रांची: आमतौर पर आपने सुना होगा कि कोर्ट ने फला काम या फला विभाग या अधिकारी के काम पर रोक लगा दी है. लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि कोर्ट की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी वकीलों के काम पर ही रोक लगा दी गई हो? और वो भी कागजों की वजह से? जी हां कुछ ऐसा ही हुआ है झारखंड राज्य के 7946 वकीलों के साथ जिनकी लॉ डिग्री का सत्यापन नहीं होने की वजह से स्टेट बार काउंसिल ने इनके काम पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है.


दरअसल, स्टेट बार काउंसिल उन वकीलों की एक सूची तैयार कर रहा है जिनके पास लॉ की डिग्री तो है लेकिन वो वकील के तौर पर प्रैक्टिस नहीं करते हैं. इसीलिए साल 2019 में ही राज्य के सभी जिलों और अनुमंडलों को कहा था कि अपने यहां के ऐसे वकीलों की सूची तैयार कर भेजें जो प्रैक्टिस में नहीं है लेकिन वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवाया है. जिससे काउंसिल की योजनाओं और लाभ देने से रोका जाए.


जानकारी के मुताबिक डिग्री का सत्यापन सिर्फ उन वकीलों को करवाना है जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन 1976 या उसके बाद सन 2010 तक करवाया है. इस अवधि के बीच में जिन लोगों को लाइसेंस मिला है उनको सत्यापन कराना जरूरी है. लेकिन अभी तक काउंसिल को 16294 अधिवक्ताओं का ही आवेदन मिला है जबकि राज्य में 12 मार्च 2020 तक 29189 वकील रजिस्टर्ड हैं.


अब जिन 7946 वकीलों के नाम ऐसी सूची में डाले गए हैं वो काम नहीं कर सकते हैं. ऐसे वकील किसी भी अदालत या ट्रिब्यूनल में किसी भी तरह की पैरवी नहीं कर सकते या अपना वकालत नामा नहीं लगा सकते हैं.


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