झारखंड विधानसभा चुनाव से दूर रहेंगे प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार की भी संभावना कम
एबीपी न्यूज़ को जानकारी मिली है कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार में जाने की संभावना कम है. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर भी चुनाव प्रचार में नहीं जाएंगे. लेकिन ऐसा क्यो हैं?
रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में जेडीयू अपने बूते अपनी किस्मत आजमाने जा रही है. चुनाव प्रचार के लिए जेडीयू की तरफ से स्टार प्रचारकों की लिस्ट में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ साथ जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर का भी नाम है. हालांकि एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर चुनाव प्रचार में नहीं जांएगे वहीं नीतीश कुमार के भी चुनाव प्रचार में जाने की संभावना नहीं के बराबर है. सवाल ये है कि आखिर चुनाव प्रचार नहीं करना है तो फिर झारखंड में चुनाव लड़ने की बात क्यों है?
दरअसल झारखंड में बिहार की पार्टियां दो वजहों से चुनाव लड़ती रही हैं. पहली वजह ये है कि आज भी बिहार के नेताओं का जातियों के आधार पर मतदाताओं पर प्रभाव है और दूसरा की चुनाव लड़ने से उम्मीदवारों को मिले वोट का प्रतिशत क्षेत्रीय दल से राष्ट्रीय दल बनाने में अहम भूमिका अदा करता है.
अगले दो दिनों में सोनिया गांधी और शरद पवार की मुलाकात संभव, अभी विदर्भ दौरे पर हैं एनसीपी प्रमुख
लेकिन नीतीश कुमार की नजर इन दोनों वजहों से ज़्यादा 2020 में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के सीटों के बंटवारे पर है. बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच बिहार विधान सभा में सीटों को हिस्सेदारी पर बात होनी बाकी है. ऐसे में झारखंड विधानसभा चुनाव में जेडीयू का उम्मीदवार जीतता है तो किसी भी सरकार को समर्थन करने में भूमिका बन जाएगी. जेडीयू को बिहार में तोल मोल करने में आसानी होगी. अगर कोई जीत न भी पाया और जेडीयू के उम्मीदवार से बीजेपी को नुकसान हुआ तो भी इसका फायदा बिहार में होगा. क्योंकि तब जेडीयू झारखंड के बहाने बीजेपी पर दोनों ही स्थिति में दबाव बनाने में कामयाब होगी.
अब सवाल ये कि प्रशांत किशोर झारखंड में चुनाव प्रचार या फिर रणनीति बनाने में अपना योगदान क्यों नहीं दे रहे हैं. प्रशांत के करीबियों का मानना है कि जेडीयू झारखंड में ये चुनाव पूरी दमखम से नहीं बल्कि औपचारिकता में लड़ रही है. ऐसे में अगर प्रशांत फ्रंट फुट पर रहे और चुनाव में हार मिली तो इसका ठीकरा उनके सिर पर फोड़ा जाएगा. इसके लिए प्रशांत बिल्कुल तैयार नहीं हैं.
ब्रिक्स में शामिल देशों को कमतर नहीं आंक सकते, दुनिया की जीडीपी में है 30 फीसदी हिस्सेदारी
रही बात नीतीश के चुनावी सभा में प्रचार की तो पार्टी नेता और उम्मीदवार की चाहत होगी कि नीतीश उनके लिए चुनाव प्रचार करने आएं. लेकिन इसकी संभावना कम दिख रही है. अगर नीतीश गए भी तो बहुत कम उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर पाएंगे.
बिहार में विधानसभा सीटों के लिए नीतीश और बीजेपी के अलावे तीसरा दल रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी है. लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने भी झारखंड में एनडीए से अलग अपने बूते चुनाव लड़ने का एलान किया है.
हालांकि बीजेपी के लिए ये अच्छी खबर है कि नीतीश कुमार और चिराग पासवान झारखंड चुनाव में साथ नहीं आए हैं. इस लिहाज से ये भी बात सामने आ रही है कि नीतीश कुमार फिलहाल चिराग पासवान के साथ झारखंड में नहीं दिखना चाहते हैं. क्योंकि इसका संदेश ये जा सकता है कि वे चिराग पासवान के साथ मिलकर बीजेपी पर दबाव बना रहे हैं. ऐसे में इसका असर बिहार में सीटों के बंटवारे पर भी पड़ सकता है.
यह भी देखें