झारखंड चुनाव 2019: किस ओर बहेगी 'सरयू' की धारा
अभी तक माना जा रहा था कि मुकाबला सिर्फ मुख्यमंत्री रघुवर दास और बागी रुख वाले मंत्री सरयू राय के बीच में होगा लेकिन अब ये मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है.
रांचीः झारखंड में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सियासी उठापटक जारी है. कहीं दूसरी पार्टी के नेता अपनी पार्टी छोड़ किसी और का दामन थाम रहे हैं तो किसी की नाराजगी टिकट न मिलने को लेकर है. ऐसी ही नाराजगी झारखंड सरकार के मंत्री और बिहार-झारखंड में कद्दावर नेता माने जाने वाले सरयू राय की है. सरयू राय 2014 में BJP के टिकट से जीतकर विधायक और फिर सरकार में खाद्य और आपूर्ति मंत्री बने. 5 सालों तक सरकार के अंदर रहते हुए भी सरकार के खिलाफ लगातार बोलते रहे.
हाल ही में जब झारखंड में घर-घर रघुवर का नारा दिया गया तो सरयू राय ने बागी तेवर दिखाते हुए इससे घर घर कमल का नारा ज्यादा बेहतर बताया. ऐसा इसलिए क्योंकि सबको सरयू राय और रघुवर दास के रिश्तों के बारे में पता है.
सरयू राय और रघुवर दास का संबंध नहीं है अच्छा
माना जाता है कि सरयू राय और मुख्यमंत्री के संबंध शुरू से ही अच्छे नहीं रहे हैं. शायद इसी का नतीजा इसबार के टिकट बंटवारे में भी देखा जा रहा है. सोमवार को नामांकन का आखिरी दिन है और नामांकन के 2 दिन पहले तक सरयू राय की सीट जमशेदपुर पश्चिम पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई.
रविवार की शाम 8 बजे यानी नामांकन से ठीक चंद घंटों पहले BJP ने इस सीट से देवेन्द सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, इससे पहले ही सरयू राय ने बगावती तेवर अपनाते हुए जमशेदपुर पश्चिम के साथ साथ जमशेदपुर पूर्व जो कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की सीट है वहां से भी नामंकन पत्र खरीद लिया.
उन्होंने ऐलान कर दिया कि पार्टी की तरफ से उन्हें टिकट का दावेदार न माना जाए क्योंकि ये अब ऐसा हो गया है जैसे हांथ में कटोरा लेकर टिकट के लिए भींख मांग रहा हूं. इतना ही नहीं सरयू राय ने यहां तक कह दिया कि अब वो न सिर्फ जमशेदपुर पश्चिम से निर्दल उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे बल्कि जमशेदपुर पूर्व से भी मुख्यमंत्री के खिलाफ ताल ठोकेंगे.
'मेरा पास है भ्रष्टाचार के बहुत से सुबूत'
सरयू राय यहीं नहीं रुके एबीपी न्यूज़ से बातचीत में यहां तक कहा कि उनके पास पिछली सरकारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के बहुत से सुबूत हैं जिसे धीरे-धीरे बाहर निकाला जाएगा.
सरयू राय के बगावती तेवर देखते हुए विपक्ष ने मौका देख समर्थन देने की बात भी कही. आजसू और JMM की तरफ से समर्थन की बातें भी सामने आई. JMM ने तो अपने महागठबंधन के सहयोगियों से भी अपील की कि जमशेदपुर पूर्व से उम्मीदवार न उतारकर सरयू को मजबूत कर मुख्यमंत्री को हराने में एकता दिखाई जाए.
विपक्षी खेमे में बिखराव
लेकिन, चुनाव से ठीक पहले ही विपक्ष में इस कदर बिखराव है कि JMM की अपील को दरकिनार करते हुए कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के तौर पर XLRI जमशेदपुर के प्रोफेसर और कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ को चुनाव मैदान में ठीक एक दिन पहले उतार दिया है.
अभी तक माना जा रहा था कि मुकाबला सिर्फ मुख्यमंत्री रघुवर दास और बागी रुख वाले मंत्री सरयू राय के बीच में होगा लेकिन अब ये मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है. हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी के आने का फायदा मुख्यमंत्री रघुवर दास को मिलेगा.
बहरहाल, झारखंड में कुल पांच चरणों में मतदान होने हैं और पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को होना है और उससे ठीक पहले जिस तरह की सियासी उठापटक का खेल जारी है उससे आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में कई बदलाव की उम्मीद है.
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