नई दिल्ली: कोरोना महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी और कठोर ऐहतियाती कदमों के बीच मंगलवार को इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई)-मेन्स का आयोजन शुरू हुआ. देशभर में विभिन्न परीक्षा केंद्रों में अलग-अलग प्रवेश, निकास द्वारों पर सेनिटाइजर की व्यवस्था और कतारों में उम्मीदवारों को सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए मास्क का वितरण जैसे प्रबंध आमतौर पर देखने को मिले.
कोविड-19 के कारण जेईई (मुख्य) प्रवेश परीक्षा इससे पहले दो बार टाली जा चुकी हैं और अब ये एक से छह सितंबर के बीच निर्धारित हैं. करीब नौ लाख उम्मीदवारों ने आईआईटी, एनआईटी और केंद्र पोषित तकनीकी संस्थानों में इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिले के लिये जेईई मुख्य परीक्षा के वास्ते पंजीकरण कराया है.
उम्मीदवारों के आने जाने की व्यवस्था
ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने उम्मीदवारों को आश्वस्त किया है कि उनके आने जाने की व्यवस्था की जाएगी. इसके अलावा आईआईटी के पूर्व छात्रों और वर्तमान छात्रों ने भी एक पोर्टल शुरू किया है ताकि जरूरतमंद छात्रों को परिवहन सुविधा प्रदान की जा सके.
वहीं, पश्चिम बंगाल में परीक्षा देने वाले कई छात्रों को भारी बारिश और परिवहन साधनों की कमी के चलते परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि, दिल्ली एवं एनसीआर के छात्रों ने किसी बड़ी परेशानी की शिकायत नहीं की.
विपक्ष का सरकार पर निशाना
उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नीट एवं जेईई की परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग स्वीकार नहीं किए जाने और कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और दूसरी परीक्षाओं के परिणाम घोषित होने में विलंब को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधा. आरोप लगाया कि देश के भविष्य को खतरे में डाला जा रहा है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार भारत के भविष्य को खतरे में डाल रही है. अहंकार के कारण यह सरकार नीट-जेईई परीक्षाओं में बैठने वालों की चिंताओं और एसएससी एवं दूसरी परीक्षाएं देने वालों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है. नौकरी दो, खोखले नारे नहीं.’’
इस बीच, दिल्ली में मंगलवार को परीक्षा देने वाले छात्रों ने कहा कि वे शुरू में महामारी के बीच परीक्षा लेने को लेकर आशंकित थे, लेकिन केंद्रों पर उन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि सभी सुरक्षा मानदंडों का ठीक से पालन किया गया था.
सोशल डिस्टेंसिंग का हुआ पालन
विवेक विहार स्थित अर्वाचीन भारती भवन उच्च माध्यमिक विद्यालय में परीक्षा देने वाली शिवानी ने कहा कि उसने द्वारका मोड़ से परीक्षा केंद्र तक की यात्रा की और उसे किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. वहीं नाम नहीं बताने की शर्त पर एक छात्र ने कहा कि परीक्षा केंद्र के अंदर सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन किया गया और छात्रों को उचित दूरी पर बैठाया गया.
वहीं, बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने जेईई-मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया लेकिन साथ ही कहा कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित हिस्सों में रहने वाले ऐसे छात्र जो परीक्षा केन्द्रों तक नहीं पहुंच सके हैं या देरी से पहुंचे हैं, वे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी का रुख कर दोबारा-परीक्षा आयोजित कराने के लिये आवेदन दे सकते हैं.
सभी छात्रों को दिए गए नए मास्क
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘परीक्षा केंद्र के प्रवेश द्वार और परीक्षा हॉल के अंदर हैंड सेनिटाइजर हर समय उपलब्ध कराए गए हैं. उम्मीदवारों के प्रवेश पत्र जांचने की स्वभाविक प्रक्रिया से इतर इस बार बारकोड रीडर लगाया गया है जिन्हें परीक्षा केंद्र पर अधिकारियों को उपलब्ध कराया गया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सभी उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र पर मास्क और सेनिटाइजर के साथ आने को कहा गया है और केंद्र में प्रवेश करने पर उन्हें परीक्षा प्राधिकार द्वारा उपलब्ध कराए गए मास्क का उपयोग करना है. हर उम्मीदवार को प्रवेश करने के समय तीन प्लाई मास्क पेश किए जा रहे हैं और परीक्षा के दौरान उनसे उपलब्ध कराए गए मास्क पहनने की उम्मीद की जाती है. ’’ परीक्षा की पहली पाली सुबह साढ़े नौ बजे और दूसरी पाली दोपहर 2:30 बजे से 5:30 बजे तक आयोजित की गई.
बता दें, कोविड-19 के प्रसार के कारण जेईई मेन्स और मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट के आयोजन को स्थगित करने की मांग की जा रही थी. इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने परीक्षा स्थगित करने के संबंध में एक याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि छात्रों के बहुमूल्य वर्ष को बर्बाद नहीं किया जा सकता.
ये भी पढ़ें-
JEE Mains Exam: कोरोना से छात्रों को कितना डर लगा? क्या थी तैयारियां?
जम्मू-कश्मीर: JEE की परीक्षा देने नहीं पहुंचे कई छात्र, कोरोना बनी एक बड़ी वजह