CM Hemant Soren: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी और उनकी विधायकी को खतरा है, उनको कभी भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है. दरअसल, पिछले कई महिनों से झारखंड में उथल-पुथल का माहौल है. आईएएस पूजा सिंघल प्रकरण के बाद से ही सीएम पर छींटाकशी की जाने लगी थी. वहीं ईडी ने झारखंड के चर्चित पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश के रांची में ठिकानों से 2 AK-47 राइफलें और 60 कारतूस बरामद किए गए, जिसके बाद से विपक्ष अब खुले तौर पर सीएम हेमंत सोरेन के इस्तीफे की मांग कर रहा है. 


पद के दुरुपयोग करने का आरोप
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने कार्यकाल के दौरान खुद के नाम से खनन पट्टा आवंटित करवा लिया. पद के लाभ मामले में सोरेन कड़ी दर कड़ी ऐसे फंसते नजर आ रहे हैं जिससे उनका निकल पाना काफी मुश्किल दिखाई दे रहा है. इस मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने अपनी सलाह राज्यपाल रमेश सिंह बैंस को सौंप दी है. राज्यपाल उनकी अयोग्यता को लेकर कभी भी फैसला ले सकते हैं. खबर ये है कि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की सदस्यता को रद्द करने की सिफारिश कर दी है. चुनाव आयोग की सिफारिश पर आखिरी फैसला राज्यपाल को लेना है. 


...तो खत्म हो जाएगी विधानसभा सदस्यता
बताया जा रहा है कि, चुनाव आयोग के मंतव्य पर राज्यपाल रमेश सिंह बैंस का आदेश जारी होते ही हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी. फिर ऐसी स्थिति में उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा. क्योंकि हेमंत सोरेन जिस गठबंधन के नेता हैं, उसका विधानसभा में बहुमत है, इसलिए इस्तीफे के बाद वो नए सिरे से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं. इस स्थिति में हेमंत सोरेन फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं. राज्यपाल रमेश बैंस फिलहाल रांची में मौजूद हैं. इस बीच हेमंत सोरेन की पार्टी झाकखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने अपने सभी विधायकों को राजधानी रांची में ही रहने का निर्देश दिया है. 


इस स्थिति में सीएम बने रहना होगा मुश्किल
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हेमंत सोरेन को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है या नहीं. यह राज्यपाल के फैसले के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा. अगर चुनाव आयोग ने राज्यपाल से उन्हें अयोग्य करार करने की अनुशंसा की है तो सोरेन का मुख्यमंत्री बने रह पाना मुश्किल हो जाएगा.


बीजेपी और हेमंत सोरेन ने रखा अपना पक्ष
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम पर रांची के अनगड़ा में पत्थर खदान लीज आवंटित हुई थी. इसको बाद मे उन्होंने सरेंडर कर दिया था, मगर इस मामले को लेकर बीजेपी की शिकायत पर केंद्रीय चुनाव आयोग ने कई दौर की सुनवाई की है. इस मामले के शिकायतकर्ता, बीजेपी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोनों ने अपने-अपने पक्ष रखे थे. वहीं बीते 18 अगस्त को निर्वाचन आयोग ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. वहीं अब निर्वाचन आयोग ने अपना फैसला बंद लिफाफे में राज्यपाल को सौंप दिया है.


जा सकती है बसंत सोरेन की सदस्यता 
हेमंत सोरेन 2019 के चुनाव में 2 विधानसभा क्षेत्रों दुमका और बरहेट विधानसभा क्षेत्र से जीते थे और विधायक चुने गए थे. लेकिन बाद में उन्होंने दुमका विधानसभा क्षेत्र से इस्तीफा देकर बरहेट से विधायक बने रहने का फैसला किया था. इसके बाद उनके इस्तीफे से खाली हुई दुमका विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें उनके भाई बसंत सोरेन झामुमो के उम्मीदवार के रूप में जीते. बसंत सोरेन पर भी विधायक रहते हुए माइन्स लीज लेने का आरोप है और इस मामले में भी निर्वाचन आयोग में सुनवाई चल रही है. इस केस में आयोग की तरफ से सुनवाई की अगली तारीख 28 अगस्त तय की गई है. क्योंकि बसंत सोरेन का मामला भी सीएम हेमंत सोरेन के जैसा ही है, इसलिए उनकी सदस्यता भी जानी तय मानी जा रही है. 


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