Jharkhand Mining Lease Case: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन पट्टा मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने पर कहा कि सच की जीत होती है. कोर्ट ने माइनिंग लीज केस को लेकर जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य बताने वाले हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर उनकी और राज्य सरकार की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया. 


हाई कोर्ट में माइनिंग लीज को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट इसी के खिलाफ गए थे. उन्होंने आदेश के तुंरत बाद ट्वीट किया, 'सत्यमेव जयते.' उन पर राज्य के खनन मंत्री रहते हुए खुद को माइनिंग लीज देने का आरोप लगाया गया है.    


कोर्ट ने क्या कहा? 


बेंच ने कहा, ‘‘हमने इन दो याचिकाओं को अनुमति दे दी है और जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य नहीं ठहराते हुए झारखंड हाई कोर्ट के तीन जून, 2022 को आदेश को दरकिनार कर दिया. चीफ जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस आर भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर झारखंड सरकार और सोरेन की अलग-अलग याचिकाओं पर 17 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.






क्या दलील दी गई?


राज्य की सोरेन सरकार की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि हाई कोर्ट ने सभी कागज पेश करने से पहले ही याचिका पर विचार करने का फैसला कर लिया. वहीं हेमंत सोरेन की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने जनहित याचिका दायर करने वाले व्यक्ति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे.


ईडी के वकील ने क्या कहा? 


ईडी की तरफ से पेश हुए वकील जनरल एस वी राजू ने कहा कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ सबूत मिले हैं. साथ ही उन्होंने मामले को गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इसे हाई कोर्ट में जारी रखा जाना चाहिए है. बता दें कि बीजेपी ने आरोप लगाया था कि हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और खुद को एक खनन पट्टे से फायदा पहुंचाया.


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