झारखंड विधानसभा चुनाव: जानिए- राज्य में किस पार्टी में है कितना दम, बीते तीन चुनावों में बजा बीजेपी का डंका
झारखंड विधानसभा का कार्यकाल नवंबर 2019 तक है. इस महीने के अंत तक झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने की संभावना है.
Jharkhand Assembly Election 2019: झारखंड में विधानसभा चुनाव होने में करीब दो महीने का वक्त बाकी है. एक तरफ जहां सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने चुनाव की तारीखों का एलान होने से पहले ही अपना चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष के गठबंधन की तस्वीर साफ होना अभी बाकी है. झारखंड की राजनीति इतनी कॉम्प्लेक्स है कि इस राज्य के गठन को 19 साल हुए हैं और यहां 10 सीएम बन चुके हैं.
पहली बार 5 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे रघुवर दास
झारखंड के 19 साल के इतिहास में मौजूदा सीएम रघुवर दास एक इतिहास कायम करने जा रहे हैं. रघुवर दास राज्य के पहले ऐसे सीएम बनेंगे जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. इससे पहले राज्य में बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हमेंत सोरेन सीएम बन चुके हैं. लेकिन इनमें से कोई भी सीएम अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया था.
ऐसी है विधानसभा और लोकसभा सीटों की स्थिति
झारखंड में विधानसभा की 81 और लोकसभा की 14 सीटें हैं. राज्य में पिछले दो लोकसभा चुनाव और 2014 के विधानसभा चुनाव से बीजेपी की ही तूती बोल रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की 14 में से 11 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही, जबकि एक सीट उसकी सहयोगी आजसू को मिली. 2014 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 81 में 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद बीजेपी आजसू के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाने में कामयाब रही. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी. 2014 में 2 लोकसभा सीटों पर जेएमएम को जीत मिली थी.
विपक्ष की हालत है खराब
राज्य में इस वक्त झारखंड मुक्ति मोर्चा मुख्य विपक्षी पार्टी है. 2014 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को 19 सीटों पर जीत मिली थी. जेएमएम के अलावा कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल भी राज्य की मुख्य पार्टियों में से एक हैं. हालांकि इन पार्टियों की स्थिति अब राज्य में काफी कमजोर दिखाई देती है. कांग्रेस 2014 में राज्य की सिर्फ 6 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी. जेवीएम ने 2014 में 8 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की, पर बाद में उसके 6 एमएलए बीजेपी में शामिल हो गए. इस बार चारों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन दो बार के पूर्व सीएम शिबू सोरेन ऐसी दुर्गति हुई कि उन्हें लोकसभा चुनाव में पहली बार हार का सामना करना पड़ा.
बीजेपी की सहयोगी है आजसू
झारखंड में बीजेपी ने 2014 का विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के साथ मिलकर लड़ा था. आजसू 1986 में बनी थी और पहली बार 1990 में आजसू ने जएमएम के चिन्ह पर बिहार चुनाव में हिस्सा लिया था. लेकिन अब पार्टी अलग होकर चुनाव लड़ती है. 2014 के विधानसभा चुनाव में आजसू 5 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही. 2019 में पहली बार पार्टी का एक उम्मीदवार लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहा है.
जेडीयू-बीजेपी से अलग लड़ती है चुनाव
चूंकि झारखंड 2000 से पहले तक बिहार का हिस्सा ही रहा है, इसलिए यहां लालू की पार्टी के अलावा नीतीश कुमार की पार्टी का भी कुछ इलाकों में प्रभाव है. बिहार में भले ही नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड बीजेपी की सहयोगी है, पर झारखंड में जेडीयू एनडीए का हिस्सा नहीं है. 2014 से पहले राज्य में बीजेपी की जो सरकारें बनी हैं उनमें जेडीयू की भागीदारी रही है.
राज्य में 5 बार बने हैं बीजेपी के सीएम
झारखंड में अब तक चार बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन चारों चुनाव में कोई भी पार्टी अकेले दम पर बहुमत पाने में कामयाब नहीं हो पाई है. इसी वजह से 19 साल के कम समय में ही राज्य में 10 सीएम रह चुके हैं. 2000 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही थी और बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले सीएम बने. इसके बाद बीजेपी के अर्जुन मुंडा 3 बार और रघुवर दास एक बार राज्य के सीएम बन चुके हैं. वहीं जेएमएम के शिबू सोरेन तीन बार और हेमंत सोरेन एक बार राज्य के सीएम बने हैं. एक बार निर्दलीय विधायक मधू कोड़ा भी राज्य के सीएम बने हैं.
आदिवासी वोटर हैं सबसे ज्यादा
इंडिया वोटर की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की कुल आबादी करीब 3 करोड़ 30 लाख है. इसमें से 51 फीसदी आबादी पुरुषों की है, जबकि 49 फीसदी महिलाएं हैं. राज्य में आदिवासियों की संख्या करीब 87 लाख है जो कि पूरी पॉपुलेशन का करीब 26 फीसदी है. इसके अलावा राज्य में 12 फीसदी दलित हैं. राज्य में करीब 61 फीसदी आबादी जनरल और ओबीसी की है.