बिहार में आप कहीं भी जाइए एक स्लोगन जरूर सुनाई देगा- बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है... अब बहार कितनी है ये तो हाल ही में हुए सियासी उठापटक से तय हो गया है. लेकिन इस उठापटक के बीच जो एक चेहरा स्थिर बना रहा वह है 'नीतीश कुमार'. दरअसल बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ RJD का हाथ थाम लिया है.


एक बार फिर बिहार की जनता को लालू और नीतीश की जोड़ी एक साथ दिखी तो लोगों को उम्मीद थी कि आने वाले वक्त में बिहार की राजनीतिक और सामाजिक तस्वीर भी बदलेगी. मगर RJD का हाथ थामने के कुछ ही दिनों बाद जेडीयू-आरजेडी गठबंधन में टकराहट की स्थिति बनती दिख रही है.


एक तरफ जहां जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रवक्ता निखिल मंडल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया तो वहीं दूसरी तरफ JDU विधायक बीमा भारती ने लेसी सिंह पर गंभीर आरोप लगाए है.


आइए समझते हैं पिछले कुछ दिनों में इस महागठबंधन में ऐसा क्या हो रहा है जिससे ये कयास लगाया जा रहा है कि बिहार की जेडीयू-आरजेडी में गठबंधन तो हो गया लेकिन एक दूसरे को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.


कृषि मंत्री ने इस्तीफा देने की दी धमकी


 13 सितंबर को RJD के मंत्री और बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को इस्तीफा देने की धमकी दे दी. उन्होंने सरकार की पुरानी नीति और अधिकारियों के कामकाज पर सवाल उठाए थे. सुधाकर सिंह ने कहा कि राज्य में आम जनता को मक्का खाने के लिए नहीं मिल रहा है, ऐसी जगह पर एथनाल बनाने का कोई मतलब नहीं है. हमारी प्राथमिकता संतुलित आहार मुहैया कराने की होनी चाहिए. इससे पहले 12 सितंबर उन्होंने ही कृषि विभाग के सभी अधिकारियों को चोर कहते हुए कहा था कि कृषि विभाग के सारे अधिकारी चोर हैं तो मैं चोरों का सरदार हुआ.


इस बीच मंगलवार यानी 13 सितंबर को हुए बिहार कैबिनेट की बैठक में जबरदस्त हंगामा हुआ. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस्तीफा देने की धमकी दे दी. दरअसल हाल ही में सुधाकर सिंह के बयानों पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि उनका इस तरह का बयान देना ठीक नहीं है. जिसका पलटवार करते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि ऐसा है तो मैं इस्तीफा दे देता हूं.




निखिल मंडल ने दिया इस्तीफा


जदयू और राजद के हाथ मिलाने के बाद राज्य में राजनीतिक समीकरण तो बदले ही लेकिन पार्टियोंके अंदर भी बहुत कुछ बदलता दिख रहा है. बीते सोमवार JDU के प्रवक्ता निखिल मंडल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. निखिल मंडल साल 2016 से पार्टी के प्रवक्ता रहे है. सूत्रों की मानें तो निखिल मंडल को एहसास हो गया था कि साल 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में शायद उनका टिकट कट सकता है. निखिल मंडल ने साल 2020 में  मधेपुरा सीट से बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ा था. उस वक्त उन्हें आरजेडी के प्रत्याशी के डॉ. चंद्रशेखर से हार मिली था. अब चंद्रशेखर महागठबंधन में शामिल हो गए हैं. इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि साल 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में निखिल मंडल का टिकट कट सकता है. 




बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले अभिषेक ने हालांकि इन घटनाक्रमों को कोई खास तवज्जो नहीं देते है. abp से बातचीत में उन्होंने कहा कि आरजेडी और जेडीयू की बीच लीडरशिप के लेवल पर फिलहाल कोई टकराव नहीं हो रहा है. लेकिन आपको याद होगा किसान आंदोल के दरमियान जेडीयू प्रवक्ता निखिल मंडल आरजेडी के खिलाफ मुखर रहे हैं. अब महागठबंधन के बाद इन्हें लालू फैमली को डिफेंड करना होगा. ये उनके इस्तीफे का एक कारण हो सकता है.


