Life Imprisonment For JeM Terrorists: जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों को उम्रकैद, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश का था आरोप
Terrorists Jailed: राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मार्च 2019 में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी. जांच के दौरान NIA को जानकारी मिली थी कि इन आतंकियों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग मिली है.
JeM Terrorists: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के पांच आतंकवादियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई. अदालत ने देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए युवाओं को भर्ती करने और प्रशिक्षण देने का दोषी ठहराते हुए इन आतंकवादियों को सज़ा सुनाई.
पटियाला हाउस अदालत के विशेष जज शैलेंद्र मलिक ने आतंकी सज्जाद अहमद खान, बिलाल अहमद मीर, मुजफ्फर अहमद भट, इशफाक अहमद भट और मेहराजुद्दीन को यह सजा सुनाई है. इसके अलावा अदालत ने आतंकी तनवीर अहमद गनी को पांच साल की जेल की सज़ा सुनाई है. अदालत ने फैसले में कहा कि सभी दोषियों ने मिलकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रची थी. अदालत ने कहा कि ये सारे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य तो थे ही, ये लोग आतंकवादियों को हथियार, गोला बारूद और रसद मुहैया कराकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में उनका सहयोग भी करते थे.
भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश में दोषी
पटियाला हाउस अदालत के विशेष जज ने कहा कि सभी दोषी जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों को आतंकवाद के लिए प्रेरित करने और आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए पैसे की व्यवस्था करने जैसे काम में भी शामिल थे. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर ने जैश के दूसरे वरिष्ठ कमांडरों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की एक बड़ी साजिश रची. साजिश के तहत बड़ी संख्या में पाकिस्तान से ट्रेनिंग पाए आतंकवादियों, हथियारों के ट्रेनर ने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की. ये सभी आतंकी IPC की धारा 120B के साथ-साथ Unlawful Activities (Prevention) Act की धारा 18 के तहत दोषी पाए गए.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मार्च 2019 में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी. जांच एजेंसी NIA का कहना था कि भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स ने इन दोषियों को ट्रेनिंग दी थी. पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कमांडरों ने इन दोषियों को ठिकानों के बारे में पता करने और आतंकवादियों को रसद पहुंचाने के साथ ही भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने की ट्रेनिंग दी थी.
ये भी पढ़ें: मूल अधिकारों के शोषण के खिलाफ क्या पहले हाई कोर्ट जाना होगा या सीधा सुप्रीम कोर्ट में भी इसकी याचिका दी जा सकती है?