उन्होंने गठबंधन की राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कुशलता को याद किया और कहा कि वह जानते थे कि तमाम भिन्नताओं के बावजूद गठबंधन साझेदारों को कैसे साथ लेकर चलना है.
वर्मा ने एक कार्यक्रम में यहां कहा, ‘‘बीजेपी के राज्यों में गठबंधन के 40 साझीदार है...इसमें से कुछ महत्वपूर्ण साझेदार बीजेपी से खफा हैं. उदाहरण के लिए शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि वर्तमान में देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को 2014 की तरह अपने प्रदर्शन को दोहराने में मुश्किलें होगी. लेकिन प्रस्तावित विपक्षी मोर्चा जितनी सीटें जीतेगा यह उससे ज्यादा होगा.’’
नोटबंदी को लेकर भी उनकी राय मुखर रही है. उन्होंने कहा कि अच्छे इरादे से इसे लागू करने का फैसला किया गया लेकिन यह सही से लागू नहीं हो पाया और इससे बहुत सारी दिक्कतें हुयी. उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह राष्ट्रवाद को पेश किया जा रहा मुझे उससे भी दिक्कत है. मैं राष्ट्रवाद पर दूसरों से प्रमाणपत्र लेने को तैयार नहीं हूं.’’