अभिषेक का मानना है कि निखिल मंडल ने इस्तीफे का कारण भले ही निजी बताया है. लेकिन ये एक विशुद्ध राजनीतक कदम भी हो सकता है. बीजेपी आइडिंटी पॉलिटिक्स  करती है. ऐसे में बीपी मंडल के पोते निखिल मंडल के सहारे बीजेपी मंडल पॉलिटिक्स यानी OBC पॉलिटिक्स को एक बार फिर परवान चढ़ाने की कोशिश कर सकती है. 


राजद के पूर्व प्रदेश महासच‍िव आए भाजपा में  


आरजेडी  के नेता रहे और विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू  को मदद करने वाले नेता अजीत यादव (Ajit Yadav) ने सोमवार को बीजेपी का दामन थाम लिया. आरजेडी के पूर्व प्रदेश महासचिव अजीत यादव अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. नवादा जिले से बड़ी संख्या में राजद के कार्यकर्ताओं का बीजेपी में शामिल होना लालू और तेजस्वी दोनों के लिए खतरे की घंटी है. 


 




जेडीयू विधायक बीमा भारती का लेसी सिंह पर आरोप


बिहार की पूर्व मंत्री और जेडीयू की विधायक बीमा भारती ने राज्य की खाद्य मंत्री लेसी सिंह को हटाने की मांग की है. पूर्णियां के धमदाहा से विधायक लेसी सिंह के मंत्री बनते ही रुपौली की जेडीयू विधायक बीमा भारती भड़क गईं और लेसी सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. विधायक बीमा भारती ने खाद्य मंत्री लेसी सिंह पर वसूली और मर्डर  कराने का गंभीर आरोप लगाया है. बिहार में खाद्य मंत्री लेसी सिंह (Lesi Singh) के पति बूटन सिंह की लालू-राबड़ी राज में हत्या हुई थी. जबकि बीमा भारती के पति अवधेश मंडल भी बाहुबली हैं.




ये हाल की कुछ घटनाएं है इस ओर इशारा करती हैं कि जेडीयू-आरजेडी के शीर्ष नेताओं ने भले ही मिलकर सरकार बना ली हो लेकिन दूसरी पंक्ति के नेता और कार्यकर्ताओं का मन मिलता नहीं दिखाई दे रहा है.


अभिषेक का कहना है कि जेडीयू-आरजेडी के नेताओं का नीतीश से टकराव होता रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है जेनरेशन गैप. दरअसल नीतीश की कैबिनेट के अधिकांश लोग उनकी अगली जेनरेशन के लोग हैं और एक अलग जेनरेशन के साथ कैबिनेट में काम करना आसान नहीं होता. चाहे वह एक जेनरशन आगे के लोग हों या पीछे. 


बिहार में नीतीश सरकार की क्या स्थिति
उन्होंने कहा कि बिहार कि राजनीति पिछले 32 सालों से लालू यादव और नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूम रही है. बिहार में नीतीश की राजनीति लालू विरोध पर टिकी रही है. उन्होंने अटल-आडवाणी के जमाने में बीजेपी से गठबंधन किया. लेकिन साल 2013 में नरेंद्र मोदी के विरोध में एनडीए से अलग होने का फैसला किया. इसके बाद 2017 में फिर आरजेडी से नाता तोड़ बीजेपी से समझौता कर लिया. अब पांच साल बाद फिर बीजेपी का साथ छोड़ आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना ली.  राजनीतिक विश्लेषकों कहना है कि नीतीश कुमार के इन फैसलों से उनकी विश्वसनीयता पर सवाल भी उठे हैं.