पार्टी राज्यपाल के सामने बहुमत साबित करती है तो उसे सरकार बनाने का मौका मिल सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रपति शासन में विधानसभा को स्सपेंड किया गया है. इस बीच कोई भी पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. इसके लिए उन्हें बहुमत के आंकड़े की चिट्ठी राज्यपाल को दिखानी होगी. राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन होना चाहिए.
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