नई दिल्ली: झारखंड के चुनाव में हेमंत सोरेन और सरयू राय हीरो रहे लेकिन अम्बा प्रसाद की भी खूब चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया में उनकी तस्वीर वायरल हो रही है. जिस सीट से अम्बा प्रसाद विधायक बनी हैं वहीं से उनके पिता और माता भी विधायक रहे हैं. स्टिंग ऑपरेशन के चक्कर में अम्बा को राजनीति में आना पड़ा. बड़का गांव से विधायक बनीं अम्बा की राजनीतिक लड़ाई ने उन्हें झारखंड का सबसे युवा विधायक बना दिया. बड़का गांव विधानसभा से अम्बा 31,000 वोटों से जीतकर झारखंड की विधानसभा पहुंची हैं.


पेशे से वकील अम्बा रांची हाई कोर्ट में वकालत करती थीं और उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से ही एलएलबी की पढ़ाई की है. लेकिन हालात ऐसे हुए कि अम्बा को राजनीति में आना पड़ गया. ये कहानी शुरू होती है 2009 के विधानसभा चुनाव से जब बड़का गांव सीट से ही योगेन्द्र साउ पहली बार विधायक बने थे. उनके विधायक बनने के बाद एनटीपीसी को ज़मीन अधिग्रहण करनी थी तो तब वहां बड़का गांव गोली कांड हुआ था. योगेन्द्र साउ पर भीड़ को उकसाने और दंगा भड़काने का आरोप लगा था.


इस केस ने राजनीतिक रूप ले लिया था. जिनकी ज़मीन थी योगेन्द्र साउ उनके साथ खड़े होकर सरकार का विरोध कर रहे थे. केस चलता रहा और कुछ ही दिनों बाद 2014 का विधानसभा चुनाव आ गया. केस के चलते योगेन्द्र ने खुद चुनाव नहीं लड़ा और अपनी पत्नी नीलम साउ को मैदान में उतार दिया. नीलम भी चुनाव जीत गयीं लेकिन सरकार बनी बीजेपी की. यह पूरा मामला और बड़ा हो गया जब 2016 के राज्यसभा चुनाव में झारखंड के मुख्यमंत्री खुद योगेन्द्र साउ के घर पहुंच गए. लेकिन योगेन्द्र ने रघुवर दास का स्टिंग ऑपरेशन कर दिया जिसमें रघुवर दास ने योगेन्द्र को कहा, ''हम चाहते हैं राज्यसभा चुनाव में तुम्हारी पत्नी वोट डालने ना जाए और उसके बदले में हम तुम्हारे सारे केस ख़त्म कर देंगे.'' लेकिन जब ये स्टिंग ऑपरेशन बाहर आया तो राजनीति में हंगामा हो गया.


स्टिंग ऑपरेशन के बाद योगेन्द्र और नीलम साउ की मुश्किलें तब और बढ़ गयी जब एनटीपीसी के मामले में एक एनजीओ ने फिर से शिकायत की. योगेन्द्र और नीलम साउ को CCA (controlled crime act) के तहत झारखंड छोड़ना पड़ा. नीलम साउ विधायक थीं बावजूद इसके उन्हें झारखंड छोड़ना पड़ा.


माता-पिता की राजनीतिक और क़ानूनी लड़ाई में अम्बा अक्सर दिल्ली और भोपाल के चक्कर काटती रहती थीं. इस बीच 2019 का चुनाव आ गया. अम्बा प्रसाद लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया. झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से अम्बा को टिकट दिया गया और वो अपने माता-पिता की सीट से सबसे कम आयु की विधायक बनकर विधानसभा पहुंची हैं.


यह भी पढ़ें-


अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन पर बीजेपी के लिए जरूरी सबक